-मेडिकल कॉलेज में तीन माह से नहीं किए जा रहे एक्सरे

-दवाओं का भी पड़ा टोटा, बजट न होने से भारी परेशानी

Meerut। एक ओर जहां केन्द्र सरकार स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी पर जोर दे रही है, वहीं मेरठ मेडिकल कॉलेज अपने स्वास्थ्य का ही इलाज नहीं कर पा रहा है। हाल यह है कि वेस्ट यूपी के इस एक मात्र मेडिकल कॉलेज में हाइटेक ट्रीटमेंट तो दूर पिछले तीन माह से दवाइयों का भी टोटा पड़ा है। यहां न मरीजों की जांच की जा रही है और सुविधाओं की तो बात ही क्या। नतीजतन रोजाना मेडिकल पहुंच रहे सैकड़ों मरीजों को मायूस वापस लौटना पड़ रहा है।

एक्सरे फिल्म का टोटा

दरअसल, अक्टूबर माह से मेडिकल का एक्सरे विभाग में बंद जैसे हालात है। कारण तीन महीनों से एक्सरे की फिल्म का न होना है। और तो और मेडिकल प्रशासन के बजाए समस्या के सुलझाने के विभाग की दीवारों पर स्पष्ट लिख दिया है कि 'फिल्म न होने के कारण एक्सरे नहीं किया जा सकता' ऐसे में मरीज बिना एक्सरे जांच के वापस लौटाए जा रहे हैं।

वापस लौट रहे मरीज

मेडिकल स्टॉफ ने बताया कि ऑर्थोपेडिक डिपार्टमेंट की ओपीडी से रोजाना 200 से 250 मरीज एक्सरे कराने आते हैं। लेकिन महीनों से एक्सरे फिल्म शॉर्ट होने के कारण सभी मरीज वापस लौटाए जा रहे हैं।

इमरजेंसी सुविधाएं ठप

डॉक्टर्स के अनुसार ब्लड बैंक और एक्सरे डिपार्टमेंट इमरजेंसी सेवाओं में शुमार होते हैं। मेडिकल में ये सुविधाएं 24 घंटे उपलब्ध रहना अनिवार्य है। ऐसे में चौंकाने वाली बात यह है कि मेडिकल कॉलेज का इमरजेंसी एक्सरे डिपार्टमेंट महीनों से ठप पड़ा है।

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50 लाख की उधारी पर सप्लाई बंद

सूत्रों के अनुसार लखनऊ की जिस सप्लायर कंपनी से मेडिकल कॉलेज को एक्सरे फिल्म सप्लाई होती हैं। उस कंपनी का मेडिकल पर 50 लाख रुपया बकाया है। कंपनी की डिमांड है कि जब तक आधा पेमेंट भुगतान नहीं होता तब तक सप्लाई बंद रहेगी।

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दवा का भी टोटा

मेडिकल में यह हाल केवल एक्सरे डिपार्टमेंट तक सीमित नहीं है। दवाओं के अभाव में डाक्टर बाह की दवाएं लिखते हैं।

यहां भी सुधार -

-जिला अस्पताल में शुरू नहीं हो पाई डायलेसिस यूनिट

-मेडिकल कॉलेज में मरीजों के लिए नहीं एंबुलेंस

-प्राइवेटाइजेशन होने के बाद भी सफाई व्यवस्था बदहाल

-मेडिकल कॉलेज की लिफ्ट पड़ी बंद

-लेबोरेटरी में लापरवाही, जांच रिपोर्ट में गड़बड़ी

नई पॉलिसी के अनुसार बेहतर सुविधाएं देना सुनिश्चित किया जाएगा। इसके साथ ही इलाज को लेकर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। बजट के लिए शासन को कई बार पत्र लिखा जा चुका है।

-डॉ। विभु साहनी, सीएमएस मेडिकल कॉलेज

नए आदेशों के अनुसार काम किया जाएगा। हालांकि कई जगहों पर सुधार भी किया गया है। डायलेसिस यूनिट और लांड्री आदि के नवीन प्रस्ताव शासन ने प्राइवेट एजेंसियों को दिए हैं।

-डॉ। पीके बंसल, सीएमएस जिला अस्पताल