- आला अधिकारियों के हर रोज चेतावनी के बावजूद बंद नहीं हो रहा कूड़ा जलना

-शहर का कूड़ा उठाने की बजाय जलाकर निस्तारण कर रहे सफाईकर्मी

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सीन-1

कबीर नगर कॉलोनी में हर दो-चार दिन में आने वाले सफाईकर्मी इलाके के कूड़े को जगह-जगह जमा कर देते हैं। उसे उठाने की बजाय मौका देखकर उसमें आग लगा देते हैं। जहरीला धुआं दूर-दूर देर तक फैलता रहता है। आसपास के लोग परेशान होते रहते हैं।

सीन-2

नरिया की घनी आबादी में हर रोज बड़ी मात्रा में कूड़ा निकलता है। सफाईकर्मी रोज तो नहीं लेकिन हर दो-तीन दिन बाद आते हैं। कूड़ा इकट्ठा करते हैं और उसमें आग लगा देते हैं। उनकी इस हरकत का विरोध कई बार स्थानीय लोगों ने किया लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला।

शहर में कूड़ा जलाने को रोकने के लिए नगर निगम से लेकर स्थानीय प्रशासन तक ने तरह-तरह के हथकंडे अपनाए लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। हर रोज कूड़े में आग लगायी जाती है और लगाने वाले वही लोग हैं, जिन पर शहर की सफाई का जिम्मा है। लाख कोशिश के बाद भी कोई नहीं जानता है कि ये कूड़े की आग कब बुझेगी? इससे हवा में जहर घुल रही है। स्मॉग की समस्या बढ़ रही है। धुंध की चादर गहरी होती जा रही है। नगर निगम ने कूड़ा जलाने वालों के खिलाफ एफआईआर कराने का फरमान तक जारी कर दिया है। कमिश्नर ने भी कड़ी कार्रवाई की बात कही है।

आखिर कूड़ा जाए कहां?

-शहर में डेली 650 मीट्रिक टन कूड़ा होता है। इसका निस्तारण कैसे किया जाए? इसका कोई ठोस उपाय नगर निगम के पास नहीं है

रमना डम्पिंग ग्राउंड में काफी मात्रा में कूड़ा पहुंचाया जाता है। बहुप्रतीक्षित करसड़ा प्लांट अभी पूरी क्षमता से काम नहीं कर रहा है

-थोड़ी मात्रा में ही कूड़ा वहां जा पाता है। शहर को साफ-सुथरा दिखाने के चक्कर में नगर निगमकर्मी शहर के इर्द-गिर्द खाली स्थान पर काफी कूड़ा गिरा देते हैं

-कूड़ा निस्तारण का पर्याप्त इंतजाम नहीं होने से लगभग डेढ़ से दो सौ मीट्रिक टन कूड़ा शहर में रह जाता है

-बचे कूड़े को एक स्थान से दूसरे तक ले जाने की समस्या से बचने के लिए सफाईकर्मियों ने इसके निस्तारण का आसान तरीका ढूंढ लिया है

- कूड़े में आग लगा देते हैं। जलकर इसकी मात्रा काफी कम हो जाती है। उसे आसानी से इधर-उधर ठिकाने लगा देते हैं।

आंखें मूंदे हैं जिम्मेदार

कूड़ा जलाने से रोकने से लिए सबसे पहले नगर निगम ने प्रयास शुरू किया। पहले तो सफाईकर्मियों का वेतन काटने की चेतावनी दी। इससे भी नहीं माने तो उनके खिलाफ एफआईआर कराने की बात कही। लेकिन कूड़ा कहां जलता है और कौन जलाता है इसकी जानकारी नगर निगम को है ही नहीं। शहर की सफाई की निगरानी का जिम्मा सुपरवाइजर को दिया गया है लेकिन वो निगरानी पर निकलते ही नहीं है।

वहीं जिला प्रशासन भी इस पर लगाम लगाने में इसलिए नाकाम है क्योंकि उसके पास भी निगरानी का कोई इंतजाम नहीं है। जब नगर निगम या प्रशासन के पास कोई शिकायत पहुंचती है तो एक-दो दिन उस एरिया में सख्ती की जाती है और बातों से चेतावनी दे दी जाती है। इसके बाद सब कुछ पुराने ढर्रे पर।

हवा में घुल रहा जहर

-कूड़ा जलाने से कार्बन डाई ऑक्साइड, अमोनिया, सल्फर जैसी जहरीली गैसें शहर की हवा में घुल रही हैं

-जहरीली गैसों की वजह से लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है, आंखों में जलन की शिकायत है

हॉस्पिटल में सांस की मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। लोगों को खासी परेशानी हो रही है

-शहर पर स्मॉग का खतरा बढ़ गया है। सर्दी बढ़ने के साथ ही धुंध जैसे हालात हैं

-पर्यावरणविद् शहर की हवा जहरीली होने की चेतावनी दे रहे हैं।

उनका कहना है कि जिस तरह से दिल्ली स्मॉग की चादर में लिपट गया था उसी तरह बनारस भी होगा।

-अगर कूड़ा जलना नहीं रुका तो लोगों के सेहत पर इसक बुरा असर होगा।