- 02 हजार मीट की दुकानों पर राजधानी में लगा ताला

- 602 मीट की दुकानें हैं रजिस्टर्ड

- 440 दुकानें वर्तमान में संचालित

- 1.25 लाख लोग की रोजी रोटी का संकट

पांच दिन बाद लखनवाइट्स को नहीं मिलेगा मीट

- शहर में चल रही मीट के दुकानदार हड़ताल पर

- शहर में कोई वैध बूचड़खाना न होने से लाइसेंसी दुकानें भी बंद, सप्लाई ठप

LUCKNOW :

अवैध बूचड़खानों और मीट की गैर लाइसेंसी दुकानों पर प्रशासन की सख्त कार्रवाई से नया संकट खड़ा हो गया है। राजधानी में चल रही करीब दो हजार मीट की दुकानें पांच दिन बाद पूरी तरह बंदी की कगार पर पहुंच जाएंगी। इसकी वजह उनके लाइसेंस का नवीनीकरण ना होना है। ध्यान रहे कि इनमें से 602 दुकानें ऐसी हैं जिनके पास नगर निगम का लाइसेंस था। वर्तमान में इनमें से महज 440 दुकानें ही संचालित की जा रही हैं। आगामी एक अप्रैल तक यदि उनके लाइसेंस का रिनीवल नहीं हुआ तो पूरे शहर में मीट मिलना मुश्किल होगा। हैरत की बात यह है कि इस समस्या को जानने के बावजूद नगर निगम के अधिकारी लाइसेंस का नवीनीकरण करने को तैयार नहीं है। नगर निगम जा रहे दुकानदारों को लाइसेंस को लेकर फिलहाल राज्य सरकार की कोई स्पष्ट नीति नहीं होने की बात कहकर टरकाया जा रहा है।

वैकल्पिक व्यवस्था की मांग

सीएम के आदेश के बाद नगर निगम की कार्रवाई से नाराज मीट व्यवसायियों ने शनिवार को अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाते हुए अपनी दुकानें बंद रखीं। हजरतगंज, बिल्लौचपुरा, ठाकुरगंज, नरही, सआदतगंज, चिकवामंडी, इंदिरानगर सहित शहर के विभिन्न हिस्से में दुकानें बंद रहीं और लोग मीट खरीदने के लिए भटकते दिखे। वहीं दूसरी ओर अपनी मांगों को लेकर कुरैशी वेलफेयर फाउंडेशन के पदाधिकारी मोहम्मद अंसार नगर निगम के पशुचिकित्साधिकारी डॉ। अरविंद राव से मुलाकात की। एसोसिएशन ने अपनी दिक्कतें बताते हुए उनसे वैक ल्पिक व्यवस्था देने की मांग की है। उन्होंने बताया कि अचानक शुरू हुए अभियान से मीट का व्यवसाय करने वालों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं प्रशासन की सख्ती की वजह से उन्हें मीट भी मिलना बंद हो गया है जिसकी वजह से उनके सामने रोजी-रोटी का संकट आ गया है। वहीं इस बाबत कोई नीति स्पष्ट न होने से अधिकारी भी पसोपेश में दिखे और व्यापारियों को कोई ठोस आश्वासन नहीं दे सके। गौरतलब है कि लाइसेंसी मीट की दुकानें बंद होने के साथ बूचड़खानों पर भी सख्ती बरती गयी है जिसकी वजह से दुकानदारों को मीट की सप्लाई ठप हो चुकी है।

प्रदेश भर में चलेगी हड़ताल

मीट व्यवसाय से जुड़े लोगों में प्रशासन के प्रति गुस्सा बढ़ता जा रहा है। इस हड़ताल में मीट के बाद चिकन और मटन से जुड़े लोग भी शामिल हो रहे हैं। मीट मुर्गा व्यापारी कल्याण समिति के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी मो। इकबाल कुरैशी ने भी पशुचिकित्साधिकारी डॉ। अरविंद राव से वैकल्पिक व्यवस्था करने की मांग की है। वहीं, अगर कार्रवाई बंद नहीं हुई तो प्रदेश स्तर पर हड़ताल करने की चेतावनी दी है।

साव लाख लोगों के समाने भुखमरी की स्थिति

अचानक कार्रवाई से लोगों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। शहाबुददीन कुरैशी के अनुसार इस कार्रवाई से मीट व्यवसाय से जुड़े 1.25 लाख लोग प्रभावित हो रहे हैं, जिससे इन पर आर्थिक संकट गहरा गया है। इनकों भुखमरी का सामना करना पड़ रा है।

एक भी बूचड़खाना वैध नहीं

दुकानदारों के सामने बड़ी समस्या यह है कि शहर में एक भी वैध बूचड़खाना नहीं है। एक तरफ शासन अवैध दुकानों को बंद करा रही हैं, लेकिन वैध दुकानों के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गयी है। वैध दुकानों के लिए लाइसेंसी बूचड़खाने का संकट पैदा हो गया है। प्रशासन की सख्ती की वजह से वे अपनी दुकानों में जानवरों को काटकर नहीं बेच सकते हैं। मालूम हो कि नगर निगम सीमा में तीन बूचड़खाने हैं, जिन्हें उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की आपत्ति के बाद बंद करा दिया गया था। लाटूश रोड पर कसाईबाड़ा, ऐशबाग के मोतीझील की पशुवधशाला और चिकमंडी के छोटे जानवरों की पशुवधशाला पर ताला लगा हुआ है। ऐसे में मीट की वैध दुकानों के लिए जानवरों की स्लॉटरिंग की समस्या खड़ी हो गयी है।

ये हैं मानक

- जानवर को काटने से पहले डॉक्टरी जांच जरूरी है।

- जानवर को कोई बीमारी नहीं होनी चाहिए।

- दुकानों में उचित सफाई व्यवस्था होनी जरूरी है।

- नाले पर मीट की दुकानों पर प्रतिबंध

- नगर निगम से रजिस्ट्रेशन और लाइसेंस जरूरी

- प्राकृतिक रूप से मरे जानवर क ा मांस नहीं बेचा जाएगा

- मांस को अशुद्ध बर्तन में नहीं रखा जाएगा

- खुले में न रखकर स्वच्छ कपड़ों से ढका होना जरूरी

- दुकान की दीवारें और फर्श पक्की होना जरूरी

मीट से जुड़े व्यवसायी अपनी समस्या लेकर आए थे, जो वैकल्पिक व्यवस्था देने की मांग कर रहे हैं। जबकि यह कार्रवाई उच्चाधिकारियों के आदेश से की जा रही है।

डॉ। अरविंद राव, पशुचिकित्साधिकारी, नगर निगम

मीट की दुकानों पर कार्रवाई करने से पहले वैध दुकानों के लिए बूचड़खाने की व्यवस्था नहीं की गयी है। नया बूचड़खाना बनाने से पहले वैकल्पिक व्यवस्था दी जानीं चाहिए। इस कार्रवाई से मीट व्यवसायी और इससे जुड़े हजारों लोग प्रभावित हो रहे हैं।

चौ। मो। इकबाल कुरैशी, प्रदेश अध्यक्ष, मीट-मुर्गा व्यापारी कल्याण समिति