बेहद शार्प मैमोरी

कैनाडा की मैक्इवान यूनीवर्सिटी के रिसचर्स की स्टडी में एक चौंकाने वाली बात सामने आई है. अफ्रीकन चिचलिड्स नाम की मछलियों की एक ब्रीड पर ये टेस्ट किया गया और इससे पता चलता है कि मछलियों को टेस्टी खाने की 12 दिन पुरानी वो जगह भी याद रहती है जहां उन्हें ये खाना मिला था. साइंटिस्टों ने अपनी रिसर्च में पाया कि खासतौर पर एक्वेरियम में रखे जाने के लिए बनी अफ्रीकन चिचलिड्स नाम की इन मछलियों की मैमोरी बेहद शार्प है. रिसर्च में इन मछलियों के बिहेवियर को लेकर कई बातें सामने आई हैं जैसे कि ये आमतौर पर एक्वेरियम में रहने वाली मछलियों से ज्यादा गुसैल हैं. इनके इसी डिफरेंट बिहेवियर के कारण ही साइंटिस्टों को ये आइडिया मिला और इनके साथ एडवांसड मैमोरी टास्क को शुरु किया गया.

स्पेशल ट्रेनिंग सेशन

मछलियों की मैमोरी कितनी शार्प है इस बात को जानने के लिए इनके साथ ये एडवांसड मैमोरी टास्क को रन किया गया. एक्वेरियम में मौजूद हर मछली को अपने मन पसंद के खाने को पाने के लिए एक पर्टिकुलर जोन में जाना था. ये ट्रेनिंग सेशन 20 मिनट का होता था. तीन दिन की स्पेशल ट्रेनिंग के बाद इन मछलियों को 12 दिन का रेस्ट दिया गया. रेस्ट टाइम पूरा हो जाने के बाद इन मछलियों को दोबारा उनके ट्रेनिंग एरिया में लाया गया और इनके मोशन को रिकॉर्ड करने के लिए मोशन-ट्रेकर सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया. इस बार ये बात सामने आई की चिचलिड्स ने उन एरियाज को ज्यादा महत्व दिया जहां 12 दिन पहले ट्रेनिंग सेशन के दौरान उनको अपना मनपसंद खाना मिला था. मछलियों के इस बिहेवियर से इस बात का पता चलता है कि उनको अपनी पिछली ट्रेनिंग के सभी एक्सपीरियंस बेहद अच्छे से याद हैं.

मछलियों को याद रहती हैं 12 दिन पुरानी बातें

मछलियां देखती हैं टीवी

मछलियों के लिए शार्प मैमोरी होना कितना जरूरी है इस बात का अंदाजा इस बात से लगा सकतें है कि समुद्र मे रहने वाली वो मछलियां अकसर जिंदा नहीं रह पाती जिन्हें खाने की कमी के दौरान ये याद नहीं होता कि उन्हें इस मौसम में खाना कहां मिल सकता है. वहीं रिसचर्स ने कहा है कि समुद्र की रहने वाली मछलियों को अपने सरवाइवल के लिए इस बात को याद रखना बेहद इम्पॉर्टेंट हैं कि उन्हें उनके मन का खाना किस जगह मिल सकता है. साइंटिस्ट ट्रेवर हेमिल्टन का कहना है, "जिन मछलियों को ये याद रहता है कि उन्हें खाना किस जगह पर मिलेगा उनके लिए ये ना याद रख पाने वाली मछलियों के कंपेरिजन में एक बड़ा एडवॉनटेज है." हेमिल्टन ने कहा कि अगर ये मछलियां ये याद रख सकती हैं कि किस एरियाज में बिना किसी शिकारी के खतरे के इन्हें मुश्किल हालात में भी खाना मिल सकता है तो वाइल्ड में ऐसी मछलियों के सरवाइवल के चासेंज और बढ़ जाते हैं. हेमिल्टन ने बताया कि उन्होंने अफ्रीकन चिचलिड्स में पहली बार इंट्रेस्ट तब लिया जब कुछ एक्वेरियम मालिकों ने उन्हें इन मछलियों की इंटेलीजेंस के बारे में बेहद चौंकाने वाली स्टोरीज सुनाई. इन स्टोरीज में से एक में बताया गया कि ये चिचलिड्स अपने एक्वेरियम मालिकों के साथ मिलकर टीवी देखती हैं.

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