- फाइनेंस कम्पनी के एजेंटों ने पीडि़त से किस्त टूटने पर छीन ली थी कार

- ओनर को सूचना दिए बगैर कार कर दी थी नीलाम, पीडि़त ने दायर किया था वाद

BAREILLY :

फाइनेंस की किस्त ब्रेक होने पर ओनर से कार छीनकर नीलाम करना फाइनेंस कम्पनी को महंगा पड़ गया। पीडि़त ने न्याय पाने के लिए फाइनेंस कम्पनी के खिलाफ कंज्यूमर फोरम में वाद दायर कर दिया। जिस पर कोर्ट ने फाइनेंस कंपनी पर 50 हजार रुपए क्षतिपूर्ति और 5 जुर्माना लगा दिया है। कोर्ट ने फाइनेंस कम्पनी को आदेश दिया कि वह पीडि़त को जुर्माना राशि का एक माह के अन्दर भुगतान कर दे अन्यथा 7 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज भी देना होगा।

वर्ष 2011 में खरीदी थी कार

सुभाषनगर थाना के मोहल्ला मढ़ीनाथ मकान नम्बर 92 निवासी अविनाश शर्मा ने दायर किए वाद में बताया कि उन्होंने 30 सितम्बर 2011 को इंडिका कार यूपी 25एएम 9350 टाटा मोटर्स रामपुर रोड से खरीदी थी। जिसके लिए उसने 80 हजार रुपए नकद और बाकी चार लाख रुपए का फाइनेंस टाटा फाइनेंस से कराया था, जिसके लिए उसे बताया कि 1,41760 रुपए ब्याज लगेगा। जिसमें कार के लिए उसे 5,41,760 रुपए भुगतान करना बताया गया। पीडि़त ने बताया कि उसने फाइनेंस कम्पनी को 2013 तक 45 किस्तों में 1,41,000 रुपए जमा कर दिए। इस बीच उसके पिता की हालत खराब हो गई और वह कार की किस्त जमा नहीं कर सका। 6 जून 2013 को वह वह कार से पिता के लिए दवा लेने जा रहा था। तभी फाइनेंस कंपनी के बाहुबलियों ने कार से उसके पिता को सिटी स्टेशन के पास रोड पर ही उतार दिया और कार छीन ली।

बगैर नोटिस कार नीलाम

अविनाश ने बताया कि फाइनेंस कम्पनी ने उसे बगैर सूचना दिए ही कार को नीलाम भी कर दिया। जबकि पेपर्स में दिखाया कि कार ओनर फाइनेंस जमा नहीं कर पाने के चलते खुद टाटा मोटर्स पर छोड़ गया। जिससे उसे नीलाम कर दिया गया। जब पीडि़त कार के लिए मोटर्स कम्पनी कार लेने के लिए गया तो उसे बताया गया कि आप की कार नीलाम कर दी गई। परेशान होकर पीडि़त ने कंज्यूमर फोरम में वाद दायर कर दिया। जिस पर सुनवाई करते हुए फोरम ने माना कि फाइनेंस कंपनी को कार ओनर को जमा करना चाहिए, लेकिन बगैर सूचना दिए किसी की कार बेचने पर फाइनेंस कम्पनी को दोषी माना और साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए कहा। जिस पर फाइनेंस कम्पनी के ओर से मनु शर्मा और अभिषेक ग्रोवर ने साक्ष्य प्रस्तुत किए तो उसमें कार ओनर को कार नीलामी की सूचना नहीं देना पाया गया। जिसके बाद कंज्यूमर फोरम के अध्यक्ष ने फाइनेंस कम्पनी को दोषी करार दिया और टाटा मोटर्स फाइनेंस ब्रांच बरेली और टाटा मोटर्स फाइनेंस प्रबंधक थाणे मुंबई पर 55 हजार रुपए का जुर्माना लगाया।