i Reality Check

- शहर के पुराने बाजारों में आग से निपटने का नहीं है कोई इंतजाम

- दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के रियल्टी चेक में खुली पोल

GORAKHPUR: गोलघर के बलदेव प्लाजा में अगलगी की घटना से आग से निपटने की तैयारियों की पोल खुल चुकी है लेकिन खतरे इससे भी अधिक हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने शुक्रवार को जब सिटी के पुराने मार्केट का रिएल्टी चेक किया तो हैरानी का ठिकाना न रहा। इन बाजारों में फायर फाइटिंग का इंतजाम तो छोडि़ए, फायर ब्रिगेड की गाडि़यों के पहुंचने के लिए रास्ता तक नहीं है। कई बाजारों की स्थिति तो ऐसी कि वहां पंप वाले वाहन भी लेकर जाना मुश्किल है। लापरवाही ऐसी कि एक चिंगारी ही सबकुछ खाक कर देगी।

भालोटिया मार्केट

पूर्वाचल की सबसे बड़ी दवा मंडी

- 55 साल पुरानी

- मार्केट में दवा की कुल दुकानें - 300

- दुकान ओनर और कर्मचारी - 1900

- मार्केट में रोजाना आने वाले- 10 से 15 हजार

ये है स्थिति

- गिनी-चुनी दुकानों पर फायर इस्टिंग्यूशर की व्यवस्था

- आग लगने पर दमकल की गाडि़यां नहीं पहुंच पाएंगी

- मार्केट में तारों के फैले जाल से रोजाना शॉर्ट सर्किट का खतरा

- सड़क पर पार्किंग, इमरजेंसी के दौरान बच निकलने की जगह का अभाव

कोट्स

भालोटिया मार्केट में आग का खतरा रोजाना बना रहता है। दुकानों की संख्या बढ़ती जा रही है। लेकिन आग से बचने का कोई उपाय नहीं किया गया है। दवा विक्रेताओं के साथ ही प्रशासनिक अमला भी इसको लेकर कभी गंभीर नहीं हुआ। गिनी-चुनी दुकानों पर आग बुझाने वाला यंत्र मिलेगा। वह भी प्रॉपर जांच पड़ताल के अभाव में जरूरत पर काम आएगा या नहीं, इस बात का कोई भरोसा नहीं है।

- अरुण बंका, दवा कारोबारी

इस मार्केट में हम लोग रोजाना आते हैं। पूरा बाजार गत्तों से भरा पड़ा है। तारों का जाल चारों और फैला हुआ है। यहां पार्किंग की कोई सुविधा नहीं है। मुख्य रास्ते पर ही सबकी गाडि़यां खड़ी होती हैं। अचानक जरूरत पड़ने पर फायर ब्रिगेड नहीं पहुंच पाएगा।

- अभिषेक राय, मेडिकल रिप्रजेंटेटिव

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साहबगंज मंडी - करीब 65 साल पुराना बाजार

- राशन, किराना, घी-तेल, रस्सी-सुतली, गल्ला सहित कई वस्तुओं का थोक-फुटकर कारोबार

- छोटी-बड़ी कुल दुकानें - 470

- ओनर और कर्मचारी- दो हजार

- रोजाना मार्केट में आने वाले- 20 से 25 हजार

ये है स्थिति

- तंग गलियों में बनी दुकानों में छोटे अग्निशमन वाहन नहीं पहुंच सकेंगे।

- प्लास्टिक, गुड़, चीनी, तेल-घी सहित कई ज्वलनशील चीजों से भरा-पटा बाजार

- दुकानों, गोदामों में आग बुझाने का कोई इंतजाम नहीं है।

- 1994 में भीषण आग लगने पर पानी का इंतजाम नहीं हो पाया था। तब बालू फेंककर आग को काबू किया गया।

