- पांच दमकल गाडि़यों में सिर्फ एक अत्याधुनिक, चार दमकल जर्जर

- भीषण अग्निकांडों में पड़ोसी जिलों से बुलाई जाती दमकल गाडि़यां

FATEHPUR : संसाधनविहीन अग्निशमन विभाग अपने उद्देश्य पर खरा नहीं उतर पा रहा है। जिसकी वजह से प्रतिवर्ष हाड़तोड़ पसीना बहा कमाकर अर्जित की गई करोड़ों रुपए की संपत्ति जलकर खाक हो रही है। प्रतिष्ठान व रेस्टोरेंटों की सुरक्षा भी भगवान भरोसे बनी हुई है। हालत यह है कि रेस्टोरेंट व बड़ी इमारतों में विभागीय शिथिलता के चलते अभी तक एनओसी तक नहीं जारी की गई है। हालांकि अग्निशमन यंत्र लगे हैं लेकिन वह भी मानक के विपरीत। जिससे आग का खतरा मंडराता रहता है।

सिर्फ तीन फायर स्टेशन

जिले की सत्ताईस लाख आबादी के बीच सदर, ¨बदकी व खागा में सिर्फ तीन फायर स्टेशन हैं। बताते चलें कि ¨बदकी फायर स्टेशन मे दो कंडम दमकल गाडि़यां व खागा फायर स्टेशन में एक दमकल गाड़ी है। शहर क्षेत्र के शांतीनगर स्थित फायर स्टेशन में एक कंडम व एक अत्याधुनिक दमकल गाड़ी है। अत्याधुनिक गाड़ी को छोड़कर सभी चारों दमकल गाड़ी कंडम हैं। आग लगने की सूचना पर पानी भरने के लिए सदर मुख्यालय में 50 हजार लीटर पानी का टैंक बना हुआ है, लेकिन अन्य फायर स्टेशनों में ऐसी सुविधा नहीं है। हालांकि जिले में 53 नलकूप पानी लेने के लिए बनाए गए हैं। आग लगने की सूचना पर दमकल गाडि़यों से पानी वहीं से ही भरा जाता है लेकिन 23 ऐसे नलकूप हैं जिनमें फ्लैंच ही नहीं लगे हैं। जिससे वह ठूंठ बने हुए हैं। यही कारण है कि भीषण गर्मी में किसान हाड़तोड़ पसीना बहाकर अनाज गेहूं, अरहर, लाही, चना, धान आदि की फसल तैयार करता है और शार्ट सर्किट से यदि आग लग गई तो लोकल जर्जर दमकल गाडि़यां जब पहुंचती है तब तक किसान तबाह हो चुका होता है।

अब तक 61 लाख की संपत्ति खाक

बताते चलें कि अभी दो वर्ष पूर्व सदर कोतवाली के भिटौरा रोड स्थित बिसौली गांव में रस्तोगी राइस प्लांट में शार्ट सर्किट से आग लग गई थी जिसकी आग बुझाने के लिए पड़ोसी जिले कौशांबी, कानपुर व बांदा की गाडि़यां आई थी लेकिन तब भी राइस मिल मालिक का 40 लाख रुपए से अधिक का नुकसान हो गया था। हालांकि वर्ष 2015 में प्रत्येक वर्ष की अपेक्षा अग्निकांड की कम घटनाएं हुई लेकिन अब तक 61 लाख की संपत्ति खाकर हो चुकी है।

मानक के अनुसार नहीं लगे यंत्र

सुरक्षा के लिए स्कूल, कालेज, प्रतिष्ठान, सरकारी अस्पताल, प्राइवेट नर्सिंग होम व बड़ी इमारतों में अग्निशमन यंत्र लगाए गए हैं लेकिन यदि चे¨कग की जाए तो कहीं भी मानक के अनुसार यंत्र नहीं लगे मिलेंगे। विभागीय शिथिलता के चलते बड़े बड़े प्रतिष्ठान मालिकों ने एनओसी प्रमाण पत्र तक नहीं बनवाए है जिससे आग लगने की अनहोनी पर किसी भी अप्रिय घटना से इंकार नहीं किया जा सकता।

