-गंगा बैराज में आग से छोटा मंगलपुर गांव खाक, 70 से ज्यादा झोपड़ी खाक हुई

-एक ग्रामीण के झुलसने के साथ पांच मवेशी जिंदा जल गए, एक बाइक भी जली

-झोपड़ी के साथ ही ग्रामीणों की नगदी, जेवर समेत अन्य कीमती सामान भी जल गया

KANPUR : गंगा बैराज में गुरुवार को कूड़े के ढेर से निकली चिंगारी ने छोटा मंगलपुर गांव को जलाकर खाक कर दिया। झोपड़ी के छप्पर पर लगी आग चंद सेकेंड में इतनी विकराल हो गई कि उसकी चपेट में पूरा गांव आ गया। ग्रामीणों को खुद की जान के अलावा कुछ भी बचाने का मौका नहीं मिला। वे इतने बेबस थे कि वे अपनी आंखों के सामने तबाही का मंजर देख रहे थे, लेकिन वे कुछ नहीं कर पाए। आधे घंटे में गांव जलकर खाक हो गया। सूचना पर तहसीलदार समेत अन्य प्रशासनिक अफसर फायर बिग्रेड की टीम के साथ मौके पर पहुंचे तो वहां पर झोपडि़यों की राख में आग सुलग रही थी। जिसे फायर गाडि़यों की मदद से बुझाया गया। प्रशासनिक अफसरों ने पीडि़त ग्रामीणों को मुआवजा का मरहम लगाने का भरोसा दिलाया है।

सिर्फ अपनी जान बचा पाए

ग्वालटोली थानाक्षेत्र में छोटा मंगलपुर गांव है। यह गांव गंगा बैराज से कुछ दूरी पर है। इस गांव में करीब सत्तर से ज्यादा ग्रामीणों के परिवार रहते हैं। गुरुवार को किसी ने गांव के घसीटे की झोपड़ी के बाहर कूड़े के ढेर में आग लगा दी थी। जिसकी चिंगारी से घसीटे की झोपड़ी में आग लग गई, जो बैराज में तेज हवा चलने से कुछ सेकेंड में भड़क गई। जिससे आग की लपटें इतनी विकराल हो गई कि उसकी चपेट में गांव की एक-एक झोपड़ी आ गई और गांव में कोहराम मच गया। आग इतनी विकराल थी कि ग्रामीणों को घर में रखी नगदी, जेवर समेत अन्य सामान बचाने का भी मौका नहीं मिला। उन्होंने किसी तरह बच्चों, महिलाओं समेत अन्य लोगों को ही बचा पाए।

पांच मवेशी जलकर मरे

वहीं आग में जलकर पांच मवेशी भी मर गए। जिसमें सोनू के तीन मवेशी और राजेंद्र के दो मवेशी हैं। वहीं, 70 वर्षीय चंद्रिका बुरी तरह से झुलसने के साथ ही किशन की बाइक भी जल गई है। सूचना पर तहसीलदार समेत करीब आधा दर्जन प्रशासनिक अफसर फायर बिग्रेड टीम के साथ मौके पर पहुंच गए। फायर टीम ने चार गाडि़यों की मदद से आग को तो बुझाकर दिया, लेकिन घर में कोहराम मचा हुआ था।

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दस महीने बाद दोबारा तबाही

गंगा बैराज में दस महीने बाद आग ने दोबारा तबाही मचाई है। इससे पहले आग ने 11 अप्रैल को गंगा बैराज से सटे कल्लूपुरवा गांव को जलाकर खाक कर दिया था, जिसमें 80 से ज्यादा झोपड़ी जली थी, जबकि एक दर्जन से ज्यादा मवेशी मर गए थे।