- अपनी कटे तो मुरझा जाते थे सबके चेहरे

- घरवालों की डांट खाकर भी नहीं छूटी आदत

GORAKHPUR: मकर संक्राति खुशियों का पर्व है। आसमान में हिलोरे मारती, बल खाती, लहराती पतंगों को देखकर हर किसी का मन मचल उठता है। लोग पतंगों को पेंच लड़ाते हुए देखने के लिए पहुंच जाते हैं। बड़े ही उत्साह के साथ पतंगे उड़ाई जाती है। इस मकर संक्रांति पर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने शहर के कुछ प्रमुख लोगों से बात की। यह जानने का प्रयास किया कि आखिर बचपन में वह कैसे पतंगों की डोर काटते थे। बातचीत के दौरान जो सामने आया वह मन को गुदगुदाने के साथ-साथ बचपन की यादों को तरोताजा कर गया।

बचपन में खूब लड़ाते थे पतंग की पेच

1960-61 बचपन के दिनों में अपने दोस्तों के साथ खूब पतंग की पेच लड़ाई है। जब एक दूसरे की पतंग कटती, तो काफी आनंद आता था। एक बार की बात है पांच लोग पतंग उड़ा रहे थे। इस दौरान पतंग आसमान में लहरा रही थी। अन्य साथियों की भी पतंग उड़ रही थी। इस बीच किसी ने पतंग की डोर खोल कर छोड़ दी। जिससे पतंग बिना कटे ही पतंग हवा में तैरने लगी। उसे पकड़ने के लिए हम लोग उसके पीछे दौड़ने लगे कि वह कहां गिर रही है। दौड़ते-दौड़ते सरयू नदी के किनारे पहुंच गए। जैसे-जैसे पतंग नदी में डूबती नजर आई। उसे डूबता देखकर हम लोगों ने खूब ताली बजाई। पुरानी दिनों को याद कर काफी अच्छा लगता है।

- सीताराम जायसवाल, मेयर

डोर लूटने की मचती थी होड़

हम बरेली के रहने वाले हैं। वहां खूब पतंगबाजी होती है। गर्मी के मौसम में शाम होते ही हम लोग छतों पर चढ़ जाते थे। उस समय मोहल्ले के अन्य बच्चे भी छतों पर जुटते थे। सबका ध्यान पतंग लूटने पर होता था लेकिन हम डोरियों को लूटने निकलते थे। छत पर गिरने वाली पंतगों की डोरी लूटने को लेकर खूब मारामारी मचती थी। डोरी लूटने को हम लोग काफी इंच्वाय करते थे। इसी बहाने सभी लोग छतों पर आकर मिलते-जुलते थे। पतंगबाजी का लुत्फ लेने में 50 पैसे की कीमत की कई पतंगे कट जाती थीं। पतंग उड़ाने की उमंग में कई बार लापरवाही भारी पड़ जाती है। पतंग उड़ाते समय खास सावधानी बरतें। बड़ों से लेकर बच्चे तक इस बात का ख्याल रखें तो पतंगबाजी का आनंद दोगुना हो जाएगा।

मोहित अग्रवाल, आईजी जोन, गोरखपुर

कटती थी पतंग, उदास हो जाता था मन

नार्मली हम लोग पतंग उड़ाया करते थे। लेकिन पिता जी छत पर जाने से रोक देते थे। पिता जी अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे। इस वजह से उनकी कुछ बंदिशे भी रहती थीं। लेकिन मौका ताड़कर हम लोग छत पर चढ़ जाते थे। वैशाखी वाले दिन हम लोग टोली बनाकर घर के पास फील्ड में पतंग उड़ाने निकल जाया करते थे। तब 15 से 20 पैसे में पतंग मिल जाती थी। लेकिन हम लोग बांस पेपर से अपनी पतंग बनाकर उड़ाया करते थे। जब पतंग कट जाती थी तो मन मसोस कर रह जाते थे।

संजय यादव, सीपीआरओ

सवाल करता था परेशान, कैसे नाचती पतंग

हम गांव से जुड़े रहे। गांव में पतंग उड़ाने का मौका कहां मिल पाता था। लेकिन जब कभी शहर में जाते थे। पतंगे उड़ाते हुए लोगों को देखने पहुंच जाते थे। उड़ती हुई पतंगों को देखकर मन खुश हो जाता था। एक सवाल बार-बार मन में आता था कि आखिर ये हवा में उड़ कैसे जाती है। कागज और बांस से बनी पतंग की डोर इतनी आसानी से उंगलियों के इशारे पर कैसे नाचती है। पतंग उड़ाने वालों से जब कुछ पूछते थे। वह खुद ही इसके बारे में नहीं बता पाते थे।

महेंद्र पाल सिंह, विधायक

पतंग पकड़ने में खराब हो गई सब्जी की खेती

पतंग उड़ाने से ज्यादा मजा कटी हुई पतंग को सबसे आगे दौड़कर पकड़ने में आता था। पतंग उड़ाने वाले आसमान में एक दूसरे की डोर काटने को बेताब रहते थे। पतंग लूटने के लिए एक अलग गुट तैयार रहता था। जैसे ही किसी की पतंग कटती थी। हम लोग एक साथ दौड़ पड़ते थे। एक बार ऐसा हुआ कि इस होड़ में हम लोग गोभी लगे खेत में घुस गए। पतंग लूटने के चक्कर में हम लोगों की दौड़भाग से गोभी की फसल चौपट हो गई। खेत वाले किसान नाराज होकर उलाहना देने घर पहुंचे। उस दिन नुकसान पहुंचाने पर खूब डांट पड़ी। लेकिन दूसरे दिन फिर हम लोग पतंग के लिए भागमभाग में जुट गए। अपनी पतंग कटने पर दुख होता था। दूसरे की कट जाए तो आनंद आता था।

डॉ। विमलेश पासवान, विधायक

यह बरतें सावधानी

- छत के बजाय खुले मैदान में जाकर पतंग उड़ाएं।

- पतंग उड़ाने में चाइना की डोरी, मंझे का इस्तेमाल न करें।

- बच्चों को मंझे से दूर रखें। पतंग उड़ाते समय उन पर नजर रखें।

- तीखे मंझे किसी से टकराने पर हाथ-पैर और गरदन कट सकती है।

- मंझा पकड़ने और पतंग उड़ाने वाले आपस में तालमेल बनाए रखें।

- छत पर पतंग उड़ाते समय अपनी छत की लंबाई-चौड़ाई का ध्यान रखें।

- पतंग के अटकने पर जोर लगाकर न खींचें। पक्षियों के झुंड में न ले जाएं।

- पतंग पकड़ने के लिए सड़क पर न निकले। खुले मैदान पतंगबाजी करें।

- पतंग उड़ाने के पहले दास्ताने पहनने पर उंगलियों के कटने का खतरा नहीं रहता।

- फटी पतंग की डंडियों के छिटकने से आंखों में चोट का खतरा रहता है। इससे सावधान रहें।