आगरा. बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों की कमर तोड़ दी. खेतों में बर्बादी कामंजर देख कई किसानों ने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली. किसानों के दर्द से शासन भी बेखबर नहीं है. शायद इसीलिए मुख्यमंत्री ने प्रदेश भर के जिलों में बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर किसानों की वर्तमान स्थिति जाननी चाही. लेकिन, कलेक्ट्रेट में आयोजित वीडियो फॉन्फ्रेंसिंग किसानों के जख्मों पर मरहम लगाने के लिए बजाय नमक छिड़क गई.

दूर-दराज क्षेत्र से आए किसान

वीडियो कांफे्रंसिंग में दूर-दराज से आए किसान अपनी बात नहीं रख पाए. उनके गिले-शिकवे मन में ही दबे रह गए. साढ़े बारह बजे डीएम और कमिश्नर वीडियो कांफ्रेंसिंग से उठकर चले गए, लेकिन किसानों को बैठाए रखा, लम्बे इंतजार के बाद भी उनको अपनी बात कहने का मौका अफसरों ने नहीं दिया.

साढ़े आठ बजे ही बुला लिया

कलेक्ट्रेट स्थित एनआईसी कक्ष में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की वीडियो कांफ्रेसिंग बुधवार 10.30 बजे से शुरू होनी थी, लेकिन जिले के दूरदराज इलाकों से किसानों को सुबह साढ़े आठ बजे ही बुला लिया गया. अपने घरों से भूखे प्यासे चले किसान दो घंटे तक इंतजार करते रहे. सुबह 10.30 बजे वीडियो कांफ्रेंसिंग शुरू हुई. सीएम और चीफ सेक्रेटरी आलोक रंजन, प्रमुख सचिव कृषि को सामने देख किसान उत्साहित हो गए, सोचने लगे कि अब अपना दर्द प्रदेश के मुखिया के सामने प्रकट कर सकेंगे. देखते-ही देखते घड़ी ने साढ़े बारह बजे का समय नाप दिया. इसी दौरान डीएम पंकज कुमार और कमिश्नर प्रदीप भटनागर कक्ष से रवाना हो गए, लेकिन किसानों को कह दिया गया कि आप यहीं बैठें. दोपहर सवा दो बजे आगरा का नम्बर आया, लेकिन जब तक सीएम भी वीडियो कांफ्रेंसिंग से जा चुके थे. इस दौरान किसानों का आरोप है कि उन्हें बात तक नहीं करने दी, न ही बोलने दिया गया. वीडियो कांफ्रेंसिंग में 15 किसान ने हिस्सा लिया.