- होली से पहले बारिश और पारा गिरने से स्वाइन फ्लू के मामले बढ़ने की आंशका, होली पर भी होगा असर

- विशेषज्ञों का दावा होली में नहीं खत्म होगा स्वाइन फ्लू का वायरस, फिर से बारिश की आंशका से स्थिति होगी खराब

KANPUR: स्वाइन फ्लू कहीं होली का रंग बेरंग न कर दे। क्योंकि होली से ठीक पहले बारिश के बाद गिरे पारे ने ऐसे ही हालात पैदा कर दिए हैं। होली में भी तापमान में खास अंतर नहीं आने की आशंका मौसम वैज्ञानिक पहले ही जता चुके हैं। जिसके बाद डॉक्टर्स ने स्वाइन फ्लू के वायरस के अभी कुछ और दिन सक्रिय रहने की बात कही है। इसके नए मामले अभी भी सामने आ रहे हैं। ऐसे में डॉक्टर्स भी होली संभल कर खेलने की हिदायत दे रहे हैं।

मुंह ढक कर रहें

होली पर रंगों के प्रयोग को तो नहीं रोका जा सकता लेकिन हवा में रंग व गुलाल उड़ाने से बचना होगा। इसकी जगह ड्राई रंगों का प्रयोग करने की हिदायत विशेषज्ञ दे रहे हैं। डॉ। हेमंत मोहन बताते हैं कि स्वाइन फ्लू एयरबार्न डिसीज है। जोकि संक्रमित व्यक्ति के आसपास जाने से और उसके वायरस के हवा में ही चपेट में आने से फैलती है। ऐसे में होली में भी अगर तापमान कम रहता है तो इसके फैलने की पूरी संभावना है। ऐसे में धूल से रंगों से बचना चाहिए। इसके अलावा मुंह ढक कर रखें तो बेहतर होगा।

धूप निकलेगी लेकिन सर्द हवा से हो सकती है प्रॉब्लम

सीएसए के मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक फ्राईडे को धूप तो खिली रहेगी लेकिन हवा भी चलेगी। रात में तापमान फिर से गिरेगा लेकिन दिन में भी हवा में ठंडक रहेगी। ऐसी स्थिति में कपड़े ठीक से पहन कर ही बाहर निकले। साथ ही पानी से होली खेले तो भी सावधानी रखे।

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वायरल का सीजन है

सीनियर फिजीशियन डॉ। मनप्रीत सिंह बताते हैं कि इस सीजन में वायरल, टायफाइड, सर्दी, खांसी के पेशेंट्स ज्यादा आ रहे हैं ऐसे में होली खेलते टाइम भी सावधानी रखनी होगी। अगर जुखाम और खांसी की शिकायत है तो भीड़ जाने और रंग खेलने से बचे। इसके अलावा खाने पीने में विशेष सतर्कता बरते। बाहर की चीजों से परहेज ही बेहतर है। खोए की मिठाई से बचे। इसके अलावा आयली चीजें खाते समय इस बात का जरुर ध्यान दे कि वह अच्छे आयल या रिफांइड में फ्राई की गई हो। रंग खेलने से चेहरे और हाथों में माश्चराइजर और बालों में तेल जरुर लगाए।