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JAMSHEDPUR: टाटानगर रेलवे स्टेशन पर वेंडर्स की मनमानी चल रही है। वेंडर्स ने खाने-पीने की चीजों की कीमत खुद तय कर रखी है। रेलवे स्टेशन पर एक नंबर प्लेटफार्म से लेकर पांच नंबर प्लेटफार्म तक लगभग खाने-पीने के भ्0 स्टॉल हैं। यहां आपको किसी भी स्टॉल पर खाने-पीने का सामान प्रिंट रेट से अधिक दाम पर ही मिलेगा। यदि आप प्रिंट रेट पर किसी चीज की मांग करते हैं, तो वेंडर सामान देने से ही इंकार कर देता है। ट्रेनों और स्टेशन में अधिक दामों पर सामान बिकने की शिकायत पर जब दैनिक जागरण-आईनेक्स्ट की टीम ने मंगलवार को कई ट्रेनों और रेलवेस्टेशन पर बिक रहे सामानों की कीमतों का रियलिटी चेक किया तो चौंकानेवाली बात सामने आई।

रेट पर कोई काबू नहीं

रेल मंत्रालय ने पिछले दिनों ट्रेन और स्टेशन पर बिकने वाली सामानों का रेट लिस्ट जारी की थी। इसके बावजूद टाटानगर रेलवे स्टेशन पर मनमानी जारी है। और तो और बिकने वाले सामानों की जांच भी नहीं होती है। इसका फायदा उठाते हुए फर्जी वेंडर सस्ते दरों पर सामान खरीदते हैं और यात्रियों को दोगुना दाम पर बेचते हैं। जब कभी अवैध रूप से सामान की बिक्री करने पर आरपीएफ पकड़ती है तो जुर्माना लेकर उसे छोड़ दिया जाता है या सामान को जब्त कर लिया जाता है। इन्हें जेल नहीं भेजा जाता है।

इसलिए लेते हैं ज्यादा पैसे

जब दैनिक जागरण-आईनेक्स्ट के रिपोर्टर ने टाटानगर स्टेशन पर वेंडर से प्रिंट रेट से ज्यादा पर खाने-पीने की वस्तुओं को बेचने की बात पूछी तो उसने बताया कि प्रिंट रेट के अतिरिक्त बढ़ाए गये भ् रुपये में से फ् रुपये रेल कर्मी लेते हैं, जबकि ख् रुपये वेंडर को बचता है। प्लेटफार्म नंबर-ब् पर एक वेंडर ने तो यहां तक दावा किया कि हर दो-चार घंटे में जीआरपीएफ के पुलिस कर्मी खाने-पीने की वस्तुओं को बिना रुपये दिये ले जाते हैं। उन्होंने बताया कि किसी भी वस्तु की खरीद पर जीआरपीएफ कर्मी प्रिंट मूल्य से कम पैसे देते हैं। इसलिए वे इस घाटे को पैसेंजर से वसूल करते हैं।

ऐसे लुट रहे हैं पैसेंजर्स

ट्रेनों में तय रेट से अधिक दामों पर सामान बेचने वाले वेंडर से दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने बात की। तो क्या कहा उसने आइए जानते हैं

रिपोर्टर : आप तय रेट से अधिक दाम पर सामान बेच रहे हैं। ऐसा क्यों?

वेंडर : चलती ट्रेन में आपको सामान मिल रहा है। ये कम है क्या? इसलिए आपक ो कुछ अधिक पैसे देने पड़ रहे हैं तो क्या हुआ।

रिपोर्टर : रेल मंत्रालय ने सभी सामानों का दाम तय कर दिया है, इसके बाद भी मनमाना रेट वसूल रहे हैं?

वेंडर : उस रेट में आपको स्टेशन पर सामान मिल जाएगा।

आईआरसीटीसी का तय रेट

चाय : भ् रु।

चाय के साथ बैग : 7 रु।

कॉफी : 7 रु।

पानी बोतल : क्भ् रु।

जनता मेल : ख्0 रु।

वेजिटेरियन ब्रेकफास्ट : फ्0 रु।

नॉनवेजिटेरियन ब्रेकफास्ट : फ्भ् रु।

वेज खाना : भ्0 रु।

नॉनवेज खाना : भ्भ् रु।

वेंडर्स का रेट

चाय : क्0 रु।

समोसा : ख्भ् रु।

नमकीन भ् वाला : क्0 रु।

पानी बोतल : ख्0 रु।

कोल्डड्रिंक : ब्भ् रु।

उबला अंडा : क्0 रु। / पीस

वेज खाना : 90 रु।

नॉनवेज खाना : क्ख्0 रु।

प्लेटफार्म पर गाड़ी रुकी तो बच्चों की जिद पर कोल्ड्रिंक्स खरीदने के लिए स्टॉल पर आया, तो पता चला कि यहां के दुकानदार प्रिंट रेट से ज्यादा पर सामान बेच रहे हैं। कोल्डड्रिंक्स की बोतल पर एमआरपी फ्भ् रुपए थी, लेकिन वेंडर ने ब्भ् रुपए लिए।

-प्रकाश कुमार सिंह, पैसेंजर

प्लेटफार्म पर पानी की बोतल खरीदी तो दुकानदार ने ख्0 रुपये लिए। बोतल पर प्रिंट क्भ् रुपए लिखा है। सफर के समय इनसे कौन मुंह लड़ाने जाये। यही सोचकर मैने पैसे दे दिए। वेंडर प्लेटफार्म और ट्रेन में हमेशा ही अपनी मनमानी करते हैं। साथ ही दाम बढ़ा कर सामानों को बेचते हैं।

-सेफ, पैसेंजर

प्लेटफार्म के अंदर सामान पर भ् से 7 रुपये प्रिंट रेट से ज्यादा का अंतर हैं। पूछने पर वेंडर कहते हैं कि प्लेटफार्म में यही रेट लगता हैं। दुकान के बाहर रेट चार्ट में सामान का जो प्रिंट रेट लिखा है। उसमें और वेंडर्स के रेट में काफी अंतर है।

-वसीम अकरम, पैसेंजर

प्लेटफार्म में 8 रुपये में मिलने वाली कॉफी का वेंडर्स क्भ् रुपए लेते हैं। इतना ही नहीं खाने-पीने की हर वस्तु की कीमत प्रिंट रेट से ज्यादा हैं। दुकानदार से पूछने पर कहता है पानी को ठंडा करने के एक्स्ट्रा पैसे लगते हैं। मगर यहां तो नार्मल पानी के बोतल का भी दाम बढ़ा कर लिया जा रहा हैं।

-सतीश मुखी, पैसेंजर

अवैध वेंडर्स के खिलाफ जब भी कंप्लेन आता है। उसे एड्रेस कर कारवाई की जाती है। वहीं इसमें दोषी पाये जाने वालों के खिलाफ कारवाई भी कारवाई की जाती है। साथ ही रेल नीर की क्वांटीटी को देखते हुए सभी प्लेटफार्म पर वाटर वेडिंग मशीन लगाने का काम भी किया जा रहा है। ताकि अवैध वेंडर्स से पैरेंसर्स को मुक्ति दिलाई जा सके। किसी यात्री को अगर कोई परेशानी होती है तो वह टोल फ्री क्8ख् नंबर पर कॉल कर सूचना दे सकते है।

-भाष्कर, सीनियर डीसीएम, टाटानगर रेलवे