- 2005 में झंगहा एरिया के ब्रम्हपुर में हुई थी राजा नामक युवक की हत्या

- माता-पिता ने नहीं किया अंतिम संस्कार, खेत में ही दफना रखा है शव

- हत्यारा जेल में लेकिन खुद मारकर ही बेटे को विदा करने की खा रखी है कसम

माता-पिता संतुष्ट नहीं

मामले में हत्यारोपी को आजीवन कारावास होने के बाद भी मृतक के माता-पिता संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने कसम खा रखी है कि जब तक बेटे के हत्यारे को खुद नहीं मार लेते तब तक बेटे का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। जमीनी विवाद में हुई थी हत्या मामला झंगहा इलाके के ब्रह्मपुर गांव का है। यहां रहने वाले विजयी और उसके परिवार के लोग कई पीढ़ी से गांव के जमींदारों के बाग-खेतों की रखवाली के साथ जोतने-बोने का काम करते थे। इसीलिए जमींदारों ने उन्हें थोड़ी जमीन जीवन-यापन के लिए दी थी। लेकिन यह बात गांव के ही रहने वाले एक दबंग दरोगा पासी को नागवार गुजर रही थी। वह लगातार जमीन पर कब्जा करने की कोशिश में था। इस बात को लेकर दोनों के परिवारों के बीच कई बार मारपीट और फिर समझौता भी हुआ। खेत में ही मारी थी गोली विजयी अपनी पत्‌नी कलावती, बेटों राजू, राज कुमार, राजा, साजन और बेटी ममता के साथ दिल्ली में रहता था।

कस्टडी से फरार

वह कप-प्लेट बनाने की एक फैक्ट्री में चीफ कारीगर था। फसल के मौसम में उसके बेटे गांव आते और जोताई-बुआई का काम कर लौट जाते। इसी सिलसिले में राजा (20) जून 2005 में घर आया था। उस वक्त गांव में उसकी मां और बहन ममता ही मौजूद थे। इस बीच भूमि पर बुआई को लेकर राजा से दरोगा की फिर कुछ कहासुनी हो गई। दरोगा ने धमकी देते हुए कहा तुम भूमि पर फसल नहीं बोओगे, लेकिन राजा नहीं माना। वह सात जुलाई 2005 की सुबह 8.30 बजे अपने खेत में था। बारिश हो रही थी। इसी बीच छाता लगाए दरोगा उसके पास पहुंचा और तमंचा निकालकर गोली मार दी। इससे पहले कि मां-बेटी वहां पहुंचते, राजा की मौत हो गई। तीन साल बाद गया जेल राजा की हत्या कर दरोगा फरार हो गया। लेकिन पुलिस उसके खिलाफ केस दर्ज कर तलाश में लगी रही। करीब एक महीने बाद पुलिस ने उसे उसके घर से अरेस्ट किया। लेकिन थाने ले जाते वक्त वो कस्टडी से फरार हो गया था। इसके करीब तीन साल बाद 2008 में झंगहा पुलिस ने जिले की क्राइम ब्रांच की मदद से आरोपी को लुधियाना से अरेस्ट कर जेल भेजा।

अंतिम संस्कार के लिए तैयार नहीं

हत्यारोपी को सेशन कोर्ट से आजीवन कारावास की सजा मिल चुकी है और वो गोरखपुर जेल में सजा भुगत रहा है। 'काफी नहीं है ये सजा' उधर, बेटे की हत्या के बाद विजयी और कलावती ने अजीब सी कसम खा ली। उन लोगों ने बेटे का अंतिम संस्कार करने से ही इनकार कर दिया। दंपति का कहना था कि जब तक वे हत्यारे को खुद अपने हाथों से मार नहीं देते, बेटे का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। उन लोगों ने गांव के घर के बगल ही स्थित खेत में बेटे के शव को सुरक्षित तरीके से दफना दिया। यहां तक कि हत्यारोपी को आजीवन कारावास होने पर भी मृतक के माता-पिता अंतिम संस्कार के लिए तैयार नहीं हुए। बदले की आग में जल रहे दंपति का कहना है कि बेटे के हत्यारे को जेल में ही फांसी की सजा हो जाए या फिर वो जेल से बाहर आ जाए। जेल से बाहर आते ही वे खुद उसे मार ही अपने बेटे का अंतिम संस्कार करेंगे। यह दंपती रोज बेटे की कब्र पर जाकर सुबह-शाम खाना-पानी तक रखते हैं।