- ठगी के लिए ही नहीं बल्कि अन्य धंधों के लिए भी तैयार किए जा रहे थे वोटर आईडी कार्ड

- बड़े लेवल पर चल रहा था फर्जी फोटो पहचान पत्र जारी करने का सिलसिला

- पुलिस ने माना कि लंबे समय से फर्जी आईडी कार्ड बनाने का चल रहा था सिलसिला

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Meerut: चेहरा पहचानो और टावर लगाने के नाम पर ठगी करने वाले बदमाशों का भंडाफोड़ होने के बाद कई सवाल खड़े हो गए है। छह बदमाशों के पास से मिले काफी संख्या में फर्जी वोटर आईडी कार्ड का धंधा केवल ठगी के लिए ही नहीं चल रहा था, बल्कि मेरठ समेत पूरे एनसीआर में फर्जी आईडी कार्ड बनाकर बेचे जा रहे थे। इस पूरे धंधे के पीछे किसी सरकारी कर्मी का भी हाथ माना जा रहा है।

न जाने कितने आईडी हो गई जारी

मेरठ में ठगी करने वालों का भंडाफोड़ हुआ तो पुलिस ने विजय शर्मा निवासी जय देवी नगर को भी गिरफ्तार कर लिया। बताया जा रहा है कि विजय शर्मा ठगी के धंधे के साथ-साथ लंबे समय से फर्जी वोटर आईडी कार्ड बना रहा था। यह कार्ड मेरठ समेत एनसीआर में जा रहे थे, जिसके जरिए फर्जी आईडी पर सिम भी लोग इश्यू करा रहे थे। सबसे बड़ी बात यह है कि फर्जी आईडी पर यदि सिम जारी किए गए हैं तो यह कानून व्यवस्था के लिए बड़ा खतरा है। फर्जी आईडी पर सिम आईएसआई एजेंट या फिर आतंकवादी भी यूज कर सकते हैं। कहीं न कहीं यह भविष्य में पुलिस के लिए चुनौती खड़ी कर सकती है।

जानकारी जुटाएगी पुलिस

भले ही पुलिस ने बदमाशों को अभी जेल भेज दिया हो, लेकिन पुलिस फर्जी आईडी बनाने वाले विजय का रिमांड लेकर और जानकारी जुटाएगी। प्रेस वार्ता के दौरान एसएसपी सुभाष सिंह बघेल ने भी कहा था कि फर्जी आईडी और फर्जी आईडी पर लिए गए सिम और खुलवाए गए एकाउंट जांच का विषय है। बदमाशों का रिमांड लेकर और जानकारी जुटाई जाएगी, जो भी आरोपी सामने आएंगे, उनको भी गिरफ्तार कर जेल भेजा जाएगा।

सरकारी कर्मी का हाथ तो नहीं?

फोटो पहचान पत्र बनाने का एक सॉफ्टवेयर होता है, जो जिला निर्वाचन अधिकारी के पास कम्प्यूटर में होता है। इसका लॉग इन और पासवर्ड भी होता है। लॉग इन करने के बाद पूरी प्रकिया करने के बाद ही फोटो पहचान पत्र बनता है। इसके बाद जिला निर्वाचन अधिकारी की मुहर लगने के बाद ही पहचान पत्र को जारी किया जाता है। ऐसे में सवाल है कि कहीं यह सॉफ्टवेयर लीक तो नहीं हो गया है। हालांकि पुलिस का कहना है कि हर बिंदु पर जांच की जा रही है।

बहुत बड़ी सफलता हाथ लगी है। हमने ठगों को पकड़कर जेल भेज दिया है। जहां तक फर्जी आईडी बनाने की बात है। यह गंभीर मामला है। इनके पास आईडी बनाने का सॉफ्टवेयर कहां से आया या फिर इन्होंने यह सॉफ्टवेयर कहां से कॉपी किया, इस पर भी हमारा वर्क चल रहा है। हो सकता है कि किसी सरकारी कर्मी या संविदा कर्मी के माध्यम से सॉफ्टवेयर मिल गया हो। रिमांड पर लेकर भी पूछताछ की जाएगी।

मनीष मिश्रा

सीओ क्राइम