- शासन के प्रयासों पर फिर रहा है पानी, कैसे होगा विकास

- यूपी सरकार ने ग‌र्ल्स के लिए शुरू किया था इन योजनाओं को

Meerut : शासन ने बालिकाओं की शिक्षा में सुधार के कई दावे किए, लेकिन बदकिस्मती से बालिका शिक्षा से संबंधित पांच बड़ी योजनाएं धड़ाम हो चुकी हैं। ये योजनाएं सिर्फ कागजों पर ही चल रही हैं। करोड़ों खर्च के बावजूद भी बालिकाओं को न तो उनके शिक्षा का विकास दिख रहा है और न ही हो रहा है उनका कौशल और शारीरिक विकास।

कौन सी हैं पांच बड़ी योजनाएं

शासन ने बालिकाओं के शारीरिक विकास, मानसिक विकास और आत्मनिर्भर बनाने के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू की थीं। इनमें से पांच बड़ी योजनाएं, जिनमें बालिका कौशल विकास, मीना मंच, जूड़ो कराटे व आत्मरक्षा का गुर, इंग्लिश स्पीकिंग व प्रतिभा खोज और बालिका स्वास्थ्य विकास की बड़ी योजनाएं जमीनी पर तो दिखाई ही नहीं दे रही हैं।

तीन कैंप के 60 हजार

शासन की बालिका कौशल विकास योजना की शुरुआत छह साल पहले हुई थी। योजना के तहत शासन ने बालिकाओं को आवासीय ट्रेनिंग के अंतर्गत विभिन्न तरह के कोर्स जैसे सॉफ्टवेयर बनाना, कढ़ाई-सिलाई बुनाई के साथ ही विभिन्न तरह की ट्रेनिंग देना था। योजना के तहत तीन कैंप के 60 हजार के प्रति छह महीने का बजट आता है। योजना शुरू के दो साल तो बड़े ही जोर शोर के साथ चलाई गई, उसके बाद से ही योजना धीरे-धीरे गुम हो गई।

मीना मंच का रेडियो गायब

शासन की एक और बड़ी योजना मीना मंच थी, जिसमें रेडियो के जरिए बालिकाओं को मीना की कहानियां सुनाई जाती थीं। बालिकाओं को इन कहानियों के जरिए पढ़ने व आगे बढ़ने की ट्रेनिंग दी जाती थी। योजना 2006 में शुरू हुई थी, योजना के तहत करोड़ों का बजट भी शासन की तरफ से दिया जाता है, लेकिन योजना दो साल बाद ही धड़ाम हो गई। हालांकि अभी कुछ स्कूलों में यह योजना कायम हैं, लेकिन मेरठ में केवल दस परसेंट बेसिक स्कूलों में रेडियो बज रहे हैं। सूत्रों की माने तो रेडियो या तो किसी व्यापारी को बेच दिए गए या फिर स्टाफ ने रख लिए हैं।

कैसे बनेगी आत्मरक्षक

बालिकाओं को आत्मरक्षक बनाने के लिए भी शासन ने जूडो कराटे के प्रशिक्षण देने की शुरुआत की थी, जिसके लिए हर एक कैम्प का तीस हजार और सालभर के लगभग 80 हजार रुपए शासन का बजट आता है। लेकिन बालिकाओं को आत्मरक्षक बनाने का सरकार का सपना तीन साल पहले टूट चुका है। पिछले तीन साल से इस बारे में कोई चर्चा तक नहीं हो पाई है। हालांकि इस साल तो इस योजना के लिए शासन ने भी बजट नहीं भेजा है, लेकिन इससे पहले बजट आने के वाबजूद भी यह योजना नहीं चल पाई है।

कहां बनीं स्मार्ट बालिकाएं

2013 में शासन ने बालिकाओं को स्मार्ट बनाने के लिए इंग्लिश क्लास चलाने की योजना बनाई थी, जिसके लिए शासन ने हर शहर में इंग्लिश की टीचर को टे्रंड करने के लिए योजना बनाई थी। टीचर्स ट्रेनिंग के लिए अच्छा खासा बजट भी आया था, लेकिन अभी तक ट्रेनिंग का कोई अता-पता नहीं है।

स्वस्थ कैसे हो बालिका

बेसिक शिक्षा विभाग से संबंधित बालिका विद्यालयों में बालिका स्वास्थ्य योजना चलाई गई, जिसमें बालिकाओं के शारीरिक विकास, बढ़ती उम्र के साथ आते बदलाव पर काउंसिलिंग व विभिन्न तरह की दवाइयों का वितरण औ चेकअप कैंप के लिए शासन से लगभग एक लाख का बजट हर साल आता है, लेकिन स्टूडेंट्स के लिए न तो एक भी सरकारी कैंप लगा है न ही कोई काउंसिलिंग हुई। प्राइवेट संस्थानों के मदद के माध्यम से ही बालिकाओं को स्वस्थ बनाया जा रहा है।

बालिकाओं के लिए कैंप लगाने के लिए चर्चा चल रही है। जल्द ही इन बालिकाओं के लिए स्वास्थ्य कैंप व जूडो प्रशिक्षण कराया जाएगा।

मोहम्मद इकबाल, बीएसए

योजनाएं के विषय में जल्द ही बैठक होने वाली है। बैठक में फैसला होगा कि आगे कैसे बालिकाओं के विकास में काम करना है।

एसके गिरी, नगर शिक्षा अधिकारी