- लोहिया इंस्टीट्यूट की बड़ी लापरवाही

- दिल के इलाज के लिए भर्ती हुआ था गोरखपुर का मरीज

LUCKNOW :

गोमतीनगर स्थित डॉ। राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान प्रशासन की लापरवाही के चलते मरीज की तीसरी मंजिल से गिरकर मौत हो गई। मामला कार्डियोलॉजी- सीटीवीएस विभाग का है। जहां से 62 वर्षीय बुजुर्ग मरीज बाथरूम के खुले डक्ट से नीचे जा गिरा। वहीं संवेदनहीनता की हदें पार करते हुए संस्थान प्रशासन इलाज की बजाए मामले को दबाने में ही लगा रहा। बाद मे मरीज को आईसीयू में भर्ती किया गया जहां पर इलाज के दौरान मरीज ने तीन घंटे बाद ही दम तोड़ दिया।

तीन दिन पहले हुए थे भर्ती

गोरखपुर निवासी राम प्यारे गुप्ता (62) को 10 जनवरी को डॉ। सुदर्शन के अंडर में हार्ट के इलाज के लिए कार्डियोलॉजी विभाग में भर्ती किया गया था। मरीज के बेटे राम किशुन ने बताया कि उनके पिता तीसरी मंजिल पर भर्ती थे। शाम को पांच बजे वह वार्ड में बने शौचालय में गए, लेकिन वह आधे घंटे तक बाहर ही नही आए तो वह देखने के लिए अंदर गए। जहां पर राम प्यारे नजर ही नहीं आए तो उन्होंने दूसरी तरफ देखा तो वहां नीचे से कराहने की आवाज आई। सामने दीवार और पाइप पर खून के निशान थे। नीचे झांका तो उनके पैरो तले जमीन खिसक गई। उनके पिता रामप्यारे नीचे कूड़े में पड़े हुए थे। इसकी सूचना उन्होंने वार्ड में दी। आनन फानन नीचे भागते गए और लोगों की मदद से उन्हें उठाया। उनके हाथों पैरों में खरोचों के कारण वह घायल हो गए। बुजुर्ग को आईसीयू में भर्ती कराया। डॉक्टर के निर्देश पर इलाज शुरू हुआ। रात करीब 8.30 बजे मरीज की मौत हो गई। जिसके बाद परिजनों जमकर हंगामा किया।

मरीज की मौत के बाद बंद हुई डक्ट

राम किशुन ने आरोप लगाया कि डक्ट बंद होती तो यह घटना न होती। अधिकारियों की लापरवाही के कारण उनके पिता की जान चली गई। परिवारीजनों के हंगामे के बाद आनन फानन डक्ट को लकड़ी व लोहे से बंद किया गया। घटना झुपाने में इंजीनियर समेत वार्ड के कर्मचारी से लेकर निदेशक प्रो। दीपक मालवीय स्वयं जुटे रहे।

कर्मचारियों ने छुपाया

मरीज के तीसरे मंजिल से गिरने की घटना को स्टाफ नर्स और सिविल इंजीनियर घंटों दबाए रखे। लेकिन घटना का पता चलने पर निदेशक और उनकी पूरी टीम मरीज को दिमागी रूप से कमजोर साबित करने में जुटी रही। मामले की जानकारी देर शाम जब चिकित्सा अधीक्षक सुभ्रत चंद्रा को मामले की जानकारी तो उन्होंने घटना स्थल का निरीक्षण किया। मामले में जानकारी के लिए कई बार निदेशक प्रो। दीपक मालवीय को फोन किया गया लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।

इस काम आती है डक्ट

छतों और शौचालयों के पानी को पाइप से नीचे ले जाने के लिए एक डक्ट बनाई गई है। इसके लिए सामने दरवाजा लगा होता है ताकि कोई दिक्कत होने पर वहां से पाइप की रुकावट या अन्य समस्या को ठीक किया जा सके। लेकिन संस्थान लापरवाही के कारण यहां पर दरवाजा ही नहीं था। जिसके कारण मरीज गलती से उधर चला गया और सीधे नीचे जा गिरा।

जांच कमेटी गठित

मामले की जांच के लिए मेडिकल सुप्रीटेंडेंट डॉ। सुब्रत चंद्रा ने मामले में जांच के निर्देश देते हुए पांच सदस्यीय जांच कमेटी गठित की है। जिसमें डीन डॉ। मुकुल मिश्र, एमएस डॉ। सुब्रत चन्द्र, सीटीवीएस विभाग के अध्यक्ष डॉ। एसएस राजपूत, डॉ। पीएस सिंह, चीफ नर्सिंग ऑफिसर सुमंत सिंह शामिल हैं। जांच रिपोर्ट के बाद मामले में कार्रवाई की जाएगी।

मामले की जांच के निर्देश दे दिए गए हैं। डक्ट में दरवाजा क्यों नहीं लगा, इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी।

- डॉ। सुब्रत चंद्रा, एमएस