- सरकारी नियंत्रण हटते ही मेडिकल कॉलेजों में एमडी व एमएस की फीस बढ़ाई

- एमबीबीएस की फीस बढ़ाने का रास्ता भी हुआ साफ

DEHRADUN: प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों को फीस बढ़ाने की छूट मिलने के साथ ही दून के सभी तीन मेडिकल कॉलेजों ने एमडी और एमएस की फीस तीन गुना तक बढ़ा दी गई है। अब एमबीबीएस की फीस बढ़ाने की तैयारी है। बताया जा रहा है कि इसमें भी तीन गुना का इजाफा किया जाएगा। अगर ऐसा हुआ तो कई स्टूडेंट्स को डॉक्टरी की पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ सकती है।

पुराने बैच को लेकर गफलत

पिछले दिनों हुई कैबिनेट बैठक में प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों को फीस बढ़ाने की छूट दी गई थी। इसके बाद फ्राइडे को प्राइवेट कॉलेजों की फीस निर्धारित करने के लिए बनाई गई कमेटी ने भी इसी तरह का फैसला लिया। हालांकि फीस वृद्धि के दायरे में केवल फ‌र्स्ट इयर में प्रवेश लेने वाले स्टूडेंट्स आएंगे या फिर पुराने बैच के छात्रों पर भी फीस बढ़ोत्तरी लागू होगी, यह अभी तय नहीं है।

अब एमबीबीएस की फीस बढ़ेगी

जुलाई में मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस के प्रवेश होने हैं। पिछले वर्ष लंबे विवाद के बाद प्रवेश एवं शुल्क नियामक समिति ने एमबीबीएस के लिए 5 लाख रुपये फीस निर्धारित की थी, लेकिन अब यह 15 लाख तक हो सकती है।

छूट सकती है पढ़ाई

यदि फीस बढ़ोतरी पुराने बैचेज पर भी लागू की जाती है तो इससे पुराने बैचेज के सैकड़ों स्टूडेंट्स को डॉक्टरी की पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ सकती है। जिन पैरेंट्स ने 5 लाख फीस ध्यान में रखकर अपने बच्चों को एमबीबीएस में एडमिशन दिलवाया था, यदि अब उन्हें दो से तीन गुणा फीस अधिक देनी पड़ेगी तो संभव है वे इतने पैसे की व्यवस्था न होने पर मजबूरन अपने बच्चे से डॉक्टरी की पढ़ाई छुड़वानी पड़ेगी।

पैरेंट्स में भारी नाराजगी

फीस बढ़ोतरी को लेकर पैरेंट्स में जबरदस्त नाराजगी है। कुछ पैरेंट्स ने एक प्रेस नोट जारी करके कहा है कि यदि प्राइवेट मेडिकल कॉलेज पहले की तरह फिर से फीस 65 हजार और 85 हजार निर्धारित करते हैं तो तीनों प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे 450 स्टूडेंट्स में से करीब 350 परिवारों की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि इतनी फीस भर सकें। ऐसे में उन्हें अपने बच्चों की पढ़ाई करनी छुड़वानी पड़ सकती है।

यह एक भयानक स्थिति है। फीस में इस तरह की बढ़ोत्तरी का मतलब यह है कि गरीब प्रतिभावान छात्रों के लिए डॉक्टरी के रास्ते पूरी तरह से बंद करने की तैयारी कर दी गई है। नीट में अच्छी रैंक वाले छात्रों के परिवार की स्थिति यदि एक करोड़ रुपये तक खर्च करने की नहीं है तो ऐसे बच्चों को डॉक्टर बनने के सपने को छोड़ना पड़ेगा।

- वीपी जोशी, परेंट।

प्राइवेट कॉलेजेज अब यूनिवर्सिटी एक्ट के अंतर्गत आ गये हैं। हर यूनिवर्सिटी को अपनी फीस स्ट्रक्चर खुद बनाने का अधिकार है। इसलिए अब इससे सरकारी नियंत्रण हटा दिया गया है। फीस बढ़ोत्तरी केवल नये बैच पर लागू होगी या पुराने बैच के स्टूडेंट्स को भी बढ़ी हुई फीस देनी पड़ेगी, इस बारे में अब तक कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं हैं। कैबिनेट की बैठक और फीस कमेटी की फैसले की अभी लिखित जानकारी हमारे पास नहीं है।

डॉ। आशुतोष सयाना, निदेशक, मेडिकल एजुकेशन।