- चार गुना मुआवजा देने के बाद जमीन की कीमत आसमान पर

- 12.5 एकड़ की सीलिंग खत्म करने पर विचार कर रही सरकार

LUCKNOW:यूपी इंवेस्टर्स समिट की सफलता के बाद प्रदेश सरकार के सामने उद्योगपतियों को उद्योग स्थापित करने के लिए जमीन देने की चिंता सताने लगी है। समिट में उम्मीद से ज्यादा एमओयू साइन होने की वजह से उद्यमियों को उसके मुताबिक जमीनें देना भी राज्य सरकार की प्राथमिकता बन चुका है लिहाजा अब इस बाबत मंथन शुरु हो गया है। परेशानी का सबब यह है कि केंद्र और राज्य सरकार की भूमि अधिग्रहण नीति के मुताबिक किसानों को चार गुना मुआवजा दिया जाना है। इतनी कीमत देने के बाद इसे उद्यमियों से वसूलना टेढ़ी खीर भी साबित हो सकता है। लिहाजा अब ऐसे उपाय तलाशे जा रहे हैं जिनसे उद्यमियों को सस्ती जमीन मुहैया करायी जा सके।

नहीं आसान होगा खरीद पाना

सूत्रों की मानें तो समिट में एमओयू करने वाले तमाम उद्यमियों ने यूपी सरकार से बड़े पैमाने पर जमीन देने की मांग की है। कुछ उद्यमी ऐसे भी हैं जिन्होंने 500 एकड़ से ज्यादा जमीन मांगी है ताकि वहां पर बड़े उद्योगों की स्थापना की जा सके। अब इसमें एक अड़चन यह आ रही है कि यदि सरकार उन्हें जमीन मुहैया कराती है तो उसके लिए किसानों को चार गुना मुआवजा देना होगा। इसके बाद राज्य सरकार जमीन पर डेवलपमेंट फीस भी वसूलेगी जिससे जमीन की कीमत आसमान को छूने लगेगी। इतनी कीमत दे पाना उद्यमियों के लिए भी आसान नहीं होगा। वहीं राज्य सरकार के पास लैंड बैंक भी खत्म होता जा रहा है जिससे वह उद्यमियों की आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर सकती। सूत्रों की मानें तो समिट के बाद हुई कई उच्चस्तरीय बैठकों में यह मसला उठ चुका है जिसके बाद अधिकारियों को बाकी विकल्पों पर विचार करके प्रस्ताव बनाने को कहा गया है। इनमें से एक प्रस्ताव राजस्व संहिता में संशोधन का भी है जिसके तहत उद्योगों को दी जाने वाली जमीन में सीलिंग को खत्म किया जाना है। इसके बाद उद्यमी कहीं पर भी सीधे जमीन खरीदने के लिए स्वतंत्र होंगे और राज्य सरकार को इससे मुक्ति मिल जाएगी।

सुविधाएं मुहैया करा देंगे

वहीं राज्य सरकार उद्यमियों द्वारा खरीदी गयी जमीन पर सड़क, बिजली पानी आदि सुविधाएं मुहैया कराने पर भी गहनता से मंथन कर रही है। इसके एवज में उद्यमियों से सरकारी नियमों के मुताबिक जमीन की डेवलपमेंट फीस जमा करा ली जाएगी। बैठक में एक प्रस्ताव भूमि अधिग्रहण नीति में बदलाव का भी आया था, लेकिन पाया गया कि इस बाबत केंद्र सरकार द्वारा एक्ट बनाए जाने की वजह से इसमें बदलाव संभव नहीं है। फिलहाल इस मामले में सीलिंग खत्म करना सही तरीका माना जा रहा है। इसे लेकर औद्योगिक विकास विभाग के अफसर राजस्व विभाग के संपर्क में हैं ताकि नई नीति बनाकर उसे कैबिनेट से पास कराया जा सके।

कोट

हम उद्यमियों को सस्ती दरों पर जमीन देने के उपायों पर विचार कर रहे हैं। यदि वे किसानों से सीधे जमीन खरीदते हैं तो राज्य सरकार उन्हें बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने को भी तैयार है। जल्द ही इस मामले का हल निकाल लिया जाएगा।

- अनूप चंद्र पांडे, आईआईडीसी