रूस में अगले साल आयोजित होने जा रहे फ़ीफ़ा वर्ल्ड कप के लिए शुक्रवार को ड्रॉ निकाले गए। 32 टीमों को आठ अलग अलग ग्रुपों में रखा गया है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने ड्रॉ निकाले। टूर्नामेंट का पहला मैच मेजबान रूस और सऊदी अरब के बीच 14 जून को खेला जाएगा। रूस के 12 स्टेडियमों में मुक़ाबले होंगे और टूर्नामेंट का फ़ाइनल 15 जुलाई को खेला जाएगा।

मौजूदा चैंपियन जर्मनी को ग्रुप 'एफ' में मेक्सिको, स्वीडन और दक्षिण कोरिया के साथ रखा गया है। जबकि 2010 के चैंपियन स्पेन को ग्रुप 'बी' में पुर्तगाल, मोरक्को और ईरान के साथ रखा गया है।

पांच बार के वर्ल्ड कप चैंपियन ब्राज़ील को ग्रुप 'ई' में तो दो बार के चैंपियन अर्जेंटीना को ग्रुप 'डी' और 1998 में कप अपने नाम करने वाली फ़्रांस की टीम को ग्रुप 'सी' में रखा गया है।

ग्रुप 'एच' की किसी भी टीम ने इस टूर्नामेंट को कभी नहीं जीता। इसमें पोलैंड, कोलंबिया, सेनेगल और जापान को रखा गया है।

फीफा वर्ल्ड कप 2018 में क्या है ग्रुप ऑफ डेथ?

 

आठ ग्रुप में कौन-कौन सी टीम?

ग्रुप ए: रूस, उरुग्वे, मिस्र, सऊदी अरब

ग्रुप बी: स्पेन, पुर्तगाल, मोरक्को, ईरान

ग्रुप सी: फ़्रांस, पेरू, डेनमार्क, ऑस्ट्रेलिया

ग्रुप डी: अर्जेंटीना, क्रोएशिया, आइसलैंड, नाइजीरिया

ग्रुप ई: ब्राज़ील, स्विटज़रलैंड, कोस्टा रिका, सर्बिया

ग्रुप एफ: जर्मनी, मेक्सिको, स्वीडन, दक्षिण कोरिया

ग्रुप जी: बेल्जियम, इंग्लैंड, ट्यूनीशिया, पनामा

ग्रुप एच: पोलैंड, कोलंबिया, सेनेगल और जापान

फीफा वर्ल्ड कप 2018 में क्या है ग्रुप ऑफ डेथ?

 

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ग्रुप ऑफ डेथ

अब जबकि फ़ीफ़ा वर्ल्ड कप को लेकर उलटी गिनती शुरू हो चुकी है तो हमने आठों ग्रुप का एक विश्लेषण किया और जानने की कोशिश की कि सबसे मुश्किल ग्रुप कौन है?

इससे पहले के टूर्नामेंट की तरह इस बार कोई भी ग्रुप ऐसा नहीं है जिसे आसानी से ग्रुप ऑफ़ डेथ कहा जा सके। लेकिन ग्रुप डी को बाकी सब ग्रुप से कहीं मुश्किल ग्रुप माना जा सकता है।

इसमें अर्जेंटीना, क्रोएशिया, आइसलैंड और नाइजीरिया की टीमें हैं।

2014 की उपविजेता अर्जेंटीना के पास कई ऐसे खिलाड़ी हैं जिनकी बदौलत वो इस टूर्नामेंट को जीत भी सकते हैं। कप्तान मेसी दोबारा से फ़ाइनल में पहुंचना चाहेंगे। हालाँकि क्वालिफ़ाइंग दौर में अर्जंटीना को विपक्षी टीमों के ख़िलाफ़ कड़ा संघर्ष करना पड़ा था।

लेकिन अर्जेटीना की राष्ट्रीय फ़ुटबॉल टीम के मुख्य कोच जॉर्ज साम्पोली की निगाहें सबसे पहले ग्रुप स्टेज की मुश्किलों पर जीत दर्ज करते हुए अगले दौर में पहुंचने पर टिकी होंगी।

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इस ग्रुप में क्रोएशियाई टीम को भी मजबूत माना जा रहा है और उसके अगले दौर में पहुंचने की संभावना है। क्रोएशिया का यह पांचवां वर्ल्डकप होगा जो 2010 में क्वालीफाई करने में नाकाम रहा था।

आइसलैंड इस टूर्नामेंट में खेलने वाला सबसे छोटा देश है और साथ ही पहली बार इस टूर्नामेंट में खेल रहा है। और यूरो 2016 में उसने दिखा दिया है कि उसमें बड़ा उलटफ़ेर करने की भरपूर क्षमता है। तब उसने इंग्लैंड और ऑस्ट्रिया को हराया था जबकि पुर्तगाल और हंगरी के ख़िलाफ़ उसके मैच 1-1 की बराबरी पर छूटे थे। यूरो 2016 में आइसलैंड ने क्वार्टर फ़ाइनल तक का सफ़र तय किया था। लिहाजा इस टूर्नामेंट में भी वो कोई बड़ा उलटफेर कर सकता है।

ग्रुप की चौथी टीम ताकतवर अफ्रीकी टीम नाइजीरिया की है जो 1994 के बाद से 2006 को छोड़कर लगातार फ़ीफ़ा वर्ल्ड कप के लिए क्वालिफाई कर रही है। अब तक पांच बार फ़ीफ़ा वर्ल्ड कप खेल चुकी इस टीम में बाकी तीनों टीमों को छकाने की ताक़त है। नाइजीरिया की टीम 1994, 1998 और 2014 में प्री क्वार्टर फ़ाइनल तक पहुंचने में कामयाब रही थी।

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