'जिले में तीन फायर स्टेशनों के अलावा कुछ फायर स्टेशन स्वीकृत हैं, बजट अवमुक्त होते ही उन पर काम चालू करा दिया जाएगा। बड़े प्रतिष्ठान-रेस्टोंरेंट व इमारत मालिक एनओसी प्रमाण पत्र नहीं बनवा रहे हैं, उनकी नोटिस तैयार कर ली गई है, शीघ्रच्ही उच्चाधिकारियों की अनुमति लेने के बाद नोटिस उन्हें जारी की जाएगी। स्वीकार किया कि स्टाफ से लेकर चालक तक की कमी है और कंडम गाडि़यां भी है इस विकराल समस्या के लिए हेड कार्यालय लखनऊ से पत्राचार किया गया है, शीघ्र ही समस्या का निराकरण होने की संभावना है'।

- रामबाबू गौतम, मुख्य अग्निशमन अधिकारी

यह है गतिरोध

- रेस्टोरेंट्स एनओसी प्रमाण पत्र नहीं

- 53 नलकूपों में 23 बिना फ्लैंच के ठूठ

- सदर छोड़कर खागा-¨बदकी में जर्जर गाडि़यां

- 53 फायरमैनों के सापेक्ष सिर्फ 34 जवान

- 7 ड्राइवरों के सापेक्ष सिर्फ 4 चालक

- फायर स्टेशनों में एफएसओ हैं नहीं

- ली¨डग फायरमैनों का बेहद अभाव

- कई प्रतिष्ठान में नहीं लगे अग्निशमन यंत्र

- तेल की आग लगने पर फोम गाड़ी नदारत

- मानक पर प्रतिष्ठानों में लगे अग्निशमन यंत्र

यह है समाधान

-जहानाबाद व गाजीपुर समेत आठ फायर स्टेशनों की जरूरत

- एफएसओ, दरोगा व फायर जवानों के रिक्त पद भरे जाएं

- पानी के स्टोरेज के लिए शहर गांव में नहीं है व्यवस्था

- रेस्टोरेंट मालिक यंत्र लगाने के साथ एनओसी प्रमाण पत्र बनवाएं

- सभी प्रतिष्ठानों में मानक के अनुसार लगे अग्निशमन यंत्र

- गांव व शहर में बिजली के खुले तारों को बदलवाया जाए

- फायर ब्रिगेड जवान जागरूकता के लिए प्रचार प्रसार करें

चार वर्षों में करोड़ों की हुई क्षति

वर्ष आग क्षति

2012 476 6 करोड़ 64 लाख, 7 हजार

2013 486 2 करोड़ 11 लाख 45 हजार

2014 321 1 करोड़ 53 लाख 93 हजार

2015 265 61 लाख 47 हजार

क्या कहती है पब्लिक

- वर्षों से अग्निशमन विभाग की कंडम गाडि़यां लेकिन विभागीय अफसरों के ध्यान न देने समस्या जस की तस बनी हुई है और उसका खामियाजा आम जनमानस व किसान को भुगतना पड़ रहा है। हालत यह है कि आग लगने की सूचना देने के बावजूद काफी देर बाद गाड़ी मौके पर पहौंचती है।

- सर्वेश पटेल।

- अग्निशमन विभाग का फोन नंबर 05180-224233 अक्सर डेड रहता है और ठीक रहता है तो हमेशा इंगेज बना रहता है। हालांकि 101 नंबर सही है। आग लगने पर पानी के लिए नलकूपों के फ्लैंच तक नहीं सुधरवाए गए हैं जिससे व्यवस्था बदतर है। - आशीष गौड़ एडवोकेट।

-जिले में कम से कम एक दर्जन फायर स्टेशन होने चाहिए लेकिन सिर्फ तीन स्टेशन हैं। उसमें भी फतेहपुर शहर को छोड़कर खागा व ¨बदकी फायर स्टेशनों में कंडम गाडि़यां हैं जो आग लगने की सूचना पर मौके पर जब पहुंचती हैं तब तक लाखों की क्षति हो चुकी होती है।

- राकेश त्रिवेदी।

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- प्रत्येक फायर स्टेशनों में तेल की आग बुझाने वाली फोम मशीन हो ताकि पेट्रोल टंकी व फैक्ट्रियों में आग लगने पर तुरंत काबू पाया जा सके। विभागीय शिथिलता का आलम यह है कि तीनों फायर स्टेशनों में एफएसओ तक नहीं है। जवान व चालकों की कमी तो बनी ही हुई है।

- अमित श्रीवास्तव।