फीरोजाबाद। वायरल का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। शहर के साथ गांवों में भी बुखार ने दस्तक देकर सैकड़ों लोगों को चपेट में लिया है। देहात में सफाई व्यवस्था सही न होने के कारण बीमारी का प्रकोप वहां पर ज्यादा है। सोमवार को कई गांवों से शिकायत आने पर स्वास्थ्य विभाग की पांच टीमें एक साथ निकलीं।

नगला गुलाल में स्वास्थ्य विभाग की दो टीमों ने पहुंच कर मरीजों की जांच की। यहां पर करीब 225 ग्रामीणों का परीक्षण किया गया है तथा इनमें से करीब 40 को बुखार की पुष्टि हुई। इनकी स्थिति गंभीर न होने पर इन्हें गांव में ही दवा के साथ उपचार शुरू कर दिया है। रक्त जांच के लिए मरीजों की स्लाइड भी तैयार कराई गई। मक्खनपुर के गांव किशनपुर में बुखार फैलने की जानकारी पर सीएमओ डॉ। विनय माथुर ने टीम भेज कर मरीजों को उपचार कराया। जसराना में भी एक टीम ने पहुंच कर मरीजों की जांच की। गांव किशनपुर में भी बुखार के दर्जनों मरीज मिले हैं। सोमवार को टीम ने गांव पहुंचकर मरीजों को दवाएं दीं। दो दर्जन से ज्यादा मरीजों की रक्त जांच के लिए स्लाइड बनाई। सोमवार को हुई जांच में हालांकि कहीं भी गंभीर स्थिति नहीं मिली है। इसके बाद भी स्वास्थ्य महकमा संजीदगी बरत रहा है।

जिला अस्पताल के साथ प्राइवेट चिकित्सकों के यहां पहुंचने वाले बुखार के मरीजों की संख्या पिछले कुछ दिनों में बढ़ गई है। खून की जांच के लिए हर रोज पैथोलॉजी सेंटर पर 20 से 25 नए मरीज पहुंच रहे हैं। इस संबंध में शहर के प्रमुख पैथोलॉजी संचालक डॉ। सुभाष शर्मा कहते हैं कि अधिकांश मरीज मौसमी बुखार से पीडि़त हैं। कुछ में प्लेटलेट्स की मात्रा कम मिली है, लेकिन यह मलेरिया में भी कम हो जाती है। डेंगू में तेजी से प्लेटलेट्स गिरती हैं, ऐसे मरीज अभी तक जांच में नहीं मिले हैं।

मलेरिया एवं अन्य बुखार में भी प्लेट्लेट्स प्रभावित होती हैं। डेंगू का खौफ है ही। ऐसे में थोड़ी सी प्लेटलेट्स कम निकलने पर भी तीमारदार प्लेटलेट्स लेने के लिए दौड़ लगा देते हैं। बीते दस दिन में ट्रॉमा सेंटर से 35 से ज्यादा मरीजों के लिए प्लेटलेट्स ली गई हैं।

वायरल की रोकथाम में ग्रामीण भी रोड़ा बन रहे हैं। पिछले दिनों शिकोहाबाद के गांव दिखतौली में बुखार से सैकड़ों ग्रामीण प्रभावित हुए थे। पांच दर्जन से ज्यादा ग्रामीणों की तबियत ज्यादा खराब होने पर उन्हें अस्पताल भेजना पड़ा था। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम मच्छरों के खात्मे के लिए गांव में दवा के छिड़काव को गई मगर ग्रामीणों ने यह कहकर दवा का छिड़काव नहीं करने दिया कि पशुओं के लिए समस्या हो जाएगी। गांव के तालाब से पशु पानी पीते हैं।