- नरही के ड्रेस मटीरियल कारखाने में आग से दो मजदूरों की मौत

- धुआं और आग की लपटों की वजह से नहीं निकल सके बाहर

- तीन घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर पाया गया काबू

LUCKNOW :

हजरतगंज के नरही में शुक्रवार देररात स्कूल ड्रेस मटीरियल के चार मंजिला कारखाने में आग लगने से वहां सो रहे दो कारीगर जिंदा जल गए। लपटें व धुआं देख आस-पड़ोस के लोगों ने फायर कंट्रोल रूम को इसकी सूचना दी। मौके पर पहुंची फायर टेंडर्स ने तीन घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। इस अग्निकांड में करोड़ों रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है। आग की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बिल्डिंग की छत और दीवारें तक दरक गई।

दुकान के ऊपर थी चार मंजिला वर्कशॉप

नरही मोहल्ले के मूलचन्द्र कबाड़ी लेन निवासी हीरालाल कुकरेजा की रामतीर्थ मार्ग पर हीरा निटवियर के नाम से ड्रेस मटीरियल का शोरूम है। शोरूम के ऊपर चार फ्लोर हैं। जहां स्कूलों के यूनिफॉर्म तैयार करने का कारखाना है। यहां से कई जिलों में ड्रेस सप्लाई की जाती है। शुक्रवार रात करीब 1.30 बजे बिल्डिंग की तीसरे व चौथे फ्लोर से आग की लपटें उठने लगी। यह देख आसपड़ोस के लोगों की इसकी सूचना हीरालाल व फायर कंट्रोल रूम को दी।

चल रहा था नाइट शिफ्ट में काम हीरालाल के मुताबिक, उनके कारखाने में छह लोग काम करते हैं। उनके कर्मचारी शिव, राम प्रसाद, विशुनपाल और दीपू छठ पर्व मनाने के लिए अपने गांव गए हुए हैं। काम ज्यादा होने के कारण कारखाने में बाराबंकी के जहांगीराबाद बिन्दौरा रोटी गांव निवासी अनिल (28) और सीतापुर के रामपुर मथुरा भूल-भुलइया गांव निवासी राधेश्याम (55) ठहरे हुए थे। रात में शोरूम बंद होने के बाद हीरालाल कुछ देर कारखाने में रहे और फिर घर चले गए।

कारीगरों को बचाने में नाकाम

कारखाने के चौथी और तीसरे मंजिल पर आग लगी थी। आग की लपटें इतनी तेज थी कि उन्होंने आस-पास के मकानों को भी अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया था। मौके पर पहुंची हजरतगंज फायर स्टेशन की चार फायर टेंडर्स को सकरी गलियां होने की वजह से कारखाने तक पहुंचने में काफी परेशानी हुई। मौके पर पहुंचे फायर कर्मियों को हीरालाल ने बताया कि उनके दो कर्मचारी अनिल और राधेश्याम बिल्डिंग में ही फंसे हैं। उन्होंने दोनों कारीगरों को बचाने की गुहार लगाई। फायरकर्मियों ने दोनों को बाहर निकालने की कोशिश शुरू की। लेकिन, बिल्डिंग की सीढि़यों में धुआं भरा होने की वजह से फायरकर्मी भीतर दाखिल होने में नाकाम रहे। करीब तीन घंटे बाद आग पर काबू पाया जा सका, जिसके बाद फायरकर्मी बिल्डिंग के भीतर पहुंचे। जहां अनिल और राधेश्याम की झुलसी हुई लाशें बरामद हुई।

हॉस्टल में मची भगदड़, छात्र चोटिल

कारखाने में कपड़े और ऊन के चलते आग ने विकराल रूप ले लिया था। आग की लपटों ने दूसरी मंजिल को भी अपनी चपेट में ले लिया था। लपटों की वजह से कारखाने की छत पर रखी पानी की टंकी पिघल गई। पड़ोस के हॉस्टल से छात्र निकल कर बाहर की तरफ भागे। इस दौरान कुछ छात्र चोटिल भी हो गए। फायर कर्मियों ने पड़ोसी पुत्तू अवस्थी के कॉम्प्लेक्स और कई अन्य लोगों की छत से चढ़कर बिल्डिंग से उठ रहीं लपटों पर पानी की बौछार कर आग बुझाने की कोशिश की।

टीन पर गिरा मलबा बचा परिवार

फायरकर्मी कारखाने के पड़ोस में स्थित बबुआ गारमेन्ट्स की इमारत पर चढ़े। इसके बाद कारखाने की छत पर पहुंचे। कमरे भीतर से बंद होने के कारण फायरकर्मियों ने दीवार तोड़ी। जिससे मलबा पड़ोसी मोहम्मद नईम व नफीस के टीन पर गिरा। जिससे टीन क्षतिग्रस्त हो गई। गनीमत रही कि नईम, नफीस बहन रूखसाना और शबनम घर के बाहर थे।

अंधेरे के बीच मची चीखपुकार

आग लगने की सूचना पर सुरक्षा के मद्देनजर पूरे इलाके की बिजली सप्लाई काट दी गई। अंधेरे और भीषण धुएं के बीच लोगों की चीख पुकार से इलाका गूंजता रहा। तीन घंटे की मशक्कत के बाद फायर कर्मियों ने सुबह के 4.30 बजे आग पर काबू पाया। कारखाने में फैला धुआं कुछ छटा तो कुकरेजा परिवार के लोग नुकसान का आंकलन करने चौथी मंजिल पर पहुंचे।

काम ज्यादा होने की वजह से रुक गए

हादसे में मारे गए अनिल की पत्‍‌नी कंचन ने बताया कि शुक्रवार को अनिल ने काम ज्यादा होने की बात कही और वह नरही के कारखाने में रुक गया। जब साढ़े चार बजे लोग चौथी मंजिल पर पहुंचे तो राधेश्याम और अनिल की उन्हें जली हुई लाश मिली।