6 अक्टूबर को जंतर-मंतर पर होगा देश भर के आदिवासियों का महाजुटान

जातिगत जनगणना में सरना धर्म का उल्लेख नहीं, आदिवासी समुदाय में गुस्सा

तीन अक्टूबर को झारखंड के सरना धर्मावलंबी दिल्ली के लिए होंगे रवाना

RANCHI: सरना धर्म कोड की मांग को लेकर झारखंड से आदिवासी समुदाय के लोग 3 अक्टूबर को रांची से दिल्ली कूच करेंगे। आदिवासी सरना महासभा की ओर से 6 अक्टूबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर राष्ट्रीय स्तर पर धरना दिया जाएगा। इसमें शामिल होने के लिए रांची, जमशेदपुर, रामगढ़ व आसपास के इलाकों में जन संपर्क अभियान चलाया जा रहा है। धरना में झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडि़शा समेत अन्य विभिन्न प्रदेशों से भी लोगों को आने का न्यौता दिया गया है। यह जानकारी महासभा संयोजक मंडल के शिवा कच्छप व वीरेंद्र भगत ने दी है। मालूम हो कि देश भर में करीब 12 करोड़ लोग सरना धर्म को मानने वाले हैं, वहीं सिर्फ झारखंड में 90 लाख सरना धर्मावलंबी हैं।

यह है मामला

शिवा व वीरेंद्र ने कहा कि हाल ही में हुई जातिगत जनगणना में देश भर के 12 करोड़ आदिवासियों को छला गया है। जाति आधारित कॉलम में सरना धर्म का उल्लेख ही नहीं किया गया। इससे आंकड़ों के आधार पर आदिवासियों का सही डाटा क्लीयर नहीं हो पाया है। लिहाजा, आदिवासी समुदाय पहचान और अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। अपनी भाषा, संस्कृति, पूजा स्थल और पूजा पद्धति को हिन्दू व अन्य धर्मों से अलग मानते हुए ही सरना धर्म को मानने वाले सरना धर्म कोड की मांग कर रहे हैं।

रामगढ़ में जनसंपर्क अभियान

आदिवासी महासभा की ओर से सोमवार को रामगढ़ और कुजू इलाके में जन संपर्क अभियान चलाया गया। वीरेंद्र भगत की अध्यक्षता में चलाए गए अभियान में कुजू, हजारीबाग, रामगढ़, गोला के आदिवासी समुदाय को धरना में शामिल होने की अपील की गई। इससे पूर्व महासभा की ओर से बेड़ो, नामकुम, चान्हो, खलारी, डकरा सहित अन्य इलाकों में भी अभियान चलाया गया है।

भाजपा ने दिया था आश्वासन

आदिवासी समाज में सरना धर्म कोड की मांग लंबे समय से की जा रही है। लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा के केंद्रीय नेताओं ने झारखंड के आदिवासी नेताओं को सरना धर्म कोड लागू कराने का आश्वासन भी दिया था। अब भाजपा की सरकार को साल भर से भी ज्यादा समय हो गए, लेकिन धर्म कोड लागू नहीं हुआ। इससे सरना धर्म मानने वालों में गुस्सा है।

क्या कहते हैं लोग

व्यक्ति की पहचान उसके धर्म से होती है। जातिगत जनगणना में आदिवासी समुदाय को अन्य की कैटेगरी में रखा गया है। क्या हमारी वास्तविक संख्या स्पष्ट नहीं होनी चाहिए?

-वीरेंद्र भगत, संयोजक मंडल, आदिवासी सरना महासभा

पासपोर्ट फोटो-

जैन, सिख सहित सभी छोटे-छोटे समुदायों को उनका धर्म आधारित कॉलम दिया गया है, लेकिन देशभर के 12 करोड़ आबादी की हैसियत रखने वाले आदिवासी समुदाय को धर्म कोड से वंचित कर दिया गया।

शिवा कच्छप, संयोजक मंडल, आदिवासी सरना महासभा

इतना बड़ा समुदाय है, लेकिन हमेशा से उपेक्षित रहा है। अब तक असली जनसंख्या कितनी है यही पता नहीं है। मेरी व्यक्तिगत राय है कि सरना धर्म कोड लागू होना ही चाहिए। आपसी एकजुटता के सहारे इसकी धार को और मजबूत करने की जरूरत है।

-अरुण उरांव, कांग्रेस नेता