- सेंट्रल जेल में कैदियों की लगातार बढ़ रही है तादाद लेकिन जेल स्टॉफ की तैनाती पर नहीं है शासन का कोई ध्यान

- करीब 1700 कैदियों के लिए मौजूद हैं आधे से भी कम कर्मी, सुरक्षा को लेकर होती है बड़ी परेशानी

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सात सौ की क्षमता वाले सेंट्रल जेल में इस समय 1700 खूंखार कैदियों को रखा गया है। जेल की क्षमता से दूने से भी अधिक कैदियों को संभालने के लिए स्वीकृत स्टाफ आधा भी नहीं है। सेंट्रल जेल में कोई ट्रिपल मर्डर में बंद है तो कोई रेप या अपहरण के मामले में। किसी ने डकैती की है तो कोई लूट के मामले में सजा काट रहा है। प्रदेश की अलग-अलग जेलों से यहां आये दिन किसी न किसी कैदी को ट्रांसफर कर भेज दिया जाता है। जेल में खूंखार और शातिर बदमाशों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इनकी सुरक्षा में तैनात कर्मियों की संख्या कम होती जा रही है। यहीं कारण है कि जेल में नई बैरकों के बनने के बाद भी इसमे कैदियों को शिफ्ट नहीं किया जा सका है।

फुल हो चुके हैं सभी बैरक

सेंट्रल जेल में सुरक्षा बड़ा सवाल है। वजह जेल में कैदियों की संख्या बढ़ने के कारण पुराने बैरक पूरी तरह से फुल हो चुके है। एक बैरक में चार से पांच की जगह आठ से दस कैदियों को रखना मजबूरी हो गया है। जेल के अंदर कैदी सुविधाओं को भी लेकर अक्सर हो हल्ला करते रहते हैं। सेंट्रल जेल में भी कैदियों का उत्पात दो बार हो चुका है। जिसने जेल सुरक्षा की पोल खोलकर रख दी थी। डिप्टी जेलर धीरेन्द्र प्रताप सिंह का कहना है कि जेल में सुविधाओं का बढ़ना बड़ी बात नहीं है क्योंकि ये काम तो विकास के तहत होते रहते हैं लेकिन जेल की सुरक्षा के लिए जेल कर्मियों की संख्या बढ़ना बेहद जरूरी है। क्योंकि 30 साल पहले जब जेल में 700 कैदियों की संख्या थी तो उस वक्त भी बंदी रक्षक से लेकर जेल स्टॉफ की संख्या भी उतनी ही थी जितनी इस वक्त है। वर्तमान में तो हाल ये है कि जेल में स्वीकृत पदों के सापेक्ष तैनाती बेहद कम है। इसके कारण जेल में बंद खूंखारों की निगरानी करना मुश्किल है।

पद स्वीकृत तैनाती

वरिष्ठ अधीक्षक 1 1

जेलर 2 1

डिप्टी जेलर 14 2

हेड जेल बार्डर 33 11

जेल बार्डर 167 154

बंदी रक्षक 200 165

उप कारपाल 448 171

- 1700 कैदी हैं जेल में

- 700 कैदियों को रखने व्यवस्था है जेल में

- 18 विदेशी नागरिक भी काट रहे हैं सजा

- 03 कैदी पाकिस्तान के हैं

- 02 को रखा गया है हाई सिक्योरिटी सेल में

बंदिरक्षकों सहित जेल में अन्य पदों पर कर्मचारियों की कमी लंबे वक्त से बनी है। इससे जेल की सुरक्षा और कैदियों की निगरानी प्रभावित होती है।

अम्बरीश गौड़, वरिष्ठ जेल अधीक्षक