जेल प्रशासन ने सभी जेलों में इसे दिखाने की दी है अनुमति

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सेंट्रल जेल में गुरुवार को बंदी सुधार पर आधारित हिंदी फिल्म 'द मर्सी' का प्रदर्शन किया गया। जिसे देखने के लिए काफी संख्या में कैदी जुटे। खास बात ये रही कि जेल में दिखाई गई ये मूवी एक कैदी ने अपनी जिंदगी पर ही बनाई है।

प्रदेश भर की जेल में दिखाई जा रही फिल्म

अपर पुलिस महानिदेशक/महानिरीक्षक कारागार की ओर से फिल्म देखकर अनुमति मिलने के बाद प्रदेश के सभी जेलों में निरुद्ध बंदियों को इसे दिखाया जाना है। फिल्म का प्रीमियर फैजाबाद जेल में पिछले दिनों किया गया था। इसके बाद इस फिल्म को यहां केंद्रीय कारागार में दिखाया गया। इस फिल्म के डायरेक्टर और प्रोड्यूसर जय बहादुर सिंह भी एक कैदी ही रहे हैं। जय बहादुर अमेठी निवासी हैं और 1973 से 1978 तक सिपाही थे। मेरठ में तैनाती के दौरान उनसे एक दबंग की हत्या हो गई थी, जिसमें सेशन कोर्ट से उन्हें फांसी की सजा हुई जिसे हाईकोर्ट ने उम्रकैद में तब्दील कर दिया था। वर्ष 1984 में मर्सी पर शासन ने उनको रिहा कर दिया था। इसके बाद वह ग्राम प्रधान भी रहे और विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। उन्होंने बंदियों के सुधार पर आधारित फिल्म बनाने की ठानी और स्थानीय कलाकारों को लेकर फिल्म का निर्माण शुरू किया। सुल्तानपुर, अमेठी व मुंबई में फिल्म की शूटिंग हुई। जेबी सिंह ने बताया कि जोश में होश नहीं खोना चाहिए यही फिल्म की थीम है। उनका कहना था कि आर्थिक पक्ष मजबूत न होने के कारण फिल्म बनाने के लिए उन्होंने अपना खेत बेचा। तब जाकर दो घंटे की फिल्म बनी। इस फिल्म में उन्होंने खुद जेलर का रोल प्ले किया है।