- काकोरी के मेंहदी नगर की घटना

- बारात देर से पहुंचने पर बिफरे पिता ने लगा ली फांसी

- खुशी का माहौल पल भर में मातम में बदला

LUCKNOW: काकोरी के मेंहदीनगर निवासी मुंशीलाल ने अपनी बेटी को बड़े ही नाजों से पाला थाउसकी खुशी के लिये वह कुछ भी करने को तैयार रहता थापर, शराब की लत ने उसके मिजाज को गुस्सैल बना दिया। बुधवार रात बेटी की बारात आनी थीजिसके लिये उसने दिल खोलकर इंतजाम किये थे। लेकिन, बारात थोड़ा लेट पहुंची, जिससे मुंशीलाल उखड़ गया। परिजनों और रिश्तेदारों के समझाने बुझाने पर उसने द्वारचार की रस्म निभाई। देररात बेटी के फेरे होने लगे। कन्यादान के लिये पुरोहित ने पिता को बुलाने के लिये कहा तो वह थोड़ी देर में आने की बात कहकर लापता हो गया। इसके बाद मुंशीलाल ने गांव के बाहर स्थित बाग में एक पेड़ से फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया। काफी देर तक वापस न लौटने पर परिजनों ने उसकी तलाश शुरू की। लेकिन, इसके बाद जो हुआ वह किसी ने भी सपने में न सोचा था। तलाश के दौरान परिजन जब बाग में पहुंचे तो वहां आम के पेड़ में अंगोछे के फंदे से मुंशीलाल की लाश लटक रही थी। घर में फैली खुशियां पलक झपकते ही मातम में तबदील हो गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने बॉडी को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिये भेज दिया है।

दो घंटे लेट पहुंची थी बारात

काकोरी के मेंहदीनगर निवासी मुंशीलाल रावत (ब्भ्) ने बेटी श्रीकांती की शादी दुर्गागंज निवासी सर्वेश कुमार के साथ तय की थी। बुधवार को बारात आनी थी। सर्वेश के पिता नन्हके रावत ने बारात हर हाल में रात आठ बजे तक पहुंचने का वायदा किया था। पर, बस आने में देरी होने की वजह से वे बारात लेकर रात क्0 बजे मुंशीलाल के घर पहुंचे। यह बात मुंशीलाल को बेहद नागवार गुजरी और वह नन्हके से नाराजगी जताने लगा। वहां मौजूद रिश्तेदारों ने उसे समझाया तो मुंशीलाल मान गया। रात एक बजे द्वार-चार की रस्म पूरी हुई। पर, बारात के देर से पहुंचने की वजह से उसकी नाराजगी अब भी कम न हुई थी। मुंशीलाल ने कुछ रिश्तेदारों के साथ शराब पी और नशा चढ़ते ही बारात देरी से आने को लेकर हंगामा करने लगा। जिस पर उसके बेटे राहुल और पत्नी मालती ने उसकी इस हरकत का विरोध किया। रिश्तेदारों ने फिर से उसे समझाया, जिस पर वह घर के बाहर चारपाई पर जाकर लेट गया।

कन्यादान के लिये शुरू हुई तलाश

हंगामा शांत होने के बाद घर में शादी की रस्में शुरू हो सकीं। फेरे पड़ने के बाद पुरोहित ने कन्यादान के लिये मुंशीलाल को बुलवाया। जिस पर श्रीकांती की बड़ी बहन रेशमा पिता को बुलाने के लिये बाहर गई और उसे जगाया। नींद से जागे मुंशीलाल ने थोड़ी देर में आने की बात कही और गांव के बाहर बाग की ओर चल पड़ा। सभी परिजन और रिश्तेदार कन्यादान के लिये उसकी राह देख रहे थे। लेकिन, वह वापस नहीं लौटा। मुहूर्त का समय बीता जा रहा था। परिजनों ने मुंशीलाल की तलाश शुरू की। इसी दौरान लोगों ने गांव के बाहर स्थित रामेश्वर पाल की बाग में आम के पेड़ में लगे फंदे से मुंशीलाल की लाश लटकती देखी। आनन-फानन में लोग उसे पेड़ से उतार कर करीब स्थित एक प्राइवेट हॉस्पिटल ले गए। जहां डॉक्टर्स ने उसे डेड डिक्लेयर कर दिया। जानकारी मिलने पर पहुंची पुलिस ने बॉडी को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिये भेज दिया।

वर के पिता ने दिखाई सूझ-बूझ

मुंशीलाल की मौत की खबर मिलने पर वर सर्वेश के पिता नन्हके ने बेहद सूझ-बूझ का परिचय दिया। उसने पुरोहित से कहकर श्रीकांती का कन्यादान उसकी मां मालती से करवाया। उसके बाद घर में मुंशीलाल की मौत की खबर दी। परिवार में कोहराम मच गया। इसी बीच नन्हके ने आनन-फानन में बारात विदा करा ली और बारात वापस अपने घर पहुंचते ही बहू श्रीकांती को लेकर वापस मुंशीलाल के घर लौट आया। जिसके बाद वे सभी उनके दुख में शामिल हो गए।