बामियान उन सात इलाकों में से पहला है जिसका नियंत्रण राष्ट्रपति करज़ई के मार्च में घोषित योजना के तहत स्थानीय सुरक्षा सैनिकों के हवाले किया जा रहा है। बामियान में काफ़ी हद तक शांति रही है लेकिन ये काफ़ी ग़रीब प्रांत है और विदेशी मदद पर बहुत ज़्यादा निर्भर है।

इस हस्तांतरण को 2014 में होने वाले उस पूर्ण हस्तांतरण से पहले काफ़ी अहम माना जा रहा जब विदेशी सैनिक युद्द की भूमिका से बाहर हो जाएंगे। हस्तांतरण समारोह के लिए विदेशी राजदूत और वरिष्ठ अफ़गान मंत्री काबुल से बामियान पहुंचे। सुरक्षा कारणों से उनके आने की घोषणा पहले से नहीं की गई थी और उसका लाइव प्रसारण भी नहीं किया गया। फ़िलहाल वहां न्यूज़ीलैंड के सैनिक मौजूद रहेंगे लेकिन उन पर अफ़गान सुरक्षा बलों का नियंत्रण रहेगा।

जो अन्य इलाके अफ़गान सुरक्षा बलों को सौंपे जाने हैं वो हैं काबुल, पंजशीर, हेरात, मज़ार ए शरीफ़, मेहतर लाम और लश्कर गाह जो अस्थिर हेलमंद प्रांत की राजधानी है और जहां तालिबान अभी काफ़ी सक्रिय हैं।

शनिवार को लश्कर गाह के पास ही अफ़गान सेना के साथ गश्त लगा रहे एक ब्रितानी सैनिक की मौत हो गई। वहां से आ रही ख़बरों के अनुसार उसे एक ऐसे व्यक्ति ने गोली मारी है जो अफ़गान सेना की वर्दी में था।

मज़ार ए शरीफ़ में भी मार्च में राष्ट्रपति करज़ई के एलान के कुछ ही हफ़्तों बाद संयुक्त राष्ट्र के सात अधिकारियों को मार डाला गया। बामियान पहुंचे बीबीसी संवाददाता जौनाथन बील का कहना है कि यदि वहां (बामियान में) हस्तांतरण सफल नहीं हुआ तो फिर देश के दूसरे असुरक्षित इलाकों में इसकी सफलता पर कई सवाल उठेंगे।

बीबीसी संवाददाता का कहना है कि बामियान अभी अपनी कई समस्याओं से जूझ रहा है। पचास प्रतिशत लोग ऐसे हैं जिनके पास खाने को नहीं है। वहां के कई स्थानीय लोगों को ये भी डर है कि सुरक्षा ह्स्तांतरण से भ्रष्टाचार में तेज़ी आएगी, बेरोज़गारी बढ़ेगी और असुरक्षा भी बढ़ेगी।

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