PATNA : इसमें जीएसटीआर-ख् को लेकर वर्तमान में हलचल तेज है। अंतिम तिथि तक रिटर्न फाइल होने की उम्मीद बंधी है। हालांकि बिहार में करीब ख्.भ् लाख जीएसटी रजिस्टर्ड लोगों के लिए काम का वातावरण अन्य प्रदेशों की तुलना में बहुत अलग है। यहां छोटे और मंझोले ट्रेडर की संख्या अधिक है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि इसमें बहुप्रशिक्षित और दक्ष सीए की बजाय अधिकांश जनरल अकाउंटिंग का काम करने वाले लोगों से काम कराया जा रहा है। इसमें समस्याएं आ रही है और वक्तभी लग रहा है।

 

ऑफलाइन से काम तेजी से निपटेगा

जुलाई का जीएसटीआर-ख् रिटर्न की डेट बढ़ाकर फ्0 नवंबर कर दिया गया है। लेकिन परेशानी फिर भी आ ही रही थी। खास कर उन बड़े ट्रेडर के सामने जिनकी इंट्रीज बहुत अधिक है। ऑनलाइन में स?िमशन कठिन था। इसके बाद जीएसटी काउंसिल ने ऑफलाइन ऑप्शन दिया है। सीए विपिन विवेक ने बताया कि ऑफलाइन में इंट्रीज तेजी से हो रही है। कहा कि जो जीएसटीआर-वन में स?िमट किया गया है वही आगे चलकर जीएसटीआर-ख् में भी स?िमट होता है।

 

क्वाटरली होने से होगी आसानी

बिहार चैम्बर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष पीके अग्रवाल ने कहा कि जीएसटीआर-ख् की फाइलिंग का सरलीकरण किया जा रहा है। उन्होंने आशा व्यक्त किया कि मंथली की बजाय क्वाटरली रिटर्न का सुझाव स्वीकार हो सकता है। टैक्स मंथली रहेगा लेकिन इसकी रिटर्न इन तीन महीनों में एक ही साथ हो। आगामी दस नंबर को गुवाहाटी में होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में ग्रुप ऑफ मिनिस्टर के सुझाव स्वीकार कर लिये जाएं तो परेशानियां दूर हो सकती है।

 

जीएसटीआर ख् की महत्वपूर्ण बात

जीएसटीआर ख् एक मंथली रिटर्न है जिसमें टैक्सेबल गुड्स एवं सर्विसेज के इनवार्ड पर्चेज की पूरी डिटेल होती है। यदि इसे समय पर जमा नहीं किया जाता है तो वार्षिक तौर पर कुल टैक्स का क्8 प्रतिशत लेट फाइन के तौर पर देना होगा। जीएसटीआर ख् उन्हें नहीं देना है जो कि कंपोजीशन स्कीम को लिये हुए हैं। वे जो कि सिर्फ टीडीएस कलेक्ट करते हैं या टीडीएस काटते हैं।

आगामी बैठक में मंथली रिर्टन की बजाय क्वाटरली रिटर्न पर बात बन जाए। बीते कुछ दिनों में इसे जमा करने के लिए कई प्रकार की सहुलियते मिलने से ट्रेडर का काम आसान हुआ है।

पीके अग्रवाल , अध्यक्ष बिहार चैम्बर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज

पांच करोड़ एनुअल टर्न ओवर वालों को मंथली की बजाय क्वाटरली यदि हो जाए, साथ ही एचएसएन कोड भरने की बाध्यता समाप्त हो, इससे हजारों ट्रेडर को सुविधा मिलेगी।

राजेश खेतान , संस्थापक माइक्रोटैक्स एवं पूर्व आइसीएआई चेयरमैन

ऑफलाइन हो जाने जीएसटीआर ख् की फाइलिंग आसान हो गई है। जीएसटी वन और फिर जीएसटी में वह डाटा आने और उसमें आवश्यक सभी प्रकार का बदलाव का अवसर यह देता है।

विपिन विवेक, सीए