-बरेली कॉलेज का बॉटनी डिपार्टमेंट फूलों से बनाएगा जैविक खाद

- रोजाना दो टन फूल व पत्तियां मंदिरों में भगवान को चढ़ाई जाती हैं

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BAREILLY :

भगवान के दर पर चढ़े पूजा के फूल अब किसानों के घरों का अन्नभंडार भरेंगे। बरेली कॉलेज का बॉटनी डिपार्टमेंट मंदिरों में रोजाना चढ़ने वाले करीब दो टन फूल पत्तियों की जैविक खाद बनाने जा रहा है, जिसे वह किसानों को उपलब्ध कराएगा। इस नेक काम को डिपार्टमेंट के स्टूडेंट्स पर्यावरण मित्र के तौर पर प्रोफेसर्स की मदद से अंजाम देंगे। इसके बदले उन्हें प्रैक्टिकल में नंबर भी मिलेगा। यानि जिसका जितना बढि़या काम, प्रैक्टिकल में उतना बढि़या नंबर मिलेगा।

शहर में हैं करीब 500 मंदिर

बॉटनी डिपार्टमेंट के प्रो। आलोक खरे ने बताया कि शहर में करीब 500 मंदिर हैं। जिन पर रोजाना दो टन फूल और पत्तियां चढ़ती हैं। वहीं, सावन और नवरात्रों के दिनों में इसमे अच्छा-खासा इजाफा हो जाता है। उन्होंने बताया पर्यावरण मित्र दो टन फूल-पत्तियों की 45 प्रतिशत जैविक खाद बना सकते हैं। उन्होंने बताया कि आगामी शैक्षिक सत्र से बॉटनी के स्टूडेंट्स के गु्रप बनाएंगे, जो जैविक खाद बनाने की प्रोसेस को पूरा करेंगे। उन्होंने बताया जैविक खाद के प्रयोग से फसलों के उत्पादन में वृद्धि होती है।

स्टूडेंट्स की बढ़ेगी नॉलेज

बीसीबी में बीएससी बॉटनी के करीब 1500 और एमएससी में 40 स्टूडेंट्स हैं। प्रो। खरे ने बताया कि क्लासेज के दौरान स्टूडेंट्स को जैविक खाद के फायदे और उसे बनाने के बारे में बताया जाता है, लेकिन प्रैक्टिकल नहीं होने के कारण स्टूडेंट्स को जैविक खाद के फायदे और रासायनिक खाद के नुकसान के बारे में विस्तार से पता नहीं चल पाता है।

प्रैक्टिकल में जुड़ेंगे मा‌र्क्स

उन्होंने बताया कि पर्यावरण मित्रों को अपने आसपास के मंदिरों में चढ़ने वाले फूल-पत्तियों से जैविक खाद बनाने की जिम्मेदारी दी जाएगी। पर्यावरण मित्र मंदिर के पास गढ्डा खोदेंगे, उसमें रोजाना मंदिर में चढ़ने वाली फूल-पत्तियां डालेंगे। करीब छह माह में जैविक खाद बनकर तैयार हो जाएगी। उन्होंने बताया जैविक खाद के आधार पर ही स्टूडेंट्स को प्रैक्टिकल में मा‌र्क्स दिए जाएंगे।

वर्जन

मंदिर में आस्था के नाम पर चढ़ने वाली फूल-पत्तियों का सही प्रयोग हो सके। इसलिए पर्यावरण मित्र बनाने का फैसला लिया है।

प्रो। आलोक खरे, बॉटनी बीसीबी