-Indian Intelligence Test 2015 में सरायकेला-खरसावां के रोशन महतो 8वीं क्लास में नेशनल टॉपर बना

-अशोका इंटरनेशनल स्कूल का स्टूडेंट है रोशन, पिता करते हैं खेती

-फाइटर पायलट बन देश के लिए कुछ करना चाहता है रोशन

amit.choudhary@inext.co.in

JAMSHEDPUR: 'मुझे सर ने इंफॉर्म किया कि मैं इंडियन इंटेलिजेंस टेस्ट (आईआईटी)-2015 में 8वीं का नेशनल टॉपर बन गया। उस समय पापा खेत में काम कर रहे थे। मैं इतना खुश था कि समझ में नहीं आ रहा था कि किसे और कैसे बताऊं यह खुशखबरी। अपनी सफलता को शब्दों में बयां करना मेरे लिए मुश्किल हो रहा है'। सरायकेला-खरसाव के कुचई ब्लॉक के दोरो गांव के एक किसान का बेटा जब नेशनल लेवल के टेस्ट में नेशनल टॉपर बन जाए खुशी जाहिर करने के लिए शब्द तो कम पड़ ही जाएंगे न। दैनिक जागरण और आई नेक्स्ट द्वारा 30 अप्रैल को कंट्री लेवल पर आयोजित किए गए इंडियन इंटेलिजेंस टेस्ट 2015 में सरायकेला-खरसावां का रोशन (रोल नंबर 28126) 8वीं क्लास की कैटेगरी में नेशनल टॉपर बना। आई नेक्स्ट से उसने अपनी खुशी शेयर की।

मील का पत्थर साबित होगा

पिता किसान और मां सिलाई का काम करती है। घर की माली हालत ठीक नहीं, पर इन परिस्थितियों से रोशन की हिम्मत कम नहीं होती। उसने किसी भी परिस्थिति में पढ़ाई को जारी रखने का संकल्प लिया है। रोशन ने आई नेक्स्ट को बताया कि आईआईटी में नेशनल टॉपर बनना उसके जीवन में मील का पत्थर साबित होगा। रोशन ने बताया कि एक छोटे से गांव के लड़के का नेशलन लेवल पर नाम होने से वहां के आस-पास के एरिया के माहौल पर सकारात्मक असर पड़ता है। निश्चित ही पढ़ाई के प्रति पैरेंट्स और बच्चों की सोच बदलेगी।

फाइटर पायलट बनना चाहता है रोशन

रोशन का सपना फाइटर पायलट बनने का है। वह देश के लिए कुछ करना चाहता है। रोशन ने कहा कि घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है इसलिए वह कुछ ऐसा करना चाहता है जिससे घर की स्थिति में भी सुधार हो और पिता का नाम भी रोशन करे।

मां के काम में हेल्प करता है रोशन

रोशन की मां सरिता महतो खरसावां में ही सिलाई सेंटर चलाती है। पिता करण महतो गांव में खेती करते हैं। रोशन ने बताया कि वह मां के साथ ही रहता है और उनके काम में हेल्प करता है। सारी में पीको और फॉल्स लगाने का काम कर रोशन मां की हेल्प करता है। रोशन का छोटा भाई उज्जवल भी रोशन के साथ ही पढ़ाई करता है।

पैरेंट्स और टीचर्स को सफलता का श्रेय दिया

रोशन ने आईआईटी में नेशनल टॉपर होने का श्रेय अपने पैरेंट्स और टीचर्स को दिया। रोशन ने कहा कि पैरेंट्स का साथ और टीचर्स का सहयोग नहीं होता तो उसे यह सफलता नहीं मिलती। उसने आगे भी पैरेंट्स और टीचर्स का नाम रोशन करने की बात कही।

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रोशन ने बताया कि अप्रैल के लास्ट वीक में उसे दिल्ली जाना था। वहां कंडक्ट होने वाले कराटे के स्टेट लेवल कॉम्पटीशन में पार्टिसिपेट करना था, लेकिन किसी कारण से कराटे का कॉम्पटीशन कैंसिल हो गया। कराटे कॉम्पटीशन कैंसिल होने के बाद ही वह आईआईटी में पार्टिसिपेट कर पाया। रोशन ने बताया कि ईश्वर भी चाहते थे कि वह आईआईटी में पार्टिसिपेट करे क्योंकि उसे नेशनल टॉपर जो बनना था। रोशन इस बात से काफी खुश है कि आईआईटी ने उसे नेशनल लेवल पर रिकॉगनिशन दिलाया।

आईआईटी में नेशनल टॉपर बनना मेरी लाइफ के लिए मील का पत्थर साबित होगा। इससे मेरा कांफिडेंस बढ़ेगा और दूसरे कॉम्पटीशन में अच्छा परफॉर्म कर पाउंगा। एक छोटे से गांव के एक किसान का बेटा होने में कोई बुराई नहीं। अगर मौका मिले तो गरीब बच्चे भी टॉप कर सकते हैं।

- रोशन महतो, आईआईटी में 8वीं क्लास में नेशनल टॉपर

मैं तो कुछ बोलने की स्थिति में नहीं हूं। मैं तो खेतों में काम करता हूं, लेकिन बेटे ने अपनी सफलता से हमें खुशी दी है। बेटे को मेरा आशीर्वाद है कि वह आगे बढ़े और जो चाहे वह उसे मिले। दैनिक जागरण और आई नेक्स्ट को मैं धन्यवाद देना चाहता हूं।

- करण महतो, रोशन के पिता

रोशन की इस सफलता ने यह साबित कर दिया कि छोटे से गांव का रहने वाला बच्चा भी नेशनल लेवल पर अपना नाम कर सकता है। हमारे स्कूल का वह स्टूडेंट है इसलिए हमारी खुशी तो कई गुना बढ़ गई है। इससे यह भी पता चलता है कि शहर के बड़े स्कूल्स में ही नहीं बल्कि दूर-दराज के स्कूलों में भी अच्छी पढ़ाई होती है।

- सत्यानंद प्रधान, प्रिंसिपल, अशोका इंटरनेशनल स्कूल, खरसावां