1. आईटी विभाग ने बैंकों को आदेश दे दिया है कि वह अपने ग्राहकों के सभी बड़े ट्रांजैक्शन की सूचना विभाग को देते रहें। आपका बैंक टैक्स डिपार्टमेंट को सूचित करेगा यदि आपने कैश डिपॉजिट किया है, डिमांड ड्राफ्ट बनवाया है या फिर एफडी करवाई है, बशर्ते यह संबंधित वित्तीय वर्ष में समुच्चय रूप में 10 लाख रुपए या उससे ज्यादा हो।
2. वहीं अगर आप अचल संपत्ति यानी (जमीन या मकान) आदि की खरीदारी करते हैं। तो प्रॉपर्टी रजिस्ट्रार की यह जिम्मेदारी होगी कि वह किसी भी अचल संपत्ति जोकि 30 लाख रुपए से अधिक की हो, की खरीददारी या बिक्री की सूचना आईटी विभाग को देगा।
3. अब यह नियम लागू हो चुका है कि यदि 50 लाख रुपए से अधिक की प्रॉपर्टी आप खरीदते हैं तो खरीददार को 1 फीसदी टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स यानी टीसीएस चुकाना होगा।
4. 10 लाख रुपए या इससे अधिक के शेयर्स, डिबेंचर्स या म्यूचुअल फंड्स की खरीददारी की सूचना कंपनियों को टैक्स विभाग को देनी होगी।
5. यदि आप सालाना 50 लाख रुपए से अधिक कमाते हैं तो आपको अपनी संपत्ति और देनदारियों का ब्यौरा आईटीआर के एक नए फॉर्म में अलग से देना होगा।
6. अब 2 लाख रुपए या इससे अधिक की चीजों और सेवाओं की खरीद पर ग्राहक को पैन नंबर देना अनिवार्य है।
7. 1 जून से यह भी लागू हो चुका है कि 2 लाख रुपए या इससे अधिक की सेवाओं या वस्तुओं की नकद खरीद या बिक्री पर भी टीसीएस कटेगा।
8. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, टीडीएस द्वारा भी आयकर विभाग करदाता की आय पर नजर रखता है। यदि एफडी से होने वाली इनकम सालाना 10 हजार रुपए से अधिक हो तो बैंक इस पर टीडीएस काटता है।
9. 10 लाख रुपए से अधिक की कार खरीद पर 1 फीसदी की दर से लग्जरी टैक्स लगता है। यह कार बेचने वाले से वसूला जाता है और एक्स शोरूम प्राइस पर लगता है।
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