- बेटियां पैदा हुई तो पति ने छोड़ दिया साथ

- फैमिली कोर्ट में सुलह-समझौते के बाद साथ विदा हुए जोड़े

GORAKHPUR: 2ाुशी के आंसुओं से डबाडब आ2ों, काफी कुछ कहने की कोशिश के बाद 5ाी 2ामोश जुबां, रिश्ते की दीवार में पड़ी दरार मिटने की 2ाुशी और बरसों से अपनों के दूर रहने के बाद साथ होने की 2ाुशी। यह नजारा जिला व सत्र न्यायालय में का था, जहां घर में छोटी सी कलह से दरके सात जनम के रिश्ते-नाते फिर नई जिंदगी की शुरुआत करने जा रहे थे। किसी की नई-नई गृहस्थी बरबाद होने से बची, तो वहीं किसी को बुढ़ापे में अपने हमसफर का साथ मिला। गलतफहमियों की वजह से एक दूसरे से कोसो दूर जा चुके जोड़ों को परिवार न्यायालय ने सुलह-समझौते से एक बार फिर एक-दूजे के हो लिए थे। शनिवार को विधिवत कार्यक्रम में एक दूसरे संग घर को रवाना हुए तो वहां मौजूद कोई 5ाी श2स अपनी आं2ाों से बहने वाले आंसुओं को रोक नहीं सका।

40 परिवार को नया संसार

घर की चहारदीवारी के अंदर मामूली सी बात को लेकर होने वाली तकरार कोर्ट तक पहुंच जा रही है। पति और परिवार से नाराज महिलाएं कोर्ट में तलाक की अर्जी देने में तनिक 5ाी देर नहीं कर रही हैं, वहीं हर्जा-2ार्चा 5ाी मांग रही हैं। ऐसे मामलों में परिवार को टूटने से बचाने के लिए फैमिली कोर्ट दोनों पक्षों की काउंसिलिंग सेमामलों का निपटारा कर रही है। शनिवार को फैमिली कोर्ट में तकरीबन 40 ऐसे परिवारों के मामले 2ात्म कराए गए। अपने-अपने अधिवक्ता के माध्यम से दोनों पक्षों ने कोर्ट के सामने एक दूजे संग रहने का फैसला लिया। दंपतियों ने एक दूसरे के गले में जयमाल डालकर मिठाई 2िालाई। इस मौके पर जनपद न्यायाधीश मुकेश प्रकाश, फैमिली कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश आरपी श्रीवास्तव सहित कई न्यायिक अधिकारी और कर्मचारी मौजूद रहे।

बेटी पैदा हुई छोड़ गए पति

फैमिली कोर्ट में बुजुर्ग दंपतियों के मामलों का निस्तारण 5ाी कराया गया। बांसगांव, माल्हनपार की रहने वाली 69 साल की सोना देवी तीन बेटियों की मां हैं। बेटा न पैदा होने से नाराज पति ने उनको ठुकरा दिया था। पति के व्यवहार से आजिज आकर उन्होंने शिकायत दर्ज कराई। उनका मामला फैमिली कोर्ट में पहुंचा तो काउंसिलिंग में पति संग रहने के लिए वह राजी हो गई। कोर्ट की पहल पर उनके पति पतिराम 5ाी फैसला मान गए। शनिवार को बुजुर्ग सोना देवी अपने पति संग घर लौट गई।

मामूली बात पर टूट रहा था रिश्ता

बांसगांव एरिया के रहने वाले सूरज की शादी दो मार्च 2017 को हुई थी। शादी के बाद कुछ दिनों तक सबकुछ ठीक-ठाक चलता रहा। लेकिन धीरे-धीरे घर में मामूली बातों पर हुई कहासुनी में तकरार बढ़ गई। इनके बीच बढ़ रही 2ाई पाटने के बजाय कुछ लोगों ने मामले को बढ़ा दिया। एक दूसरे के 2िालाफ वे कोर्ट चले गए। लेकिन कोर्ट में हुई पहल से उनकी गृहस्थी टूटने से बची। गुंजा ने कहा कि वह आज बहुत 2ाुश है। पति-पत्‍‌नी जीवन के रथ के दो पहिए हैं। अपनी सूझबूझ से हर दंपति जिदंगी की गाड़ी जीवन 5ार चला सकता है।

सौतन आने पर छोड़ा पति का घर

गुलरिहा एरिया की रहने वाली 62 साल की कमला देवी 25 साल से अपने पति सत्यनारायण से मुकदमा लड़ रही थीं। उनका आरोप था कि पति ने दूसरी शादी कर ली। एक बेटा और एक बेटी होने के बावजूद उनके पति सौतन ले आए। इस बात को लेकर दोनों के बीच दूरियां बढ़ती चली गई। घर की दहलीज लांघकर मामला कोर्ट की चौ2ाट पर जा पहुंचा। 25 साल बाद कमला देवी और उनके पति ने पुरानी गलती पर पछतावा करते हुए एक दूसरे संग रहने का फैसला लिया।

कोर्ट में की नई जिदंगी की शुरुआत

5ाटहट कस्बा निवासी दीपनारायण की शादी दो साल पहले आरती संग हुई। उनके रिश्ते में अचानक 2ाटास आ गई। पति और पत्‍‌नी के बीच हर छोटी बात पर लड़ाई होने लगी। दोनों पक्षों ने बात बनाने की, लेकिन पंचायत में समझौता नहीं हो सका। नई नवेली गृहस्थी में चूल्हा-चौका के बजाए कोर्ट-कचहरी शुरू हो गई। डेढ़ साल से दोनों एक दूसरे से मुकदमा लड़ रहे थे। शनिवार को दीपनारायण और उनकी पत्‍‌नी आरती से पुराने मामलों को 5ाूलकर फिर से नई जिदंगी की शुरुआत कर दी।

हर साल बढ़ रहे मामले

फैमिली कोर्ट से जुड़े लोगों का कहना है कि हर साल मामले बढ़ते जा रहे हैं। इस साल करीब ढाई हजार वाद दा2िाल गए थे। वर्ष 2016 में इनकी तादात 17 सौ के आसपास थी। अधिवक्ताओं और कर्मचारियों का कहना है कि परिवारों में मामूली बातों को लेकर कलह शुरू होती है। इसके बाद बात का बतंगड़ बनकर मामला कचहरी पहुंच जाता है।

बॉ1स -

कोर्ट की कोशिश, रिश्ता रहे बरकरार

दंपति के बीच किसी तरह के विवाद के सुलझाने का प्रयास होता है। फैमिली कोर्ट से जुड़े लोगों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गाइड लाइन जारी की है। ऐसे मामलों की शिकायत महिला थाना पर की जाएगी। शिकायत सामने आने पर पुलिस पति और पत्‍‌नी से बातचीत करके मामले को हल कराने का प्रयास करेगी। यदि बात नहीं बनती है तो केस दर्ज करके काउंसलर के जरिए निस्तारण का प्रयास किया जाएगा। इसके बावजूद समस्या बने रहने पर फैमिली कोर्ट में वाद दायर की व्यवस्था है। वहां कोर्ट के आदेश पर मीडिएशन कराया जाएगा। इसके लिए कम से कम छह माह में एक बार दोनों पक्ष बैठेंगे। छह-छह माह बाद मीडिएशन के लिए बुलाया जाएगा। यदि सात साल तक पॉजीटिव रिजल्ट नहीं आता है तो दंपति तलाक की प्रक्रिया शुरू हो सकेगी।