शाकिंग: अंडरग्राउंड केबिल में फाल्ट से पता चला खराब है फाल्ट लोकेटर मशीन

मेन लाइन की केबिल में फाल्ट आया होता तो अंधेरे में डूब जाता पूरा शहर

मशीन को बनाने के लिए भेजा जाएगा दिल्ली, बनकर आने में लगेंगे 15 दिन

ALLAHABAD: प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद बिजली आपूर्ति से लेकर ट्रांसफार्मर खराब होने जैसी दिक्कतों को दूर करने के लिए हेल्पलाइन नम्बर भले ही दिया गया है लेकिन इलाहाबाद में बड़े बिजली घरों से छोटे बिजली घरों को बिजली आपूर्ति करने वाली 33 केवीए अंडरग्राउंड लाइनें मुश्किलों के अम्बार पर बैठी हुई हैं। यदि लाइन में केबिल फाल्ट हुआ तो सप्लाई ठप हो जाएगी, क्योकि फाल्ट चेक करने वाली इकलौती फाल्ट लोकेटर मशीन खराब है। उसे खराब हुए एक माह से अधिक हो गए हैं, लेकिन अब तक ठीक कराने की जरूरत नहीं महसूस की गई है। शहर में 80 फीसदी अंडरग्राउंड केबिल लाइनें हैं।

एक सप्ताह पहले कमी उजागर

बिजली घर के गोदाम में खराब पड़ी फाल्ट लोकेटर मशीन को गुपचुप तरीके से रखा गया है। मामला तब पकड़ में आया जब एक सप्ताह पहले 220 केवीए मिंटो पार्क से 33 केवी कल्याणी देवी विद्युत उपकेन्द्र को बिजली आपूर्ति करने वाली लाइन में फाल्ट आया। मशीन को ढूढ़ने का प्रयास किया गया तो पता चला कि वह महीनेभर से खराब है।

लखनऊ से किराए पर मंगाई गई

इसके बाद विभागीय कर्मचारियों ने हाथ खड़ा कर दिया क्योंकि बिना मशीन के फाल्ट को पकड़ा नहीं जा सकता था। तब लखनऊ की टाटा कंपनी से लोकेटर मशीन मंगाई गई। फाल्ट ठीक करने में पूरा एक दिन का समय लगा। इसके चलते मीरापुर, दरियाबाद व अटाला जैसे इलाकों में लोग बिना बिजली और पानी के रहे। खास बात यह है कि फाल्ट ठीक कराने के लिए कंपनी को 15 हजार रुपए का भुगतान किया गया था।

तीन साल पहले आई थी मशीन

शहर में 33 केवीए अंडरग्राउंड केबिल की फाल्ट पकड़ने के लिए तीन साल पहले फाल्ट लोकेटर मशीन मंगाई गई थी। यह मशीन हूबहू जेसीबी की तरह है। इसकी कीमत 1.5 करोड़ रुपए है। यही नहीं जब तक मशीन ठीक नहीं हो जाती है तब तक फाल्ट होने पर किराए पर मशीन मंगाई जाएगी और प्रति फाल्ट 15 हजार रुपए का भुगतान भी करना पड़ेगा।

दो महीने से लोकेटर मशीन खराब है। यूपी में इसकी मरम्मत नहीं होती। इसे ठीक कराने के लिए दिल्ली भेजा जाएगा। इसमें 15 दिन का समय लगेगा। अगर 33 केवीए अंडरग्राउंड केबिल की लाइन में कहीं फाल्ट आया तो मशीन किराए पर मंगाकर सही कराया जाएगा।

रत्‍‌नेश कुमार साहा, अधीक्षण अभियंता, सर्किल टू