रांची : झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती चारा घोटाले के एक मामले में दोषी करार दिए गए हैं। घोटाले के वक्त वे चाईबासा के उपायुक्त पद पर तैनात थे। चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित मामले में सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश शंभू लाल साव की अदालत ने मंगलवार को उन्हें दोषी ठहराया। अदालत ने सजा की बिंदु पर सुनवाई के लिए 21 नवंबर की तिथि निर्धारित की है। अदालत से दोषी ठहराए जाने के बाद सजल चक्रवर्ती को न्यायिक हिरासत में बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा भेज दिया गया।

 

आरसी 20ए/96 के तहत मामला

इस मामले को लेकर चारा घोटाला कांड संख्या आरसी 20ए/96 के तहत मामला दर्ज किया गया था। सीबीआइ के विशेष लोक अभियोजक बीएमपी सिंह फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि सजल के खिलाफ कोषागार से अवैध निकासी का नजरअंदाज करने, आपूर्तिकर्ता से लैपटॉप लेने का आरोप था। सजल को साजिश व धोखाधड़ी करने, सरकारी राशि गबन करने, जाली कागजात का इस्तेमाल करने व उसे व्यवहार में लाने, आपराधिक षड़यंत्र करने से संबंधित भादवि की अलग-अलग धारा का दोषी पाया गया है। इसके अलावा भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत सरकारी पद का दुरुपयोग करने व दूसरे से लाभ लेने के आरोप में को भी न्यायालय ने सही पाया है।

 

निकासी को किया नजरंदाज

सजल चक्रवर्ती 1992 से 95 के बीच चाईबासा के उपायुक्त थे। इस दौरान उनकी जानकारी में पशुपालन विभाग से अत्यधिक निकासी हुई। उन्होंने तत्कालीन जिला पशुपालन पदाधिकारी ब्रजनंदन शर्मा एवं आपूर्तिकताओं से मेलजोल कर इसे नजरंदाज किया। नतीजतन कोषागार से 37 करोड़ 70 लाख 39 हजार 743 रुपये की निकासी कर ली गई। सजल चक्रवर्ती उपायुक्त होते हुए चाईबासा कोषागार के संपूर्ण प्रभार में थे। इसके बावजूद उन्होंने कोषागार से निकासी होने दी। इतना ही नहीं उन्होंने एक आपूर्तिकर्ता से लैपटॉप भी प्राप्त किया।

 

 

दो टर्म रहे मुख्य सचिव

सजल चक्रवर्ती दो दफा झारखंड के मुख्य सचिव के पद पर रहे। पहली बार वे 30 अप्रैल 2014 से 14 अगस्त 2014 तक मुख्य सचिव के प्रभार में रहे। दोबारा उन्होंने 30 सितंबर 2014 को मुख्य सचिव का प्रभार ग्रहण किया। वे 20 जनवरी 2015 तक इस पद पर रहे।

 

 

सजल को मिली थी क्लीनचिट

चारा घोटाला के चाईबासा कोषागार से जुड़े 20ए/96 मामले में सजल चक्रवर्ती को हाईकोर्ट ने क्लीनचिट दी थी। इसके बाद इस मामले में सीबीआइ कोर्ट ने जब तीन अक्टूबर 2013 को फैसला सुनाया तो लालू प्रसाद यादव, जगन्नाथ मिश्रा सहित 45 आरोपियों को सजा सुनाई गई लेकिन सजल बच गए।

 

 

23 मई सजल ने किया था सरेंडर

सुप्रीम कोर्ट द्वारा मुकदमा चलाए जाने के आदेश के बाद सजल चक्रवर्ती ने इस वर्ष 23 मई को सीबीआइ के विशेष कोर्ट में आत्मसर्पण किया था। अदालत ने उन्हें जमानत दी। इसके बाद सजल चक्रवर्ती के पूरक अभिलेख की सुनवाई शुरू हुई।

 

 

एक मामले में हो चुकी है सजा

सजल चक्रवर्ती के अधिवक्ता एके मित्रा व प्रितांशु कुमार सिंह ने बताया कि वर्ष 2011 में चारा घोटाला कांड संख्या 51ए/96 में सीबीआइ के विशेष कोर्ट ने फैसला सुनाया था। मामले में सीबीआइ कोर्ट ने दोषी ठहराते हुए सजल को चार वर्ष की सजा सुनाई थी। सजल ने सजा को हाई कोर्ट में चुनौती दी। हाई कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया था।