-फर्जी नाम से कार फायनांस कराकर वकील को बेची थी

-भुक्तभोगी की पड़ताल में बैंक मैनेजर ने भी लोन होने से किया था इनकार

-आरोपों की पुष्टि होने पर पुलिस ने आरोपी को किया अरेस्ट

LUCKNOW: फर्जी नाम से कार फायनांस कराकर वकील को बेचने के आरोपी जालसाज मो। वासिल उर्फ रमेश शुक्ला को आखिरकार वजीरगंज पुलिस ने अरेस्ट कर लिया। इस फर्जीवाड़े में शामिल उसका भाई मो। बिलाल अब भी पुलिस की पकड़ से दूर है, जिसकी सरगर्मी से तलाश की जा रही है। इसके साथ ही पुलिस जांच कर रही है कि आरोपी मो। वासिल और उसके साथियों ने इसके अलावा कितने और लोगों को इसी तरह से अपनी जालसाजी का शिकार बनाया है। हालांकि, इस फर्जीवाड़े में संदिग्ध भूमिका निभाने वाले बैंक मैनेजर दयाराम के बारे में मामले के विवेचनाधिकारी एसआई यदुनाथ सिंह ने अब तक अपना रुख साफ नहीं किया है।

यह था मामला

लालकुआं के छितवापुर रोड निवासी ज्योतिरेश पांडेय पेशे से वकील हैं। ज्योतिरेश के मुताबिक, बीते दिनों उन्हें मकान बनाने के लिये लोन लेना था, इसी लोन के सिलसिले में उनकी मुलाकात अमीनाबाद, जूते वाली गली निवासी मो। बिलाल से हुई। बिलाल विभिन्न बैंकों से लोन दिलाने का काम करता था। उसने ज्योतिरेश को भी कागजी खानापूरी के बाद हाउसिंग लोन दिला दिया। इसके बाद एक एसी भी फायनांस कराया। ज्योतिरेश ने बताया कि दो बार लोन दिला चुके बिलाल पर उनका विश्वास जम गया। जिसके बाद ख्0क्फ् में उन्होंने बिलाल से कार लोन के बारे में बात की। जिस पर बिलाल ने उन्हें बताया कि उसके परिचित सिटी स्टेशन निवासी रमेश शुक्ला अपनी छह महीने पुरानी इंडिगो कार बेचना चाहते हैं। उसने बताया कि वह उन्हें वह कार डेढ़ लाख रुपये कम पर दिलवा देगा। वकील ज्योतिरेश को यह ऑफर अच्छा लगा और उन्होंने कार के कागज मांगे। बिलाल ने उन्हें कार के कागज लाकर दे दिये। ज्योतिरेश ने बताया कि उन्होंने इंडिगो कार की एजेंसी गोल्डरश में पड़ताल की तो पता चला कि रमेश शुक्ला की कार विकासनगर स्थित यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के डिमांड ड्राफ्ट द्वारा पेमेंट देकर खरीदी गई थी।

मैनेजर ने लोन की बात से किया था इनकार

यह जानकारी मिलने के बाद ज्योतिरेश विकासनगर स्थित यूनियन बैंक ऑफ इंडिया पहुंचे और बैंक मैनेजर दयाराम से रमेश शुक्ला की कार (यूपीफ्ख्ईजे/भ्भ्07) पर लोन के बारे में पूछताछ की। ज्योतिरेश के मुताबिक, बैंक मैनेजर दयाराम ने इस कार पर कोई भी लोन होने से इनकार कर दिया। तस्दीक हो जाने पर ज्योतिरेश पांडेय ने कार की कीमत भ् लाख रुपये रमेश शुक्ला को अदा करते हुए उससे कार खरीद ली। बीते दिनों ज्योतिरेश को अपनी जमीन पर होटल बनवाने के लिये लोन लेना था। उन्होंने बिलाल से फिर से संपर्क किया। बिलाल ने तमाम खर्चो के नाम पर उनसे पांच लाख रुपये वसूल लिये। ज्योतिरेश के मुताबिक, बिलाल जब काफी दिनों तक लोन दिलाने में नाकाम रहा तो वह उसके घर पहुंचे। जहां उसके घर से उन्हें कार बेचने वाला रमेश शुक्ला बाहर निकल रहा था। अभी वह रमेश शुक्ला से हालचाल पूछ ही रहे थे, कि तभी वहां से गुजर रहे एक शख्स ने रमेश शुक्ला को मो। वासिल नाम से पुकारा। यह सुनते ही ज्योतिरेश के कान खड़े हो गए। जब उन्होंने आसपड़ोस में पूछताछ की तो पता चला कि रमेश शुक्ला नाम से उन्हें कार बेचने वाला असल में मो। बिलाल का बड़ा भाई मो। वासिल है। फर्जीवाड़े का पता चलने पर वकील ज्योतिरेश ने मो। वासिल उर्फ रमेश शुक्ला के खिलाफ वजीरगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई। इंस्पेक्टर वजीरगंज अजीत सिंह चौहान ने बताया कि जांच में मो। वासिल पर लगे आरोपों की पुष्टि होने पर गुरुवार को पुलिस ने आरोपी मो। वासिल उर्फ रमेश शुक्ला को अमीनाबाद स्थित उसके घर के करीब से अरेस्ट कर लिया।

सिंचाईकर्मी को पता नहीं बन गया गारंटर

गिऱफ्त में आए जालसाज वासिल ने इस फर्जीवाड़े में इंदिरानगर निवासी सिंचाईकर्मी राकेश कुमार को गारंटर बनाया था। राकेश के मुताबिक, बीती दिसंबर महीने में बैंक मैनेजर दयाराम उनके घर आए और उन्हें गारंटर बनाए जाने की जानकारी दी। यह सुनते ही उनके होश उड़ गए। राकेश ने दयाराम से ऐसी किसी भी गारंटी देने से इनकार कर दिया। राकेश ने बताया कि उस वक्त दयाराम उससे माफी मांगकर वहां से चले गए लेकिन जनवरी महीने में उसे नोटिस भेज दिया। परेशान राकेश ने बुधवार को कोर्ट में हलफनामे में बयान दिया कि उन्होंने ऐसी किसी गारंटी के दस्तावेज में सिग्नेचर नहीं किये। इसके अलावा गारंटी के दस्तावेजों में लगी फोटो भी उनकी नहीं है। उन्होंने कहा कि जब बैंक मैनेजर दयाराम को पूरे मामले का पता चल गया तो फिर उन्होंने एफआईआर क्यों नहीं दर्ज कराई। राकेश ने भी पूरे मामले में बैंक मैनेजर की संलिप्तता का आरोप लगाया।