मुख्य प्रायोजकों में से एक बहुराष्ट्रीय कंपनी सोनी ने बोली लगाने के दौरान में घपले के दावों की 'उपयुक्त जांच' की मांग की है.

इस बीच ब्रिटेन के अख़बार  दि संडे टाइम्स ने लाखों गोपनीय सूचनाओं के आधार पर नए तथ्य प्रकाशित किए हैं.

क़तर को दिसंबर 2010 में वर्ष 2022 के फ़ुटबॉल विश्व कप के आयोजन का अधिकार मिला था.

इस फ़ैसले पर जांच का दबाव फ़ीफ़ा के उपाध्यक्ष जिम बॉयसी के उस बयान के बाद बढ़ गया जिसमें उन्होंने कहा था अगर भ्रष्टाचार के आरोप साबित हो जाते हैं तो वह नए मेज़बान देश की तलाश के लिए दोबारा मतदान कराने का समर्थन करेंगे.

पिछले सप्ताह दि संडे टाइम्स ने दावा किया था कि क़तर के पूर्व फ़ीफ़ा उपाध्यक्ष मोहम्मद बिन हम्माम ने दिसम्बर 2010 में क़तर को आयोजन का अधिकार दिलाने के लिए समर्थन पाने के मकसद से पूरी दुनिया में फुटबॉल अधिकारियों को 30 लाख पाउंड ( क़रीब 30 करोड़ रुपये) रिश्वत के तौर पर दिए.

आरोप

फ़ुटबाल विश्वकप: क़तर की मेज़बानी के फैसले पर जांच की मांग

बिन हम्माम पर यह आरोप है कि उन्होंने अपने देश के लिए इस टूर्नामेंट को सुरक्षित करने के लिए क़तर के शाही परिवार और सरकार से जुड़े अपने उच्चस्तरीय संपर्कों का इस्तेमाल किया.

कुछ ईमेल के मुताबिक़, 2018 और 2022 के  विश्व कप के लिए होने वाले मतदान से एक महीने पहले बिन हम्माम ने रूस और क़तर के बीच द्विपक्षीय संबंधों की चर्चा करने के लिए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाक़ात की.

इसके अलावा उन्होंने थाईलैंड के फ़ीफ़ा अधिकारियों से भी सरकारी स्तर की बातचीत कर क़तर से थाईलैंड तक गैस का आयात करने के क़रार को आगे बढ़ाने की बात कही.

हालांकि क़तर की आयोजन समिति ने किसी भी तरह की गड़बड़ी के आरोपों को ख़ारिज करते हुए कहा है कि बिन हम्माम ने आधिकारिक या अनौपचारिक तौर पर बोली में कोई भूमिका नहीं निभाई है.

हालांकि कुछ ईमेल से अंदाज़ा मिलता है कि बिन हम्माम को वर्ष 2012 में किसी दूसरे भ्रष्टाचार के मामले में उनकी कथित भूमिका के लिए  फ़ुटबॉल से जुड़े रहने पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया गया था.

लेकिन इसके बावजूद वह क़तर के पक्ष में बोली लगाने के लिए पुरज़ोर कोशिश कर रहे थे.

हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि बिन हम्माम या फिर बोली प्रक्रिया की वजह से फ़ीफ़ा के नियमों का उल्लंघन हुआ है.

अनियमितता के आरोप

-सबसे पहले जुलाई 2011 में रिश्वत देने की कोशिश का दोषी पाये जाने के बाद बिन हम्माम पर आजीवन प्रतिबंध लगाया गया था.

-ये आरोप उस वर्ष फ़ीफ़ा अध्यक्ष के चुनाव में वोट जुटाने के संदर्भ में थे.

-हालांकि एक वर्ष बाद खेलों के लिए गठित एक न्यायालय ने इस प्रतिबंध को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि सजा के लिए पर्याप्त साक्ष्य नहीं थे.

-बिन हम्माम ने उस समय कहा था कि उन्होंने फ़ुटबाल का बहुत विद्रूप चेहरा देखा है और उन्होंने इस खेल से विदा ले लिया.

-एशियन फ़ुटबाल कान्फेडेरेशन के अध्यक्ष के पद पर रहते हुए हितों के टकराव के लिए हम्माम पर दिसम्बर 2012 में फ़ीफ़ा ने दूसरी बार आजीवन प्रतिबंध लगा दिया.

-मार्च 2014 में दि डेली डेली टेलीग्राफ ने ख़बर दी थई कि बिन हम्माम की मालिकाने वाली एक कंपनी ने पूर्व फ़ीफ़ा अध्यक्ष जैक वार्नर और उनके परिवार को 10 लाख पौंड का भुगतान किया था. आरोप था कि क़तर के मेजबानी हासिल करने के कुछ ही समय बाद यह भुगतान हुआ था.

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