निगम के अफसर-कर्मचारियों ने मिलीभगत कर राजस्व की हानी

बरेली :

गांधी उद्यान के फलों का नगर निगम के अफसरों को स्वाद क्या लगा, वह इनसे होने वाली कमाई को भी भूल गए। उद्यान के पेड़ों पर लगे आम-लीची इस बार निगम के अफसर-कर्मचारी खा गए और ठीकरा चमगादड़ों के सिर फोड़ दिया। दरअसल, गांधी पार्क में आम लीची, बेल और कटहल के 200 से अधिक फलदार पेड़ हैं। इन पेड़ों पर लगने वाले फलों की हर वर्ष नगर निगम डेढ़ से दो लाख रुपए में नीलामी करता था। इस वर्ष निगम की उद्यान शाखा के अफसरों ने उपयुक्त बिड नहीं आने की बात कहकर टेंडर ही नहीं किया। दूसरी तरफ लीची के पड़ों से पूरे फल गायब है और आम को उद्यान के माली बेच रहे हैं।

फलों से लदे पेड़ अब सूने-

गांधी उद्यान में घूमने वाले लोग बताते हैं कि पेड़ों पर जितने फल इस बार लगे उतने इससे पहले कभी नहीं देखे। सुबह शाम उद्यान के कर्मचारी गुपचुप आम-लीची तोड़ कर बाजार में बेच रहे हैं। लीची के अधिकतर पेड़ों की डालियां तो खाली हो चुकी हैं, आम भी कम नजर आ रहे हैं।

पिछले वर्ष डेढ़ लाख ,इस बार ठेंगा-

नगर निगम हर वर्ष गांधी उद्यान के पेड़ों पर लगने वाले फलों की पेड़ पर ही नीलामी करता है। पिछले वर्ष बार डेढ लाख रुपए में नीलीमी हुई थी। इस बार नीलामी नहीं की गई। अफसरों का कहना है कि उपयुक्त बिड ही नहीं आई। ऐसे में फल नीलाम नहीं किए गए। निगम खुद फल तोड़कर मार्केट में बेच रहा है।

दिखावे के लिए 30 हजार के आम बेचे-

निगम ने दिखावे के लिए कर्मचारियों से ही आम तोड़वाकर बाजार में बेचने का दिखावा भी किया है। दावा है कि अभी तक 30 हजार रूपए के आम बेचे जा चुके हैं, और करीब इतनी ही आमदनी और होगी। फिर इस बार घाटे की भरपाई कैसे होगी।

वर्ष 2014-15 फसल बहार का 1.32 लाख में ठेका हुआ था। पिछले दो साल से ठेका नहीं हो सका। इस डेढ़ लाख की बोली लगी थी, जिसे नगर निगम बोर्ड ने कम बताते हुए खारिज कर दिया। फलों के देखरेख की जिम्मेदारी पर्यावरण अभियंता की है।

निशा मिश्रा, अपर नगर आयुक्त

गांधी उद्यान की लीची चमगादड़ खा गए। आम के फल को तोड़वाकर मंडी में बेचा जा रहा हैं। करीब 30 हजार की आमदनी हुई है। 20 हजार और आय हो सकती है।

उत्तम कुमार, पर्यावरण अभियंता