पुलिस और प्रशासन के आंकड़ों में करीब दोगुने का अंतर

-16000 से ज्यादा लाइसेंस धारक प्रशासन के रिकॉर्ड में

- 8000 के करीब है पुलिस रिकॉर्ड में संख्या

- 5858 लाइसेंसधारक शहर में हैं मौजूद

- 900 से ज्यादा लाइसेंसी हथियार हो चुके हैं जमा

Priyank.mohan@inext.co.in

DEHRADUN

इन दिनों विधानसभा चुनावों से पहले पुलिस-प्रशासन हथियार जमा करवाने का काम कर रहे हैं, लेकिन पुलिस विभाग और जिला प्रशासन के आंकड़ों के बाद असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है। दरअसल दोनों ही विभागों के पास लाइसेंसी हथियार धारकों के आंकड़े अलग-अलग हैं। पुलिस विभाग के पास वर्तमान में शस्त्र लाइसेंसों के जो आंकड़े हैं वो प्रशासन के आंकड़ों से मेल नहीं खाते। दोनों के रिकॉ‌र्ड्स में करीब करीब दोगुने का अंतर है। प्रशासन के पास जो रिकॉर्ड है वो पुलिस विभाग के आंकड़ों से दोगुना है।

पुलिस ने इश्यू किए नोटिस

एसपी सिटी अजय सिंह ने बताया कि शहर में शस्त्र लाइसेंसों को लेकर पुलिस विभाग ने स्क्रूटनी शुरू कर दी है। चुनाव आयोग के जो भी निर्देश दिए गए हैं पुलिस उसके अनुसार ही काम कर रही है। उन्होंने बताया कि राजधानी के बीचों बीच शहर में आने वाले क्0 थानों में भ्8भ्8 लाइसेंसी शस्त्र धारक हैं। इनमें कोतवाली में सबसे ज्यादा करीब डेढ़ हजार शस्त्र धारक हैं। इन सभी को लाइसेंसी हथियार जमा करने के लिए नोटिस इश्यू कर दिए गए हैं। अगर कोई व्यक्ति अपना हथियार चुनावों के दौरान पुलिस को जमा नहीं करता है तो उनके लाइसेंस को निरस्तीकरण की संस्तुति दी जाएगी।

प्रशासन का आंकड़ा ज्यादा क्यों?

वहीं जिला प्रशासन के आंकड़ों की बात की जाए तो पूरे जिले में पिछले साल के आंकड़ों के अनुसार क्ब्म्00 से ज्यादा शस्त्र लाइसेंस जारी हो चुके थे। विभाग के अनुसार इन आंकड़ों में जिले के रेवन्यू इलाकों के लाइसेंस भी शामिल हैं। एसएसपी स्वीटी अग्रवाल ने बताया कि जिला प्रशासन के पास जो आंकड़े हैं वो सिर्फ लाइसेंसों की संख्या है। जबकि पुलिस विभाग के पास जो आंकड़े हैं उनमें लाइसेंसी हथियार शामिल हैं।

ये है वर्तमान में सिटी स्थिति

थाना लाइसेंस

कोतवाली क्भ्म्0

पटेलनगर फ्म्क्

बसंत विहार म्ख्भ्

नेहरू कॉलोनी भ्फ्फ्

कैंट भ्98

डालनवाला 7म्0

क्लेमेंटाउन फ्फ्भ्

प्रेमनगर क्फ्फ्

राजपुर ब्ख्ख्

रायपुर भ्ख्भ्

सिटी में कुल भ्8भ्8

अन्य ख्क्फ्0

पूरे जिले में कुल 7988

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ये पुलिस विभाग के आंकड़े हैं।

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फैशन बन गया है हथियार रखना

राजधानी में हथियार के लाइसेंस को लेने के लिए आवेदक तरह-तरह की दलीलें जिला प्रशासन को देते हैं। दरअसल शस्त्र लाइसेंस लेने और उसको इस्तमाल के लिए एक जटिल प्रक्रिया होती है। इसमें शस्त्र रखने का कारण स्पष्ट करना होता है। पहले किसानों और कारोबारियों में लाइसेंस लेने का चलन ज्यादा था, लेकिन वर्तमान में ट्रेंड बदल गया है। अब लाइसेंसी हथियार रखना एक फैशन भी बन गया है। इस वजह से भी पिछले कुछ सालों में लाइसेंसों की संख्या जिले में बेतहाशा बढ़ी है।

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पुलिस विभाग के पास लाइसेंसी हथियार धारकों की संख्या है। जिला प्रशासन के पास रेवन्यू एरिया के भी लाइसेंसों की संख्या है, शायद इसी वजह से भी आंकड़े ऊपर नीचे हो सकते हैं।

स्वीटी अग्रवाल, एसएसपी देहरादून