- तीन फ्लैट के नाम पर लिया 80 लाख रुपये लोन

- किश्त न जमा करने पर बैंक ने जब्त किया था फ्लैट

- धोखे से बिल्डर ने बैंक के जब्त फ्लैट को दूसरे ग्राहक को बेच दिया

LUCKNOW : हजरतगंज थाने में निजी बैंक ने सामियाह इंटरनेशनल बिल्डर्स पर जालसाजी का केस दर्ज कराया। बैंक ने बिल्डर्स पर आरोप लगाया कि एक व्यक्ति के नाम से तीन फ्लैट खरीदे। जिस पर 80 लाख रुपए का लोन कराया। फ्लैट खरीदने वाले के खाते से कोई किश्त जमा नहीं की गई तो बैंक ने दिवालिया घोषित कर संपति को जब्त कर लिया। इसके बाद तीनों की नीलामी करा दी। बिल्डर्स ने बैंक को निर्माण पूरा होने के बाद कब्जा देने की बात कही थी, लेकिन इसी बीच फर्जी दस्तावेज तैयार तीनों फ्लैट बेचकर सारी रकम हड़प ली। बैंक के जीएम (लीगल) की तहरीर पर कंपनी के चेयरमैन व अन्य निदेशकों के खिलाफ जालसाजी का केस दर्ज कर पड़ताल शुरू कर दिया।

बैंक ने किया था दिवालिया घोषित

इंडियावुल्स हाऊसिंग फाइनेंस कंपनी के जीएम (लीगल) दिनेश चंद्र पांडेय के मुताबिक सामियाह इंटरनेशनल बिल्डर्स लिमिटेड के चेयरमैन मो। जमील के इशारे पर निदेशक नसीम और फईम ने मधुकर डेमला के फर्जी दस्तावेज तैयार कर लोन के लिए आवेदन किया। लोन कंपनी द्वारा बनाई जा रही वृन्दावन कॉलोनी में मेलरोज इवेन्यू अपार्टमेंट के तीन फ्लैट 102, 103 और 107 के लिए थे। तीनों के लिए बैंक ने 2010 में डेमला को 80 लाख 50 हजार रुपए लोन दिया। इसके बदले तीनों के दस्तावेज बंधक रख लिये। इसके बाद चार सालों तक डेमला ने बैंक को कोई भी किस्त नहीं दी। बैंक ने नोटिस जारी की। इसका भी जबाव नहीं दिया गया। इसके बाद 2014 में बैंक ने मधुकर डेमला को दिवालिया घोषित करते हुए तीनों फ्लैट को सील कर दिया। साथ ही नीलामी प्रक्रिया शुरू की।

बैंक ने बेचा था गिरवी फ्लैट

ज लाई 2015 में फ्लैट नंबर 103 को बैंक ने नीलाम किया। इसके एक साल बाद अन्य दोनों फ्लैट को भी बैंक ने नीलाम कर गौरव श्रीवास्तव को बेच दिया। जिसका दस्तावेज गौरव श्रीवास्तव के नाम से बैंक के पास बंधक हैं। बिल्डर ने बैंक और ग्राहक दोनों के साथ धोखाधड़ी की। जब बैंक के अधिकारी गौरव श्रीवास्तव को कब्जा दिलाने गए तो वहां निर्माण पूरा न होने का वास्ता देते हुए बिल्डर ने बाद में कब्जा देने की बात कही। बैंक और गौरव निर्माण के बाद कब्जा लेने के लिए राजी हो गए।

फर्जी दस्तावेज तैयार कर बेच दी नीलाम संपत्ति

जीएम ने बताया कि बिल्डर ने बैंक की नीलाम की गई संपति के फर्जी तरीके से दस्तावेज तैयार कर तीनों फ्लैट को बेच दिया। इसका खुलासा तब हुआ जब गौरव 2017 में निर्माण की स्थिति देखने गए थे। गौरव ने देखा कि जो फ्लैट उन्होंने खरीदा था उसमें किसी और का परिवार रह रहा है। उन्होंने फ्लैट में रहने वाले परिवार से पूछताछ की तो पता चला कि बिल्डर से उसे खरीदा लिया है। गौरव ने इसकी शिकायत बैंक के अधिकारियों से की। अधिकारियों ने वहां पहुंचकर मामले की पड़ताल की तो सारी सच्चाई सामने आई। जीएम ने बताया कि रजिस्ट्री कार्यालय से तीनों फ्लैट के पेपर निकाले गए। जो पूरी तरह से फर्जी तरीके से तैयार किए गए थे। इस पर बैंक ने बिल्डर को नोटिस दी।

बिल्डर ने की धोखाधड़ी

इंस्पेक्टर हजरतगंज आनंद शाही ने बताया कि बैंक ने बिल्डर और ग्राहक से त्रिपक्षीय अनुबंध किया था। इसके तहत लोन फ्लैट के खरीदार के नाम से होगा। जबकि रकम सीधे बिल्डर के खाते में भुगतान की जाती है। इस अनुबंध के मुताबिक अगर ग्राहक बैंक का लोन जमा नहीं कर पाता है तो बिल्डर उसे बैंक के खाते में वापस कर देगा, लेकिन बिल्डर ने ऐसा नहीं किया। उसने बैंक की रकम तो हड़प ली। इसके अलावा बैंक के नीलामी में बेची गई संपत्ति को दोबारा रजिस्ट्री कर आर्थिक अपराध किया है। बैंक अधिकारियों के मुताबिक ने 80 लाख रुपए का लोन दिया जो वर्तमान में एक करोड़ रुपए से अधिक हो गया है। बिल्डर ने यह रकम जमा नही की साथ ही बैंक और ग्राहक के साथ जालसाजी कर करोड़ों रुपए ऐंठ लिया। बैंक के जीएम की तहरीर पर केस दर्ज कर लिया गया है। आरोपियों की तलाश की जा रही है।