- पिछली तीन महीनों में लिए 80 सैंपल, 35 की आई रिपोर्ट

- 7 सैंपल नकली और 5 को मिथ्याछाप के स्टैंडर्ड में रखा

- ड्रग डिपार्टमेंट ने तीन कंपनियों पर कराया मुकदमा दर्ज

- ड्रग डिपार्टमेंट ने 45 कंपनी और मेडिकल स्टोर्स लिए थे सैंपल

- 50 फीसदी को भेजे जाएंगे नोटिस और चेतावनी

i exclusive

sharma.saurabh@inext.co.in

Meerut : भले ही मेरठ को वेस्ट यूपी को मेडिकल हब कहा जाता हो। यहां दर्जनों दवा कंपनियां हों, लेकिन मेडिकल के इस क्षेत्र में मेरठ ने बदनामी की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। हाल ही में ड्रग डिपार्टमेंट की ओर से पिछली तीन महीने की रिपोर्ट आई है। उसमें नकली दवाओं का खुलासा हुआ है। डिपार्टमेंट ने इसमें कुछ दवा कंपनियों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया है। वहीं 20 से अधिक मेडिकल स्टोर और दवा कंपनियों को नोटिस और चेतावनी जारी की जा रही हैं।

35 में से 12 मानक से नीचे

खाद्य एवं औषधि डिपार्टमेंट की ओर से पिछले तीन महीने में 45 मेडिकल स्टोर एवं दवा कंपनियों से 80 सैंपल लिए थे, जिनकी जांच के लिए सभी सैंपलों को लखनऊ लैब में भेजा गया था, जिनकी रिपोर्ट आ चुकी है। डिपार्टमेंट की रिपोर्ट के अनुसार 80 सैंपल में से अभी सिर्फ 35 की रिपोर्ट आई है, जिनमें से 23 सैंपल मानक स्तर पर हैं। वहीं 5 सैंपल मिथ्याछाप की श्रेणी में रखे गए हैं। मतलब दवाओं के पैकेट पूरी तरह से फर्जी हैं। 7 सैंपल पूरी तरह से नकली दवाओं की श्रेणी में रखे गए हैं। डिपार्टमेंट की मानें तो 35 सैंपल में 7 नकली पाया जाना काफी बड़ा रेश्यो है।

एडीजे के पास की कंप्लेन

खाद्य एवं औषधि डिपार्टमेंट ने रिपोर्ट आने के बाद एडीजे-चतुर्थ के पास नकली दवाओं के मामले में कार्तिकेय लेबोरेटरीज, एक्मे सर्जिकल और एमके लेबोरेटरीज के खिलाफ कंप्लेन दर्ज की है। साथ ही सभी कारण बताओ नोटिस जारी किया है। डिपार्टमेंट ने जिन 45 दवा कंपनी और मेडिकल स्टोर से सैंपल लिए थे, इनमें से 50 फीसदी को नोटिस और चेतावनी पत्र दिए जाने की तैयारी चल रही है।

अभी सिर्फ 35 की रिपोर्ट आई है। डिपार्टमेंट की ओर जारी रिपोर्ट में जिन दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया हैं।

- केशव कुमार, सिटी मजिस्ट्रेट, मेरठ

दवा कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी करने के साथ एडीजे-चतुर्थ के यहां कंप्लेन भी की है। मेडिकल स्टोर्स और दवा कंपनियों को नोटिस और चेतावनी भी जारी की जा रही है।

- संदीप कुमार, ड्रग इंस्पेक्टर

-----

ड्रग एसोसिएशन ने लिखा था लेटर

जिला मेरठ केमिट्स एंड ड्रगिस्ट्स एसोसिएशन ने मंडल कमिश्नर को लेटर लिखा था। साथ ड्रग डिपार्टमेंट से रिलेटेड सवाल किए थे। कमिश्नर ने वो लेटर डीएम को फॉरवर्ड किया। जहां से वह लेटर सिटी मजिस्ट्रेट को मिला। सिटी मजिस्ट्रेट ने ड्रग डिपार्टमेंट से पूरी रिपोर्ट मांगी, जिसमें 3 माह में किन-किन दुकानों का निरीक्षण और कितने सैंपल लिए? डॉक्टर्स द्वारा क्लीनिक में बेची जा रही दवाओं की जांच की या नहीं? कितने दवा व्यापारियों के लाइसेंस रिनुवल के लिए पेंडिंग हैं और कब से हैं?