2 गोलियां हैं असरदार

वर्ल्ड हेपेटाइटस डे पर इस बार इसके मरीजों को, खासकर इसके सी टाइप से पीडि़त भारतीय मरीजों को राहत की खबर मिली है. दरअसल अब उनका इलाज इंजेक्शन की बजाय गोलियों से हो सकेगा. 28 जुलाई को हर साल वर्ल्ड हेपेटाइटस डे मनाया जाता है. हेपेटाइटस से लड़ रहे पेशेंट को राहत पहुचाने के लिये एक स्टडी की गई. नयी स्टडी में यह पाया गया है कि हेपेटाइटस सी के पेशेंट के इलाज के लिए दो गोलियां असरदार साबित होंगी और इनका कोई साइड एफक्ट्स भी नहीं होगा. हेपेटाइटस सी जीनोटाइप 1 को फिलहाल सबसे खतरनाक माना जाता है. जर्मनी के हैनोवर मेडिकल स्कूल के माइकल मास ने बताया कि दोनों गोलियों (इंटरफेरान और रिबाविरिन) से हेपेटाइटस सी के उन मरीजों का, का अब प्रभावी, सुरक्षित, छोटा और आसानी से इलाज किया जा सकेगा, जो अभी तक प्रचलित इलाज से ठीक नहीं हुए हैं.

15 करोड़ लोग हेपेटाइटस के पेशेंट

फिलहाल दुनिया में लगभग 15 करोड़ लोग हेपेटाइटस सी से प्रभावित हैं. इसमें लीवर में सूजन आ जाती है और कैंसर हो जाता है. वर्ल्ड लेवल पर हेपेटाइटिस-ई का विस्तार वयस्कों में 25 प्रतिशत तक है, जबकि इंडिया में वयस्कों में इसके वायरस 40 प्रतिशत तक फैल चुके हैं. हेपेटाइटिस-ई के पेशेंट सबसे ज्यादा हैं और गर्भवती महिलाएं इससे सबसे ज्यादा पीडि़त हैं. इसके अलावा, संक्रमित रक्त और असुरक्षित यौन संबंधों की वजह से हेपेटाइटिस बी, सी और डी होता है. इंडिया में इस प्रकार का हेपेटाइटिस महामारी की तरह फैला हुआ है. इसके फैलने की पीछे सबसे बड़ी वजह यह है कि लोगों को इस बीमारी की सही जानकारी नहीं होती है.

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