-ग्राउंड पर सुविधा के अभाव में हौसले से उड़ान भर रहे फुटबाल खिलाड़ी

-इस वर्ष एक दर्जन खिलाडि़यों ने लिया स्कूल व नेशनल टूर्नामेंट्स में हिस्सा

ALLAHABAD: मैदान पर खिलाड़ी जूझ रहे हैं। मन में लगन है, जूनून है, जिद है। चाहत है बस एक किक पाने की। यह किक सलमान खान वाली नहीं है, यह किक है फुटबॉल की। दो दिनों तक फुटबाल खिलाडि़यों की सरकार द्वारा उपेक्षा और ग्राउंड की अव्यवस्थाओं से आप रूबरू हुए। आज आपको बताते हैं कुछ ऐसे खिलाडि़यों के बारे में जो सुविधाओं के अभाव में भी सितारे बनकर चमक रहे हैं।

खूब बहाते हैं पसीना

आप को ले चलते हैं सदर बाजार स्थित फुटबाल गड्ढा ग्राउंड में सुविधाएं न के बराबर हैं। यहां प्रैक्टिस करने वालों के पास न तो फुटबाल बूट है और न ही कोई किट। फिर भी वे सुबह शाम पसीना बहा रहे हैं। मौका मिलते ही अपने जज्बे व कोच के दिए टिप्स की बदौलत जिले व मंडल का नाम भी रोशन कर रहे हैं। यहां एक दर्जन से अधिक ऐसे खिलाड़ी हैं जिनका नाम फुटबाल के मैदान पर बड़े अदब लिया जाता है। इन खिलाडि़यों में बालिकाएं भी शामिल हैं। हालांकि इनमें उपेक्षा की टीस साफ झलकती है। उनके पास सुविधा के नाम पर कुछ है तो बस एक बेहतरीन कोच। जो उनकी मेहनत व लगन को देखते हुए ग्राउंड पर खिलाडि़यों को फुटबाल के गुर सिखाए जा रहे हैं।

बाक्स

इस वर्ष नेशनल खेलने वाले प्लेयर्स

-रजनीश पटेल का स्कूल नेशनल गेम में बेस्ट प्रदर्शन

-अंकिता चौधरी आल इंडिया नेशनल केरला बेस्ट प्रदर्शन

-लकी पांडेय आल इंडिया नेशनल केरला बेस्ट प्रदर्शन

-विकल्प झा आल इंडिया नेशनल केरला बेस्ट प्रदर्शन

-हिमांशी जूनियर बालिका नेशनल कटक में बेस्ट प्रदर्शन

-कंचन सोनकर नेशनल स्कूल गेम्स में बेस्ट प्रदर्शन

-शालिनी धुरिया नेशनल स्कूल गेम्स में बेस्ट प्रदर्शन

-रौनक जहां सब जूनियर नेशनल व स्कूल-नेशनल में प्रदर्शन

-मानशी कुमारी नेशनल स्कूल गेम्स में शानदार प्रदर्शन

-लकी पांडेय ओपेन नेशन में बेस्ट प्रर्शन

बाक्स

चयन में भी किए जाते हैं खेल

ग्राउंड पर व्यवस्था का तो अकाल है ही, नेशनल टीम में खिलाडि़यों का चयन करते समय भी खेल किए जाते हैं। नाम न छापने की शर्त पर कुछ खिलाडि़यों ने बताया कि टीम का चयन करने के लिए गठित कमेटी कभी-कभार अपने खास का चयन कर लेती है। जबकि उससे बेहतर खिलाड़ी बाहर रह जाते हैं। ऐसे में खिलाडि़यों का मनोबल टूटने लगता है।

वर्जन

सुविधा नहीं है इसका मतलब यह तो नहीं कि हाथ पर हाथ रख के बैठ जाएं। हम मेहनत करेंगे तो आज नहीं कल सफलता मिलेगी ही। स्टेडियम के कई खिलाडि़यों ने जिले का नाम रोशन किया है।

-अंकित चौधरी

यह सच है कि सरकार से सुविधाएं हम फुटबाल खिलाडि़यों को नहीं मिल रही। सरकार की उपेक्षा का रोना रो कर हम अपने सपनों को नहीं मार सकते।

-रजनीश पटेल

सुविधाओं के अभाव को लेकर रोने से बेहतर है कि प्रयास करें। सरकार खिलाडि़यों को क्या देगी? खिलाड़ी खुद अपने मेहनत के दम पर सरकार से ले लेते हैं।

-लकी पांडेय

हमें स्टेडियम से कुछ तभी मिलेगा जब सरकार देगी। सरकार देती ही नहीं तो स्टेडियम के अधिकारी क्या कर सकते हैं। हमें अपना लक्ष्य याद है हम उसे पाने तक प्रैक्टिस करते रहेंगे।

-शोभित सिंह

वर्जन

सुविधाओं का अभाव होने के बावजूद स्टेडियम के कई बच्चे इस साल स्कूल, नेशनल में हिस्सा लिए। चयन प्रदर्शन के आधार पर किया जाता है। जिनका प्रदर्शन ठीक नहीं होता उनका चयन कमेटी नहीं करती। ऐसे में वे कमेटी पर आरोप लगाने लगते हैं।

अरविंद श्रीवास्तव, फुटबाल कोच स्टेडियम सदर बाजार गड्ढा ग्राउंड