--UP की राजनीति पर लग रहा बाजार में रुपया

-नोटबंदी के दौरान बंद रहा सट्टा, अब फिर से खेलने के अड्डे हो गए गुलजार

-पार्टियों की हर गतिविधि पर बनारस में हर रोज लग रही लाखों की रकम

क्ड्डह्मड्डठ्ठड्डह्यद्ब

नोटबंदी के दौरान शांत रहा सट्टा बाजार एक बार फिर सक्रिय हो गया है। बनारस में हर रोज लाखों रुपये का सट्टा लग रहा है। लेकिन इस बार खेल पर कम, राजनीति पर रुपये लग रहे हैं। सट्टा लगाने और लगवाने वाले हर रोज यूपी में सरकार बनाने का समीकरण बना और बिगाड़ रहे हैं। जिस तरह क्रिकेट में हर बॉल से लेकर मैच के हार-जीत तक पर सट्टा लगता है ठीक उसी तरह से पार्टी के प्रत्याशियों के जीतने से लेकर सत्ता के सिंहासन पर किसका कब्जा होगा इस पर सट्टा लग रहा है। इसमें राजनीति के जानकार से लेकर नौसिखिया तक हाथ आजमा रहे हैं।

हो गई है तैयारी

यूपी में चुनाव की घोषणा के बाद राजनीति का माहौल अब चरम पर पहुंच चुका है। इस मौके का फायदा उठाने के लिए सटोरियों ने फिल्डिंग सजा ली है। राजनीतिक पार्टियों की हर गतिविधि से लेकर सत्ता के संघर्ष तक के लिए रुपये लगवाने लगे हैं। दिल्ली, मुम्बई और दुबई में बैठे सट्टा बाजार के इंटरनेशनल गेम के मास्टर्स के इशारे पर लोकल एजेंट लोगों से रुपये लगवा रहे हैं। सभी से एडवांस में रुपये रखवाये जा रहे हैं। रकम पार्टी की हैसियत के मुताबिक है। यह पांच- दस हजार रुपये से लेकर पांच-दस लाख रुपये तक है। सट्टा लगाने वालों का पूरा हिसाब एजेंट अपने रजिस्टर में दर्ज भी कर रहा है।

हर बात पर लग रहे रुपये

-हर खेल की तरह राजनीति के खेल में भी सट्टा हर गतिविधि पर लग रहा है। पार्टियों के प्रत्याशियों में से कौन जीतेगा और कौन हारेगा से लेकर सत्ता का सिंहासन हासिल करने तक

- सिंहासन पर कब्जा किसका होगा यह निर्णय होने में अभी वक्त है लेकिन इस पर सट्टा अभी से लगने लगा है।

-चुनाव में कौन सी पार्टी कुल कितनी सीट पाएगी? किस एरिया से कितनी सीट मिलेगी? इस पर भी सट्टा लग रहा है

- सट्टा के मामले में प्रत्याशियों के हिसाब से भी रुपये लग रहे हैं

- किस पार्टी के बीच हुआ गठबंधन चुनाव बाद बचेगा और किसका टूटेगा इस पर भी रुपये लग रहे हैं

-सट्टा बाजार में सबसे अधिक कारोबारी रुपये लगा रहे हैं

-वर्किग परसन और स्टूडेंट्स भी हाथ आजमा रहे हैं

भाजपा-बसपा का गठबंधन करा दिया

राजनीति के अखाड़े में सपा-कांग्रेस गठबंधन के साथ भाजपा का अपना दल, भासपा समेत अन्य पार्टियों से गठबंधन नजर आ रहा है। इसके अलावा सट्टा बाजार ने भाजपा और बसपा के गठबंधन की एक तस्वीर भी खींच दी है। सट्टा बाजार की मानें तो इस बार किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिलेगा। सपा और कांग्रेस का गठबंधन अच्छा परफॉर्म करेगा लेकिन सरकार बनाने की गारंटी नहीं है। ऐसे में एक विकल्प भाजपा और बसपा का गठबंधन भी है जो सरकार के लिए दावा कर सकता है। इस तस्वीर के मुताबिक भाव भी लग रहे हैं। कोई अकेली पार्टी सरकार बनाएगी इस पर एक के बदले दस का भाव मिल रहा है। इस पर रुपये काफी कम लग रहे हैं। अगर लग भी रहे हैं तो कुछ बसपा पर लगे हैं। गठबंधन की सरकार पर लम्बी रकम लग रही है। सपा-कांग्रेस गठबंधन पर एक के बदले दो मिल रहे हैं। वहीं भाजपा और अन्य पार्टियों के गठबंधन को एक के बदले पांच का भाव है। भाजपा और बसपा गठबंधन को एक के बदले तीन का भाव मिल रहा है।

कई जगहों पर हैं अड्डे

-शहर के दालमंडी, गोलघर, चौक, मैदागिन, चेतगंज, ठठेरी बाजार, बेनियाबाग, नई सड़क में सबसे अधिक सट्टेबाज सक्रिय हैं। भेलूपुर, सिगरा, महमूरगंज, दशाश्वमेध, सारनाथ, अर्दली बाजार में भी इनका अड्डा है।

इंटरनेशनल है कनेक्शन

बनारस में सट्टेबाजी का इंटरनेशनल कनेक्शन है। पुलिस कई बार उनके लोकल एजेंट को पकड़ चुकी है। जिसमें उनका विदेश तक का कनेक्शन सामने आया है। तीन साल पहले सट्टा बाजार में ऊंची पहुंच रखने वाला सटोरिया पुलिस के हत्थे चढ़ा था। जिसका कनेक्शन आईपीएल के दौरान सट्टेबाजी में धरायी देश की बड़ी हस्तियों से रहा है। वहीं गोलघर के साड़ी मार्केट रेशम कटरा के सर्राफा मार्केट में पैठ बनाए सटोरिए भी धरे जा चुके हैं। जिनका साड़ी या सराफा का कारोबार साइड बिजनेस है और मेन धंधा सट्टा लगवाना है। मोबाइल और इंटरनेट के जरिए लोकल एजेंट अपने आका के सम्पर्क में रहते हैं। उनके ही निर्देश पर भाव खोला और बंद किया जाता है।

शहर में सट्टेबाजी के बारे में हमारे पास कोई जानकारी नहीं है। इस तरह की कोई शिकायत भी नहीं आयी है। अगर कोई जानकारी मिलती है या इस संबंध में कोई कम्पलेन आती है तो कार्रवाई होगी।

राजेश यादव, एसपी सिटी