तीन और भारतीय शामिल

विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में भारतीय मुक्केबाजों का चमकना जारी है. शिव थापा और मनोज कुमार के बाद तीन और भारतीय क्वार्टर फाइनल में पहुंच गए हैं. मंगलवार को विकास मलिक (60 किग्रा), सुमित सांगवान (81 किग्रा) और सतीश कुमार (91 किग्रा से अधिक) ने अपने-अपने मुकाबले जीत अंतिम आठ में जगह बनाई. इस चैंपियनशिप में भारत का यह अब तक सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है.

तोडा़ चार का रिकॉर्ड

2011 में अजरबैजान में खेले गए टूर्नामेंट में भारत के चार मुक्केबाजों ने अंतिम आठ में जगह बनाई थी. मंगलवार को भारत की ओर से विकास सबसे पहले रिंग में उतरे और उन्होंने 2008 यूरोपियन चैंपियनशिप के रजत पदक विजेता मिकलोस वारगा को 2-1 से पराजित किया. क्वार्टर फाइनल में विकास का सामना चौथी वरीयता प्राप्त और पैन-अमेरिकन खेलों के रजत पदक विजेता ब्राजील के रॉबसन कोनसियाको से होगा.

एकतरफा जीत हासिल की

एक अन्य मुकाबले में सुमित ने आठवीं वरीयता प्राप्त बेलारूस के सियारहेई नोविकाऊ को एकतरफा मुकाबले में 3-0 से हराया. सुमित को अगले दौर में लंदन ओलंपिक के रजत पदक विजेता कजाखिस्तान के अदिलबेक नियाज्यांबेतोव की कड़ी चुनौती का सामना करना है. रिंग में भारत की ओर से उतरने वाले आखिरी मुक्केबाज सतीश ने बेलारूस के यान सुदजिलोस्की को 3-0 से मात दी. सतीश क्वार्टर फाइनल में लंदन ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता स्थानीय खिलाड़ी इवान दाइचेको से भिड़ेंगे.

भारत का अबतक का सर्वश्रेष्ठ प्रर्दशन

अपने मुक्केबाजों के प्रदर्शन पर भारतीय कोच गुरबक्श सिंह संधू ने कहा, 'यह ऐतिहासिक प्रदर्शन है. हम इस चैंपियनशिप में पदक जीत चुके हैं, लेकिन मैं इस स्तर तक पहुंचने की बात कर रहा हूं. पहले बार पांच भारतीय मुक्केबाज क्वार्टर फाइनल तक पहुंचने में सफल रहे हैं. प्रशंसक हमारा खड़े होकर अभिवादन कर रहे हैं. यह काफी गौरवांवित करने वाला है.' भारत इस चैंपियनशिप में अब तक सिर्फ दो पदक जीत पाया है. 2009 में विजेंद्र और 2011 में विकास कृष्णन ने कांस्य पदक जीता था.