- गाडि़यों के ट्यूब की बढ़ी डिमांड, टीपी नगर में बिके पांच हजार से अधिक ट्यूब
- बाढ़ में जिंदगी बचाने के लिए लोग ट्यूब से ले रहे लाइफ रिंग का काम, वहीं बना रहे जुगाड़ से नाव
GORAKHPUR: शहर के कई हिस्सों में बाढ़ आ गई है तो बचे हिस्सों में भी इसको लेकर लोग डरे हुए हैं। लोग बाढ़ में अपनी जिंदगी बचाने की जुगत में जुट गए हैं। हालत यह है कि टीपी नगर की सड़कों और फूटपाथ पर दुकान के सामने पड़ी रहने वाली ट्यूब की इस समय लाइफ रिंग के रूप में सबसे अधिक डिमांड है। साथ ही इससे जुगाड़ की नाव भी बनाई जा रही है। टीपी नगर के दुकानदारों की मानें तो पिछले तीन दिन में तीन हजार से अधिक ट्यूब की बिक्री हुई है।
घरेलू नाव बना ले रहे हैं लोग
नौसढ़ के रहने वाले रामनारायण के दरवाजे पर तीन दिन पहले ट्यूब से बनाई गई नाव खड़ी थी। दोपहर लगभग दो बजे वह घरेलू नाव को लेकर रोड के किनारे आ गए। उनके घर के दो बच्चे स्कूल से आ गए तो वह नाव पर बैठकर रोड से 50 मीटर दूर घर पर चले गए। उनका घर का नीचे वाला हिस्सा बाढ़ के पानी से भर गया है और पूरा परिवार दो मंजिले हिस्से में रह रहा है।
तीन दिन में 3000 ट्यूब बिकी
टीपी नगर के ट्यूब व्यापारी राजेश अग्रवाल बताते हैं कि जिस ट्यूब को कोई पूछता नहीं था, उस ट्यूब की अचानक मांग बढ़ गई है। हम लोग अपने गोदाम और घर से खोजकर लाकर पुराने ट्यूब बेच दिए हैं। तीन दिन में मेरे यहां से पुराने लगभग 450 ट्यूब बेचे गए हैं। इसमें सबसे अधिक मांग ट्रैक्टर के पीछे वाले बड़े चक्के और ट्रक के ट्यूब की हो रही है। टीपी नगर में स्थिति यह है कि ग्रामीण आकर खोज रहे हैं कि उनको ट्यूब मिल जाए। राजेश अग्रवाल का कहना है कि पुराने ट्यूब लोग डिमांड कर रहे हैं क्योंकि नए ट्यूब की कीमत 1500 से 2000 रुपए तक है।
शांत पानी के लिए है कारगर
डिजास्टर मैनेजमेंट के एक्सपर्ट गौतम गुप्ता का कहना है कि एक या दो समझदार आदमी के लिए यह घरेलू नाव तो बहुत अच्छी है, लेकिन बच्चों के लिए यह घातक सिद्ध हो सकता है। ट्यूब के नाव का उपयोग बीच नदी में करना मुश्किल हो जाता है, लेकिन अगर पानी शांत है तो यह बहुत अच्छी हो सकती है। जो लोग भी इस तरह की नाव का उपयोग कर रहे हैं, उन्हें कुछ बातों को ध्यान में रखना चाहिए। जब भी उनको नदी में जाना हो तो ट्यूब और पटरे को जहां बांधा गया है, उसकी जांच जरूर कर लें, ट्यूब की हवा भी चेक कर लें। इसके अलावा नाव में बैठते समय यह कोशिश करें कि पटरे पर न बैठ कर ट्यूब पर ही बैठे, जिससे कभी पटरा खुल जाए या उलट जाए तो वह नीचे न जाएं, बल्कि ट्यूब में ही फंस कर रह जाएं।
700 रुपए में बन जा रही नाव
ट्रैक्टर का बड़ा चक्का- 200-200 रुपए तीन पटरा- 150 रुपए
रस्सी- 100 रुपए
चक्के में हवा भरने में खर्च- 50 रुपए
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कॉलिंग
पुराना ट्यूब अब समाप्त हो गया है। मैं पिछले तीन दिन में 15 से अधिक ट्यूब बेच चुका हूं। डेली 15 से 20 लोग आ रहे हैं, लेकिन पुराना ट्यूब न होने के कारण लोगों को लौटाना पड़ जा रहा है।
अताउल्लाह खां, टायर व्यापारी
ट्यूब लेना बहुत ही जरूरी है। घर में छोटे-छोटे बच्चे फंसे हुए हैं और प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं मिल रही है। ट्यूब पर नाव बनाकर उनको निकालने की कोशिश की जा रही है।
राममनोहर, ग्रामीण, डोमिनगढ