- एक्सप्रेस वे के लिए अधिग्रहीत हुई थी उसकी खेती की जमीन

- गांव फतेहपुर की घटना, आत्महत्या के विवाद की भी चर्चा

शिकोहाबाद: शुक्रवार सुबह किसान ने अपने घर पर फंदा कसकर जान दे दी। आत्महत्या के पीछे तनाव बताया जा रहा है। ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस वे के लिए उसकी जमीन का अधिग्रहण हुआ था। जमीन पर पकी फसल को कंपनी के कर्मचारियों ने रौंद डाला, जिसके बाद वह तनाव में था। वहीं परिवारिक विवाद की बात भी सामने आ रही है। परिजनों ने पुलिस को सूचना दिए बिना शव का अंतिम संस्कार कर दिया।

थाना नसीरपुर के गांव फतेहपुर निवासी नरेंद्र सिंह (40) का शव घर में शुक्रवार सुबह फंदे पर लटकता मिला। परिजनों ने पुलिस को सूचना दिए बगैर शाम को अंतिम संस्कार कर दिया गया। नरेंद्र की मौत को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हैं। कुछ लोगों का कहना है कि नरेंद्र का खेत आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे के लिए अधिग्रहीत किया गया है। इस खेत में बोई गई फसल अब पकने को तैयार थी, लेकिन एक्सप्रेस वे बनाने के लिए कार्यदायी संस्था के कर्मचारियों ने पूरी फसल उजाड़ दी, जिससे नरेंद्र काफी परेशान था। उसकी एक बेटी शादी के योग्य है। वहीं, कुछ लोग पारिवारिक विवाद के कारण आत्महत्या करने की बात कह रहे हैं।

शनिवार को जानकारी मिलने पर एसडीएम शिकोहाबाद रवींद्र कुमार गांव पहुंचे और परिजनों व ग्रामीणों से बातचीत की। जिसमें परिजन और ग्रामीणों ने गृह क्लेश और आर्थिक तंगी की बात बताई। एसडीएम ने बताया कि नरेंद्र का गुरुवार रात पत्नी के साथ किसी पर झगड़ा हुआ। शुक्रवार सुबह भी मारपीट हो गई। इसके बाद नरेंद्र ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली।

रामचरन ने फतेहाबाद में नहीं की थी खेती

बसई मुहम्मदपुर थाना क्षेत्र के गांव गढ़ी तिवारी में किसान की खुदकुशी के मामले में भी नए तथ्य प्रकाश में आए हैं। परिजनों का कहना था कि बारिश के कारण फसल को हुए नुकसान को बर्दाश्त न कर पाने पर रामचरन ने फांसी लगा ली थी। उनका ये भी कहना था कि रामचरन ने आगरा की फतेहाबाद तहसील में बटाई पर खेती की थी। उसमें काफी नुकसान हुआ। शनिवार को इस मामले की छानबीन करने एसडीएम सदर विजय कुमार खुद गढ़ी तिवारी पहुंचे। उन्होंने परिजनों से फतेहाबाद के उस गांव एवं खेत के गाटा नंबर की जानकारी ली, जहां खेती करने की बात कही जा रही थी। इसके बाद उन्होंने फतेहाबाद तहसील के लेखपाल एवं कानूनगो को जांच के लिए भेजा। एसडीएम ने बताया कि जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। रामचरन ने वहां कोई जमीन नहीं ली थी। जो गाटा नंबर बताया गया, वहां करीब एक माह पूर्व बोई गई चरी की फसल खड़ी पाई गई।

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