-एमडीए पर भड़के किसानों ने किया कमिश्नरी पर हंगामा

- वीसी की गाड़ी के सामने लेट गए, डीएम के समझाने पर हुए शांत

Meerut: एमडीए बोर्ड बैठक में एक बार फिर किसानों के हिस्से केवल मायूसी ही आई। बैठक में एक ओर जहां एमडीए ने मुआवजे देने से साफ इनकार कर दिया, वहीं अफसरों ने मामले को टालने की नीयत से एक और कमेटी का गठन कर दिया। बोर्ड बैठक के निर्णय की बाट जोह रहे कमिश्नरी में खड़े किसानों को जब इस बात की टोह लगी तो वो भड़क उठे। आक्रोशित किसानों ने जमकर हंगामा काटा। डीएम ने किसानों को डेढ़ माह के भीतर समस्या का निस्तारण कराने का आश्वासन देकर मामला शांत कराया।

क्या है मामला

गुरुवार को कमिश्नरी सभागार में मेरठ विकास प्राधिकरण की क्0भ्वीं बोर्ड बैठक का आयोजन किया गया। बोर्ड बैठक में गंगानगर, वेदव्यासपुरी और लोहियानगर योजना संबंधी मुआवजे का प्रस्ताव रखा जाना था। इसी आश्वासन के चलते बुधवार को एमडीए प्रशासन की ओर से गंगानगर के किसानों का धरना समाप्त कराया गया था। अब जबकि गुरुवार को बैठक के दौरान तीनों योजनाओं के प्रति कर का मामला रखा गया तो एमडीए ने मुआवजा भुगतान करने से हाथ खड़े कर दिए। इस पर कमिश्नर ने एक कमेटी का गठन कर एमडीए से तीनों योजनाओं की कुल भूमि और किसानों को दिए जाने वाले मुआवजे की रकम आदि का लेखा-जोखा प्रस्तुत करने की बात कही। उधर, कमिश्नरी में गंगानगर किसान संघर्ष समिति के बैनर तले एकजुट किसानों को जब इस बात का पता चला कि मुआवजे के प्रस्ताव को फिर ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है, तो उनका गुस्सा भड़क उठा। बैठक के बाद कमिश्नर, डीएम व अन्य अफसरों के साथ एमडीए वीसी राजेश यादव जैसे ही बाहर आए तो किसानों ने उनका घेराव करते हुए मुर्दाबाद के नारे लगाने शुरू कर दिए। वीसी ने जब उनको समझाने का प्रयास किया तो किसान उनकी गाड़ी के सामने लेट गए। मामला तूल पकड़ते देख और किसानों के सामने असहाय पड़े वीसी ने कमिश्नर आलोक सिन्हा से मामले में दखल देने की बात कही, लेकिन किसानों ने कोई भी बात मानने से इनकार कर दिया। इस पर डीएम पंकज यादव ने किसानों का समझाने का प्रयास किया और उनको समझाते हुए सभागार में ले गए। डीएम ने डेढ़ माह के भीतर मामले को निस्तारित करने का आश्वासन दिया।

डीएम पर दिखाया भरोसा

हंगामे के दौरान किसानों ने सभी अफसरों को दरकिनार कर डीएम पंकज यादव पर भरोसा दिखाया। किसानों का कहना था कि एमडीए वीसी कई बार उनका भरोसा तोड़ चुके हैं। अब केवल उनको डीएम की बात पर ही यकीन है। उधर, डीएम ने किसानों को समझाते हुए कहा कि उनकी समस्या का हर सूरत में निदान कराया जाएगा। इसके लिए एमडीए से टोटल जमीन, इनकम और मुआवजा भुगतान का तरीका आदि जानकारी मांगी गई है। अगली बोर्ड बैठक में एमडीए अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर देगा, जिसके बाद किसानों की समस्या का निस्तारण किया जाएगा।

ये होगा कमेटी का काम

कमिश्नर के निर्देशों पर जिस कमेटी का गठन किया गया, उसके अंतर्गत एमडीए को तीनों योजनाओं की कुल भूमि का भौतिक निरीक्षण, लैंड या अन्य तरीकों से एमडीए की आमदनी का श्रोत और मुआवजा भुगतान भुगतान की विधि आदि पहलुओं पर विचार कर अगली बोर्ड बैठक में अपनी रिपोर्ट पेश करना होगा। इसी रिपोर्ट में किसानों की समस्या का हल तलाशा जाएगा।

किसानों की मांग

किसानों का कहना है कि क्990 में एमडीए ने गंगानगर, शताब्दीनगर, लोहियानगर व वेदव्यासपुरी की जमीन अधिग्रहण की थी। एमडीए ने शताब्दीनगर के किसानों को म्90, जबकि गंगानगर को ख्क्0 व लोहियानगर व वेदव्यासपुरी को क्म्भ् रुपए का ही मुआवजा दिया। अब गंगानगर के किसानों की मांग है कि उनको भी शताब्दीनगर के किसानों की तर्ज पर ही मुआवजा दिया जाए।

ये निकला था हल

डीएम और तीनों योजना के किसानों के साथ पिछली बार बचत भवन में हुई बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया था कि एमडीए किसानों को कुछ जमीन और कुछ रुपए देकर मुआवजे की राशि पूरा कर सकता है। इस पर किसानों ने ये मांग रखी थी कि एमडीए उनको पचास फीसदी डेवलप्ड भूमि और पचास फीसद भुगतान कर समस्या का निदान कर सकता है। एमडीए की कैलकुलेशन के अनुसार यह जमीन ब्फ्ख्.80 हजार वर्गमीटर निकली थी। यहां पर एमडीए का मत था कि किसानों को आधी जमीन और मुआवजे की नीति पर काम नहीं किया जा सकता।

आईटी पार्क नहीं, बनेगा शहीद पार्क

एमडीए के नकारात्मक रवैये से गुस्साए किसानों ने वीसी के सामने एलान कर दिया कि अब वेदव्यासपुरी में आईटी पार्क नहीं, बल्कि की उसकी जगह शहीद पार्क बनेगा। तीनों योजना के किसान सामूहिक रूप से आईटी पार्क के स्थान पर आत्मदाह करेंगे।