ये नदियां भी जीवित मानव

उत्तराखंड उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए गंगा नदी को जीवित मानव घोषित किया था. इसके साथ उन्होंने इस फैसले को विस्तृत करते हुए यमुना नदी, ग्लेशियरों तथा उनकी सहायक नदियों को भी जीवित मानव का दर्जा दिया था. बता दें कि यह फैसला प्रकृति का संरक्षण करने तथा गंगा को और प्रदूषित होने से बचाने

के लिए लिया गया था.

फैसले को फ्रांस ने कोर्से में शामिल किया

फ्रांस में भी इस फैसले को लोकप्रियता मिली है. वहां के कोर्स में इस फैसले को शामिल किया गया है और कई उच्च शिक्षण संस्थानों ने वहां इस फैसले को अपने पाठ्य सामग्री में भी शामिल करने का निर्णय लिया है.

सुप्रीम कोर्ट की है रोक

उत्तराखंड के इस आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल रोक लगा दी है. फ्रांसीसी शोधकर्ता डेनियल बियरटी ने इस सिलसिले पर रिसर्च को लेकर अधिवक्ता ललित मिगलानी से मुलाकात की. उन्होंने बताया कि फ्रांस में सेंटर फॉर साइंस रिसर्च और सेंटर फॉर हिमालयन स्टडीज ने इस आदेश को अपने रिसर्च स्टडी में शामिल किया है.

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