स्टेट बैंक से करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी करने वाले भदोही के कालीन व्यापारियों के ठिकाने पर सीबीआई ने बुधवार को छापेमारी की। सीबीआई लखनऊ की स्पेशल क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने कालीन व्यापारियों की फैक्ट्री और आवास पर छापा मारकर बैक के साथ की गयी धोखाधड़ी के तमाम अहम सुबूत एकत्र किए हैं। जल्द ही तीनों आरोपितों को राजधानी स्थित सीबीआई के जोनल मुख्यालय बुलाकर पूछताछ करने की तैयारी है। ध्यान रहे कि सीबीआई ने बीती 12 फरवरी को कालीन का निर्यात करने वाली कंपनी के दो निदेशकों और गारंटर के खिलाफ 7.40 करोड़ की धोखाधड़ी अंजाम देने का केस दर्ज किया था।

 

अचानक पहुंची सीबीआई टीम

बुधवार को सीबीआई की स्पेशल क्राइम ब्रांच के एसपी एसके खरे के निर्देश पर डिप्टी एसपी प्रशांत श्रीवास्तव के नेतृत्व में सीबीआई की टीम ने भदोही के फत्तूपुर नया बाजार में स्थित शिवांग कारपेट के ठिकानों को खंगाला। इस दौरान विदेशी कंपनियों के साथ हुए लेनदेन के अलावा कई संपत्तियों के दस्तावेज भी बरामद किए गये हैं। सीबीआई के सूत्रों की माने तो कई दस्तावेज संदिग्ध पाए गये हैं जिससे बैंक के साथ की गयी धोखाधड़ी के सुबूत मिल रहे हैं। इस दौरान सीबीआई के अफसरों ने शिवांग कारपेट प्राइवेट लिमिटेड के दोनों निदेशक रंजीत सिंह और अभिषेक सिंह व गारंटर और अभिषेक के पिता समर बहादुर से पूछताछ भी की। मालूम हो कि स्टेट बैंक के रीजनल मैनेजर ने सीबीआई में शिकायत दर्ज करायी थी कि शिवांग कारपेट प्राइवेट लिमिटेड ने वर्ष 2015-16 और वर्ष 2016-17 के 19 एक्सपोर्ट बिल (6,56,38,093 रुपये) एक मई 2017 को स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर व जयपुर में बिल परचेज लिमिट के तहत संस्तुति के लिए लगाए थे। उस दौरान इस बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में मर्जर नहीं हुआ था। कंपनी के निदेशकों ने 19 बिलों में से 12 बिल से जुड़े दस्तावेज यह कहते हुए बैंक में नहीं लगाए कि उन्हें सीधे कंपनी को भेजा जाएगा। बाद में बाकी जो सात बिल दिए थे उनमें से चार बिल डिमांड न पूरी होने, दो बिल आर्डर न पहुंचने और एक बिल न ही वापसी और न ही भुगतान बताते हुए कंपनी ने वापस ले लिए।

 

कंपनी ने किया इंकार

बिल की एक्सपायरी होने के बाद बैंक ने जर्मनी की कंपनी टेपिके लाली ओएचजी से डिलीवरी और बिलों को लेकर संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि उनके पास कोई बिल और दस्तावेज नहीं आए हैं। बैंक ने शिपिंग कंपनी इंडो ग्लोब से संपर्क किया तो पता चला कि जिन 12 बिलों की बात बैंक कर रहा है उससे जुड़ा कोई भी माल उनके यहां नहीं लोड हुआ है। जांच में खुलासा हुआ कि कंपनी के निदेशकों ने फर्जी बिल और दस्तावेज तैयार कर माल कहीं और भेजकर बैंक के साथ जालसाजी की।