- मेडिकल कॉलेज के नए सेशन में डॉक्टरी के पहले दिन खिलखिलाए मेडिकोज

- लेकिन हॉस्टल पहुंचे मेडिकोज नर्वस दिखे

- मेस में पहली बार पैरेंट्स के साथ खाना खाया, फिर एप्रेन के लिए दी नाप

- अब दद्दू करेंगे नए मेडिकोज की देखभाल

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KANPUR(1Sep.)

मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई का पहला दिन, हॉस्टल का पहला दिन, शहर के बाहर मम्मी पापा से अलग रहने का पहला दिन, नए दोस्तों के साथ पहला दिन और तो और मेस में पहली बार खाना खाने का दिन किसी भी स्टूडेंट्स के लिए उसकी जिंदगी का सबसे यादगार दिन होता है। अपने सपनों को सच होता देख उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं होता है, लेकिन जाहिर तौर पर इतना सबकुछ पहली बार होने की वजह से उनका नर्वस होना भी लाजिमी है। मंडे को जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज कैंपस के अंदर मेडिकोज के ऐसे ही डिफरेंट शेड्स देखने को मिले। मेडिकोज के साथ कैंपस पहुंचे उनके पेरेंट्स भी सभी चीजें चेक कर रहे थे। ताकि उनके बच्चों को पढ़ाई के दौरान कोई प्रॉब्लम न हो। पेश है मेडिकल कॉलेज के बीएस-5 हॉस्टल का आंखों देखा हाल

सीन 1

वेलकम टू जीएसवीएम ब्वॉयज एंड ग‌र्ल्स

मेडिकल कॉलेज के एलटी-3 सभागार में प्रिंसिपल डॉ। नवनीत कुमार की ओर से प्रो। डॉ। आरपी शर्मा नए स्टूडेंट्स को पहली क्लॉस में संबोधित कर रहे थे। जीएसवीएम की प्रेस्टीज, लिगेसी और एडमिशन लेने के महत्व को बताते हुए उन्होंने नए सेशन में फ‌र्स्ट ईयर स्टूडेंट्स को वेलकम किया। उन्होंने कहा कि एक मायने में देखा जाए तो ऑफिशियली यह पल ही एक स्टूडेंट्स का डॉक्टर बनने की तरफ पहला कदम होता है। आगे के सालों में पढ़ाई के दौरान क्या-क्या होगा इसके बारे में उन्हें जानकारी दी गई।

सीन-2- हॉस्टल के बाहर गेट पर मैनपुरी से आए श्याम अपने बेटे शुभम को समझा रहे थे कि खाना ठीक से खाना। इधर उधर मत घूमना, पैसे है ना किताबों के लिए और किसी चीज की जरूरत हो तो बता देना। ठीक से पढ़ाई करना। शुभम अपने पिता की हर बात सुन रहा था। साथ ही उसके चेहरे पर एक गर्व का भाव नजर आ रहा था, मानो उसने जहां जीत लिया हो। शुभम ने अपने पिता के पैर छू कर आर्शीवाद लिया तो श्याम ने उसे गले से लगा लिया। फिर चल दिए।

सीन 3- हॉस्टल इंचार्ज नए स्टूडेंट्स को रूल्स रेग्यूलेशन के बारे में बता रहे थे। रोज रात में 8 बजे हॉजिरी होगी जिसको बाहर जाना है। दद्दू को एप्लीकेशन देकर जाएगा। हॉस्टल के अंदर बाहर कैमरे लगे हैं जोकि मेरे ऑफिस और घर से कनेक्ट हैं। जो भी शरारत या गलत हरकत करेगा मुझे पता चल जाएगा। इसलिए सब लोग अनुशासन से रहे।

सीन-4 दद्दू जो हॉस्टल में बच्चों पर नजर रखते हैं उनकी छोटी बड़ी प्रॉब्लम्स को देखेंगे उनके पास पैरेंट्स और स्टूडेंट्स दोनों खड़े थे। पैरेंट्स कह रहे थे कि बेटे का ख्याल रखना कोई जरूरत हो तो बता देना। बेटा ऐसा वैसा कुछ न करने पाए नजर रखना। दद्दू भी नए स्टूडेंट्स से मेलजोल बढ़ा रहे थे.