कोट्स

मुख्य बाजार को छोड़ दिया जाए तो तंग गलियों में सैकड़ों दुकानें हैं। इन दुकानों में किसी तरह की घटना होने पर फायर ब्रिगेड की गाडि़यां नहीं पहुंच सकेंगी। कुछ ही दुकानदार दुर्घटनाओं को लेकर सजग हैं। इसलिए वह लोग अपने पास अग्निशमन यंत्र रखते हैं। लेकिन किसी हादसे की दशा में यहां पर अग्निशमन विभाग को पानी नहीं मिल पाएगा। इसके बारे में हम सभी को सोचना होगा।

मनीष चांदवासिया, अध्यक्ष, चेंबर आफ ट्रेडर्स, साहबगंज

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घंटाघर- 60 साल से अधिक पुराना मार्केट

- कपड़ों, ज्वेलरी सहित अन्य चीजों का थोक और फुटकर कारोबार

- गीता प्रेस, आसपास एरिया में कपड़े की दुकानों की तादाद - 150

- घंटाघर में ज्वेलरी शॉप्स, कारीगरों की दुकानें- 1300

- घंटाघर, पांडेयहाता में छोटी- बड़ी दुकानों की संख्या - 300

- शाहमारूफ में कपड़े, प्लास्टिक सामान, बिसाता, जूते की दुकानें - 200

- घनी आबादी के बीच दुकान और उनके गोदाम बने हैं।

- दुकान मालिक और कर्मचारियों की संख्या- 11600

- रोजाना बाजार में फुटकर और थोक कारोबार के लिए आवागमन- 30 से 35 हजार

ये है स्थिति

- बड़ी दुकानों पर आग बुझाने का प्रबंध, बाकी सभी भगवान भरोसे

- गलियों में अग्निशमन यंत्र के पहुंचने की कोई व्यवस्था नहीं है

- दो बड़ी शॉप्स पर आग बुझाने का प्रबंध कराया गया है

- घटना होने पर माया टॉकीज से पानी लेना पड़ता है

यहां पर एक दो बड़ी दुकानों पर ही आग बुझाने का प्रबंध है। ज्यादातर दुकानों पर छोटे उपकरण भी नहीं मिलेंगे। इस क्षेत्र में अगलगी की कई बड़ी घटनाएं हो चुकी हैं। इस तरह के किसी भी हादसे से निपटने की पूरी तैयारी होनी चाहिए। हम कोशिश करेंगे कि सभी व्यापारियों से बात करके आग से सुरक्षा के उपाय किए जाएं।

- राजेश नेभानी, अध्यक्ष, थोक वस्त्र व्यवसायी वेलफेयर सोसायटी

जिसे जहां पर जगह मिली है, वहीं पर गोदाम बना दिया है। यहां पर दुकान बनाते समय किसी ने इसके बारे में नहीं सोचा। आग की घटनाओं को रोकने के लिए व्यवस्था होनी चाहिए।

- सोमेन अग्रवाल, शॉप ऑनर

ज्वेलरी मार्केट में सबके पास अग्निशमन यंत्र का इंतजाम है। फेमस शॉपकीपर्स ने अपनी दुकानों पर फायर फाइटिंग सिस्टम भी लगा रखे हैं। यहां पर फायर ब्रिगेड की गाडि़यों के पहुंचने में कोई प्रॉब्लम नहीं होती है।

शरद चंद अग्रहरी, अध्यक्ष, सर्राफा मंडल

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बॉक्स में लगाएं

दो साल के भीतर आग से हुआ नुकसान

वर्ष 2016

कुल अगलगी - 836

आग में नुकसान- करीब 44 करोड़ रुपए

अग्निकांड में झुलसने से मौत - 03

वर्ष 2017 - मार्च तक

कुल अगलगी - 81

नुकसान - करीब 1.5 करोड़

मौजूदा संसाधन

मैन पावर

एफएसओ 01

एफएसएसओ 02

एलएफएम 15

उपलब्ध गाडि़यां

फोम टेंडर 01

वॉटर ब्राउजर 02

वाटर टेंडर, बड़े 06

वाटर टेंडर छोटे 04

बोलेरो कैंपर 04

हाई प्रेशर 04

हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म 01