पुन: जीवित किया:
यह बात तो सर्वविदित है कि भगवान गणेश को हाथी का सिर लगा है। एक बार गजानन ने बालपन में मां पार्वती के दिए आदेश का पालन करते हुए शिव जी को घर के अंदर जाने से रोक दिया था। जिस पर शिव जी को क्रोध आया और उन्होंने गणेश जी का सिर काट दिया। इसके बाद माता पार्वती के विलाप पर गणेश जी को हाथी का सिर लगाकर जीवित किया गया।
लोग दर्शन करने आते:
हालांकि आज भी लोग अक्सर यह सोचते हैं कि आखिर गणेश जी का असली कटा हुआ सिर कहां गया, तो ज्यादा सोचने की जरूरत नही है। यह आज भी यहीं धरती पर है। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ स्िथत पाताल भुवनेश्वर नामक एक गुफा में यह सिर रखा है। इस सिर के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ होती है। हजारों की संख्या में लोग दर्शन करने और देखने आते हैं।
शिव जी यहां विराजित:
इतना नहीं यहां पर लोगों का कहना है कि पुत्र के सिर के साथ खुद शिव जी यहां पर विराजित हैं। गणपति के शीश पर 108 पंखुड़ियों वाला कमल बना हुआ है। मान्यता है कि यह कमल ब्रम्हदेव का है और इसे शिव जी ने अपने पुत्र के सिर पर रखा है। इस कमल की पंखुड़ियों से गणपति के सिर पर पानी टपकता रहता है। इसके दर्शन मात्र से भक्तों के कष्ट दूर हो जाते हैं।
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