सीन-5

मेस में कॉलेज के पहले दिन स्टूडेंट्स के स्वागत में छोले-भठूरे और पुलाव बने थे। अपने बेटे को हॉस्टल छोड़ने आई मां ने मेस वाले से कहा कि मेरे बेटे का खाना-पीना तुम्हें ही देखना है। बेटा छुट्टी पर घर आए तो दुबला न लगे इतना ख्याल जरुर रखना।

सीन-6

हॉस्टल के गेट के पास लम्बी लाइन लगी थी। लाइन की शुरुआत में एक दर्जी बैठा हर स्टूडेंट के गले कमर और हाथ का नाप ले रहा था। यह लाइन उसी चीज के लिए लगी थी, जिसके लिए इन स्टूडेंट्स ने पिछले सालों कितनी मेहनत की और अब आगे पांच और न जाने कितने साल इन स्टूडेंट्स को और पढ़ाई करनी है, यानि की डॉक्टरों के सफेद एप्रेन बनवाने के लिए।

सीन.7- आई नेक्स्ट रिपोर्टर हॉस्टल पहुंचा तो एक स्टूडेंट हॉस्टल इंचार्ज से बात कर रहा था। उसने कहा कि सर कमरे की कुंडी टूटी है और बाथरुम भी बहुत गंदा है। कमरे में सफाई भी नहीं हुई। क्या करें? इस पर सर ने कहा कि बेटा एक दो दिन एडजेस्ट करो। रात को ही हॉस्टल खाली हुए हैं। मरम्मत कराने का टाइम ही नहीं मिला। एडजेस्ट करो दो-तीन दिन में सब ठीक हो जाएगा।

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असली पढ़ाई तो अब शुरु होगी

लखनऊ के विकास चंद्र विद्यार्थी नए सेशन के पहले दिन हॉस्टल में अपने कमरे में सामान रखने के बाद थके मांदे बैठे थे। उनसे मेडिकल कॉलेज के फ‌र्स्ट डे के एक्सपीरिएंस के बारे में पूछा तो जवाब मिला कि असली पढ़ाई तो अब शुरु हुई है। अभी तक तो यहां एडमिशन के लिए ही पढ़ा था। यहां जो पढ़ेंगे उसी से तो कुछ बनेंगे। बेहद साधारण फैमिली बैकग्राउंड के विकास ने पहले ही अटेम्प्ट में एक हजार के अंदर रैक लाकर जीएसवीएम में एडमिशन लिया है। इसकी अहमियत को समझते हुए उसने पहले ही दिन किताबों की खरीदारी भी शुरु कर दी।

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खिंचाई की पूरी तैयारी है, अलर्ट रहना

- फ‌र्स्ट ईयर स्टूडेंट्स के हॉस्टल में सीनियर्स दीवारों पर लिख गए मैसेजेस

- खिंचाई और रैगिंग के लिए तैयार रहने के साथ ही मस्त रहने जैसी बातें अपने ढंग में लिखी

- कॉलेज की एंटी रैगिंग कमेटी अलर्ट पर शिकायत पर फौरन होगी कार्रवाई

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KANPUR(1Sep.)

मेडिकल कॉलेज में नए सेशन के पहले दिन बीएस-भ् हॉस्टल में फ‌र्स्ट ईयर के स्टूडेंट्स अपने-अपने नए रुम्स में पहुंचे तो उनके सीनियर्स ने उनके लिए कई मैसेजेस लिखकर छोड़ रखे थे। कुछ में उनकी खिंचाई संबंधित बातें लिखी थीं तो कुछ में कॉलेज लाइफ इंज्वाय करने के लिए कहा गया था। वहीं कुछ मैसेजेस को पढ़ कर नए स्टूडेंट्स परेशान भी हो गए, क्योंकि एक-दो जगहों पर रैगिंग के लिए तैयार रहने के लिए भी चेतावनी लिखी गई थी। वहीं पीजी स्टूडेंट्स में रैगिंग का एक मामला सामने आने के बाद फ‌र्स्ट ईयर स्टूडेंट्स और सीनियर्स पर नजर रखने के लिए कहा गया है।

एमएल याद कर लेना, रैगिंग से बचे रहोगे

बीएस-भ् के 7 नंबर कमरे में एक मैसेज लिखा था कि एमएल याद कर लेना, तभी रैगिंग से बचे रहोगे। आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने जानने की कोशिश की कि आखिर यह एमएल क्या है? इसके बारे में नए स्टूडेंट्स से पूछा तो उन्हें भी इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी। जिसकी वजह से वो परेशान हो गए कि आखिर ये एमएल क्या बला है? वहीं एक रूम के दरवाजे पर लिखा था कि तुम्हें सब लोग सपोर्ट करेंगे, रैगिंग से मत डरना। तो एक जगह लिखा था कि बेटा मस्त रहना।

बाल छोटे और सफेद ड्रेस

बीएस-भ् हॉस्टल में घुसते ही दो स्टूडेंट फार्म भरते दिखे। दोनों ने ही एक जैसी सफेद ड्रेस पहनी हुई थी और दोनों की हेयर कटिंग भी एक जैसी थी। उनसे बात की तो उन्होंने बताया कि घर से ही ऐसे आए हैं। यहां कुछ नहीं हुआ।